जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान शहीद हुए भारतीय सेना के जवान झंटू अली शेख (Jhantu Ali Sheikh) को पूरे सैन्य सम्मान के साथ सुपुर्द-ए-खाक किया गया. इस दौरान बड़ी संख्या में लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे. झंटू अली शेख के भाई रफीकुल शेख ने स्पीच दी, जिसे सुनकर वहां मौजूद हर शख्स की आंखें नम हो गईं. बता दें कि रफीकुल शेख भी भारतीय सेना में सूबेदार हैं.
'किसी में दम है तो बोल दे भारतीय सेना हिंदू या मुस्लिम...' शहीद जवान के भाई की स्पीच भावुक कर देगी
Pahalgam Terror Attack के बाद सुरक्षा बलों ने सर्च ऑपरेशन चलाया था, जिसमें आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में भारतीय सेना के जवान Jhantu Ali Sheikh को गोली लगी और वे शहीद हो गए. उन्हें पूरे सैन्य सम्मान के साथ सुपुर्द-ए-खाक किया गया.
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आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, पश्चिम बंगाल के नादिया जिले के रहने वाले झंटू अली शेख, इंडियन आर्मी के 6 पैरा स्पेशल फोर्स में हवलदार के पद पर थे. उनकी तैनाती जम्मू-कश्मीर में सेना की व्हाइट नाइट कॉर्प्स में थी. पहलगाम हमले के बाद सुरक्षा बलों ने सर्च ऑपरेशन चलाया, जिसमें आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में झंटू अली शेख को गोली लगी और वे शहीद हो गए. हवलदार झंटू अली शेख का अंतिम संस्कार उनके भाई सूबेदार रफीकुल शेख ने किया. इस दौरान उन्होंने दुख और गर्व व्यक्त करते हुए कहा,
मेरे भाई झंटू अली पर पीछे से हमला किया गया. हमारा काम बदला लेना है. हम बदला लेंगे या फिर मर जाएंगे. मुझे गर्व है कि मेरे भाई ने देश के लिए अपनी जान दी, अपना जीवन बलिदान कर दिया. दुख बहुत बड़ा है. लाखों लोगों में से एक व्यक्ति ऐसे मरता है. वह न केवल हमारे परिवार का गौरव है बल्कि पूरे नादिया जिले और बंगाल का गौरव है.
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‘सेना में कोई भेदभाव नहीं…’शहीद झंटू अली शेख के भाई रफीकुल ने कब्रिस्तान में मौजूद जनता को संबोधित करते हुए कहा,
'हम सैनिक हैं, सैनिकों का कोई धर्म नहीं होता और न जाति होती है. भारतीय सेना का कोई धर्म नहीं है. हम एक ही कटोरे में खाते-पीते हैं. सेना में कोई भेदभाव नहीं है. किसी में अगर दम है तो बोल दे कि भारतीय सेना हिंदू या मुस्लिम है. भारतीय सेना एक ऐसी जगह है जिसमें हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध एक ही थाली में खाते हैं और सभी को एक ही बर्तन में खाना बांटा जाता है. अगर किसी को भाईचारा देखना है तो फौज में जाकर देखो. तब पता चलेगा भाईचारा क्या होता है.'
उन्होंने कहा कि वे अपने भाई के बेटे और बेटी को सेना में भेजने की कोशिश करेंगें. जिससे वे अपने पिता के नक्शेकदम पर चल सकें. सुपुर्द-ए-खाक के दौरान कब्रिस्तान में हजारों लोग मौजूद थे. पूरा इलाका 'जय हिंद' और ‘जिंदाबाद’ के नारों से गूंज उठा.
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