तमिलनाडु के तिरुपोरुर स्थित अरुलमिगु कंदस्वामी मंदिर की दान पेटी में गलती से एक श्रद्धालु का iPhone गिर गया. इसके बाद मंदिर प्रशासन ने iPhone लौटाने से इनकार कर दिया है. तमिलनाडु सरकार के हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग ने भी इसपर जवाब दिया है और कहा है कि iPhone को वापस नहीं किया जा सकता. प्रशासन ने इस मामले में नियमों का हवाला भी दिया है. क्या है ये नियम आइए आगे जानते हैं.
दानपेटी में गिरा भक्त का iPhone, मंदिर वाले बोले- 'अब वापस नहीं मिलेगा... ', वजह भी बताई
तमिलनाडु के एक मंदिर की दान पेटी में गलती से एक श्रद्धालु का iPhone गिर गया. मंदिर वालों ने iPhone लौटाने से इनकार कर दिया है. मंदिर प्रशासन और तमिलनाडु हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग ने भी इसकी वजह बताई है.
आजतक की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना श्री कंदस्वामी मंदिर की है. वहीं श्रद्धालु का नाम दिनेश है. वह तिरुवल्लूर जिले के विनायगपुरम के रहने वाले हैं. बीती 18 अक्टूबर को दिनेश अपने परिवार के साथ मंदिर दर्शन करने गए थे. दर्शन के दौरान दान करते समय उनका iPhone हाथ से फिसलकर दान पेटी में गिर गया. इसके बाद उन्होंने मंदिर प्रशासन से फोन लौटाने की गुहार लगाई.
घटना के दो महीने बाद शुक्रवार, 20 दिसंबर को दान पेटी खोली गई. और फोन बरामद हुआ. रिपोर्ट के अनुसार, मंदिर प्रशासन ने दिनेश को सूचित किया कि उनका फोन मिल गया है. लेकिन उसे लौटाया नहीं जाएगा, क्योंकि अब ये मंदिर की संपत्ति हो गया है. हालांकि प्रशासन का कहना है कि श्रद्धालु दिनेश अपने फोन का डेटा ले सकते हैं. इस बात से दिनेश ने इनकार कर दिया है. वो मंदिर प्रशासन से फोन वापस लौटाने की मांग पर ही अड़े हैं.
तमिलनाडु सरकार के हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती (HR & CE) विभाग के मंत्री पीके शेखर बाबू ने इस मुद्दे पर मीडिया से बात की. उन्होंने कहा,
"दान पात्र में जो भी चढ़ावा आता है. चाहे वह जानबूझकर दिया गया हो या गलती से. वह भगवान का हो जाता है. मंदिरों में प्रचलित परंपरा और नियमों के अनुसार, दान पात्र में डाली गई कोई भी वस्तु वापस नहीं की जा सकती."
उन्होंने यह भी कहा कि विभाग के अधिकारियों से बात की जाएगी. जरूरत पड़ने पर भक्त को मुआवजा देने पर विचार किया जाएगा.
मई 2023 में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया था. केरल के अलप्पुझा की एक महिला की सोने की माला दान पात्र में गिर गई थी. बाद में मंदिर ट्रस्ट बोर्ड ने उसके वजन के हिसाब से दूसरी माला बनवाकर दी थी. अधिकारी ने आगे बताया कि 1975 के नियमों के अनुसार, दान पात्र में डाली गई कोई भी वस्तु वापस नहीं की जा सकती. वह मंदिर की संपत्ति मानी जाती है.
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