तस्लीम अली. इंदौर में चूड़ी बेचने वाले वो शख्स जिनके साथ साल 2021 में मारपीट की गई थी. कुछ लोगों ने फर्जी पहचान वाला आधार कार्ड रखने और हिंदुओं लड़कियों को चूड़ियां बेचने का आरोप लगाकर तस्लीम अली को पीटा था. उनके खिलाफ गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया था. लेकिन 3 दिसंबर को इंदौर की एक अदालत ने ‘मुस्लिम चूड़ीवाले' को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया. कोर्ट के फैसले के बाद तस्लीम ने कहा कि उन्हें उनके धर्म और नाम के कारण झूठे मामले में फंसाया गया.
'मु्स्लिम चूड़ीवाले' तस्लीम अली ने बरी होने के बाद उन्हें पीटने वालों के बारे में क्या कहा?
तस्लीम अली ने कहा कि उनके मन में इंदौर शहर के लिए नफरत नहीं है. वो शांति चाहते हैं और इस घटना को पीछे छोड़ देना चाहते हैं.
ट्रायल कोर्ट ने अली को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया है. अली पर भारतीय दंड संहिता की धारा 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना ), 354-ए (यौन उत्पीड़न), 467 (जालसाजी), 468, 471, 420 (धोखाधड़ी), 506 (आपराधिक धमकी) और पॉक्सो एक्ट की धारा 7 और 8 (यौन उत्पीड़न) के तहत आरोप लगाए गए थे. बरी होने के बाद अली ने इंडियन एक्सप्रेस से बताया,
"मैं खुश भी हूं और दुखी भी, ये मेरे लिए एक मिला-जुला अनुभव है. मैं उन लोगों को शुक्रिया कहना चाहता हूं जो मेरे साथ खड़े रहे और जिन्होंने मेरे खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई और मुझे पीटा. मुझे धर्म और मेरे नाम के आधार पर झूठे मामले में फंसाया गया."
अली आगे कहते हैं कि अब वो शांति चाहते हैं और इस घटना को पीछे छोड़ देना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि उनके मन में इंदौर शहर के लिए नफरत नहीं है. वहां वो कॉलोनी-कॉलोनी घूमकर चूड़ियां बेचकर अपना गुजारा करते थे. तस्लीम ने कहा,
"संविधान पर भरोसा था""इंदौर के सभी निवासी मेरे भाई-बहन हैं."
पूरे मामले में तस्लीम को 107 दिन जेल में भी बिताने पड़े थे. इसके बारे में उन्होंने कहा,
फिर से चूड़ी बेचने का काम शुरू किया था"शुरू में काफी संघर्ष करना पड़ा, मैं डरा हुआ था. फिर मुझे एकांत कारावास में डाल दिया गया. मुझे अकेलेपन से कोई परेशानी नहीं हुई. जेलर और पुलिस मेरे साथ अच्छे से पेश आते थे. मुझे परेशान नहीं किया गया. मुझे संविधान और न्यायपालिका पर भरोसा था."
दिसंबर 2021 में बेल मिलने के बाद तस्लीम ने फिर से चूड़ी बेचने का काम शुरू कर दिया था. इसको लेकर वो कहते हैं,
“मैं चिंतित था, लेकिन मुझे छह बच्चों का पेट पालना था. मेरे दादा और पिता भी यही करते थे. मैं यूपी से लेकर पंजाब और इंदौर जाता हूं. कॉलोनियों, मेलों व दूसरी जगहों पर जाता हूं. मैं इंदौर वापस आता रहूंगा.”
मामले में कोर्ट के फैसले की डिटेल्ड कॉपी की प्रतीक्षा है, लेकिन तस्लीम के वकील शेख अलीम ने बताया कि डिस्ट्रिक्ट और एडिशनल सेशन जज वी रश्मि बाल्टर ने उन्हें बरी कर दिया है. अली ने बताया कि मामले में नाबालिग लड़की सहित सभी गवाह अपने बयान से पलट गए. उन्होंने कहा,
"आधार कार्ड पर गोलू नाम लिखे होने के आधार पर ये आरोप लगाए गए थे कि उन्होंने अपनी पहचान बदलकर हिंदू नाम रख लिया था. कोर्ट में ये गलत साबित हुआ. तस्लीम के गांव का नाम गोलू है और उसने बाद में आधार कार्ड में इसे ठीक कराया था. लेकिन उस दुर्भाग्यपूर्ण दिन उसके पास पुरानी आईडी थी. इस मामले में दो गांव के प्रधानों ने भी गवाही दी है."
तस्लीम से जब ये पूछा गया कि क्या वो अपने हमलावरों के खिलाफ केस करेंगे, तो उन्होंने कहा,
कोर्ट ने क्या कहा?"उन्होंने मुझसे माफी मांगी है. मैं इससे आगे बढ़ना चाहता हूं. मेरा किसी के साथ कोई झगड़ा नहीं है."
बता दें कि साल 2021 में बाणगंगा थाना क्षेत्र में तस्लीम अली पर फर्जी आधार कार्ड रखने और नाबालिग लड़की का यौन उत्पीड़न के आरोप लगे थे. पुलिस ने तस्लीम के खिलाफ पॉक्सो एक्ट समेत 9 गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया था. जिसके बाद उन्हें चार महीने तक जेल में भी रहना पड़ा था.
ट्रायल के दौरान तस्लीम के वकील ने कोर्ट में बताया कि तस्लीम ने पिटाई करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. इसके जवाब में कुछ संगठनों ने दबाव बनाकर पुलिस से तस्लीम के खिलाफ गंभीर धाराओं में मामला दर्ज कराया था.
सुनवाई के दौरान ये साफ हुआ कि तस्लीम के पास से जो दो आधार कार्ड मिले थे, उनमें से एक आधार कार्ड करेक्शन के कारण बना था. इंडिया टुडे से जुड़े धर्मेंद्र कुमार की रिपोर्ट के अनुसार पुलिस कोर्ट में ये साबित नहीं कर पाई कि तस्लीम ने फर्जीवाड़ा किया था. कोर्ट ने पाया कि पुलिस आरोपों को सही तरीके से साबित नहीं कर पाई, इसलिए यौन उत्पीड़न और षड्यंत्र के आरोप पूरी तरह निराधार साबित हुए. फर्जी आधार कार्ड रखने का भी कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला.
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