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इंदौर का 'मुस्लिम चूड़ीवाला' याद है जिसे भीड़ ने पीटा था, उस पर कोर्ट का फैसला आ गया

तस्लीम ने आगे कहा कि उन्हें फंसाया गया था. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने उन्हें न्याय दिया है और इंदौर की जनता ने उनकी काफी मदद की है.

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साल 2021 में बाणगंगा थाना क्षेत्र में तस्लीम अली पर फर्जी आधार कार्ड रखने और नाबालिग लड़की का यौन उत्पीड़न के आरोप लगे थे. (फोटो- X)

साल 2021 में इंदौर में एक चूड़ीवाले के साथ मारपीट की गई थी. कुछ लोगों ने उस मुस्लिम युवक को ये आरोप लगाकर पीटा था कि वो फर्जी पहचान वाला आधार कार्ड लेकर हिंदुओं लड़कियों को चूड़ियां बेच रहा था. इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो भी सामने आया था जिसमें तस्लीम अली नाम के उस युवक को सबके सामने अपमानित किया जा रहा था, पीटा जा रहा था. उसके खिलाफ 9 गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था. इसमें पॉक्सो एक्ट की धाराएं भी शामिल थीं. लेकिन अब कोर्ट ने ‘मुस्लिम चूड़ी’ वाले को सभी आरोपों से दोषमुक्त कर दिया है.

बार एंड बेंच में छपी रिपोर्ट के अनुसार 3 दिसंबर को इंदौर के एक कोर्ट ने चूड़ी बेचने का काम करने वाले तस्लीम अली को बरी कर दिया. ट्रायल कोर्ट ने अली को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया है. अली पर भारतीय दंड संहिता की धारा 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना ), 354-ए (यौन उत्पीड़न), 467 (जालसाजी), 468, 471, 420 (धोखाधड़ी), 506 (आपराधिक धमकी) और पॉक्सो एक्ट की धारा 7 और 8 (यौन उत्पीड़न) के तहत आरोप लगाए गए थे.

रिपोर्ट के मुताबिक मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने साल 2021 में तस्लीम को जमानत दे दी थी. तब कोर्ट ने कहा था कि जिस प्रकार के आरोप लगे हैं वो उन्हें लगातार हिरासत में रखने की गारंटी नहीं देते. कोर्ट ने ये भी कहा था कि अली का पूर्व में कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है.

चार महीने जेल में रहना पड़ा

साल 2021 में बाणगंगा थाना क्षेत्र में तस्लीम अली पर फर्जी आधार कार्ड रखने और नाबालिग लड़की का यौन उत्पीड़न के आरोप लगे थे. पुलिस ने तस्लीम के खिलाफ पॉक्सो एक्ट समेत 9 गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया था. जिसके बाद उसे चार महीने तक जेल में भी रहना पड़ा था.

कोर्ट ने क्या कहा?

ट्रायल के दौरान तस्लीम के वकील ने कोर्ट में बताया कि तस्लीम ने पिटाई करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. इसके जवाब में कुछ संगठनों ने दबाव बनाकर पुलिस से तस्लीम के खिलाफ गंभीर धाराओं में मामला दर्ज कराया था.

सुनवाई के दौरान ये साफ हुआ कि तस्लीम के पास से जो दो आधार कार्ड मिले थे, उनमें से एक आधार कार्ड करेक्शन के कारण बना था. इंडिया टुडे से जुड़े धर्मेंद्र कुमार की रिपोर्ट के अनुसार पुलिस कोर्ट में ये साबित नहीं कर पाई कि तस्लीम ने फर्जीवाड़ा किया था. कोर्ट ने पाया कि पुलिस आरोपों को सही तरीके से प्रमाणित नहीं कर पाई, इसलिए यौन उत्पीड़न और षड्यंत्र के आरोप पूरी तरह निराधार साबित हुए. फर्जी आधार कार्ड रखने का भी कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला.

तस्लीम ने क्या कहा?

कोर्ट से दोषमुक्त होने के बाद तस्लीम ने कहा,

"मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं है. मैं अब इस मामले को खत्म करना चाहता हूं और किसी के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं कराना चाहता.”

तस्लीम ने आगे कहा कि उन्हें फंसाया गया था. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने उन्हें न्याय दिया है और इंदौर की जनता ने उनकी काफी मदद की है.

पिटाई का वीडियो हुआ था वायरल

दरअसल, अगस्त 2021 में तस्लीम का वीडियो वायरल हुआ था. इसमें भीड़ उनकी पिटाई कर रही थी. वीडियो में पीला कुर्ता पहने एक शख्स पीड़ित के बैग से चूड़ियां निकाल रहा था. पीछे से एक दूसरा व्यक्ति पीड़ित को थप्पड़ मार रहा था. वो पीड़ित से कह रहे थे- ‘किसी हिंदू क्षेत्र में दिखना नहीं चाहिए.’    

इन दोनों लोगों के उकसाने पर भीड़ ने तस्लीम को घसीट-घसीट कर पीटना शुरू कर दिया. वीडियो वायरल हुआ तो पुलिस ने कार्रवाई की. वीडियो से आरोपियों की पहचान करते हुए पुलिस ने पहले दो लोगों को गिरफ्तार करने का दावा किया. बाद में ग्वालियर से तीसरा और मुख्य आरोपी विवेक व्यास भी पकड़ा गया. पुलिस ने बताया कि वो दिल्ली भागने की फिराक में था.

मामला बढ़ा तो तस्लीम का एक और वीडियो सामने आया. इसमें तस्लीम ने ये बताया कि कई साल पहले उसका एक आईडी कार्ड बना था, जिसमें उनका नाम भूरा लिखा था. तस्लीम ने बताया कि भूरा उसके घर का नाम है. वहीं, आधार कार्ड में उसका नाम तस्लीम अली है. वीडियो में उन्होंने दावा किया था कि उनके दोनों दस्तावेज असली हैं.

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