करीब तीन दशक पहले की बात है. 21 साल की एक लड़की जो कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी की स्टूडेंट थी, हर दिन सुबह 5 बजे जग जाती. अपनी भैंसों का दूध निकालती, फिर 8 बजे के आसपास साइकिल चलाकर 8 किलोमीटर दूर हिसार के महावीर स्टेडियम जाती. वहां वो लड़की शॉट-पुट, लॉन्ग जंप और बाकी खेलों की प्रैक्टिस करती थी. ये था करीब 30 साल पुराना रूटीन. साल 2024 में वही लड़की 52 साल की हो चुकी है. उस लड़की का नाम है सुमन. जो आज दिल्ली पुलिस में सब इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं. उम्र के पड़ाव पर भले पांच दशक पार हो गए हों, पर खेलों का शौक आज भी उतना ही है.
52 साल की उम्र में गोल्ड मेडल, दिल्ली पुलिस के सब इंस्पेक्टर की ये कहानी दिल जीत लेगी
बच्चों की शादी हो गई तो इसके बाद फिर से सुमन ने स्पोर्ट्स की तरफ ध्यान देना शुरू किया. पुलिस की रेगुलर ट्रेनिंग ड्रिल ने उन्हें इसमें मदद की.

सुमन इस समय दिल्ली पुलिस में कार्यरत हैं. 52 साल की उम्र में भी उन्होंने एक के बाद एक मेडल बीते 5 महीनों में जीते हैं. अगस्त 2024 में संपन्न हुई पुणे एथलेटिक्स चैंपियनशिप में शॉट पुट में गोल्ड मेडल, और उसके बाद नासिक में हुई तीसरी वेटरन स्पोर्ट्स गेम्स चैंपियनशिप में भी गोल्ड. सुमन को 2024 में दिल्ली पुलिस की ओर से बेस्ट ट्रेनर का अवार्ड भी मिला है. सुमन अपनी इस सफलता और जज़्बे का श्रेय अपने पिता को देती हैं. उनके पिता भी हरियाणा पुलिस में रह चुके हैं. इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए सुमन कहती हैं
"उन्होंने मुझे हमेशा पुलिस क्लब्स में आयोजित स्पोर्ट्स इवेंट्स में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया. मैंने समाजशास्त्र में अपने ग्रेजुएशन के दौरान अपने कॉलेज की ओर से कई स्पोर्ट्स इवेंट्स में भाग लिया है. करण सिंह तब मेरे कोच थे. उन्होंने हमेशा मेरे अंदर एक लड़की की जगह एक खिलाड़ी को देखा."
ग्रेजुएशन के बाद सुमन ने 1994 में दिल्ली पुलिस जॉइन किया. 1995 में उनकी शादी हुई और 1996 में सुमन ने एक बेटे को जन्म दिया. सुमन बताती हैं कि इसके बाद वो बस अपनी नौकरी और बच्चों पर ध्यान देने लगीं. इस वजह से स्पोर्ट्स से उनका नाता जैसे टूट सा गया. फिर साल 2000 में उनके पति जयकिशन जो कि खुद भी दिल्ली पुलिस में सब इंस्पेक्टर हैं, उन्होंने सुमन को फिर से स्पोर्ट्स के लिए प्रोत्साहित किया. सुमन ने दिल्ली पुलिस मीट में भाग लिया और शॉट पुट, जेवलिन थ्रो में गोल्ड और डिसकस थ्रो में सिल्वर मेडल जीता. इसके बाद उन्होंने 2001 में हुई ऑल इंडिया पुलिस मीट में भी भाग लिया. पर एक बार फिर से नौकरी, बच्चों से करीबी और स्पोर्ट्स से दूरी बनती गई.
अब जब बच्चों की शादी हो गई तो इसके बाद फिर से सुमन ने स्पोर्ट्स की तरफ ध्यान देना शुरू किया. पुलिस की रेगुलर ट्रेनिंग ड्रिल ने उन्हें इसमें मदद की. अगस्त में पुणे और फिर नासिक में गोल्ड मेडल जीत कर उन्होंने 52 साल की उम्र में नया कीर्तिमान रच दिया. सुमन की कहानी न सिर्फ महिलाओं बल्कि उन सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा है, जो किसी कारण से अपने पैशन को दरकिनार कर जिंदगी की पटरी पर आगे बढ़ चुके हैं.
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