भारतीय सेना इस समय एक लाख से अधिक जवानों की कमी से जूझ रही है. रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में संसद की स्थायी समिति को इस बात की जानकारी दी है. माना जा रहा है कि पाकिस्तान से लगी नियंत्रण रेखा (LoC) और चीन से जुड़ी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सुरक्षा के मद्देनजर भारतीय सेना की ये रिपोर्ट चिंताजनक है.
भारतीय सेना में एक लाख से अधिक सैनिकों की कमी: रिपोर्ट
1 अक्टूबर 2024 तक भारतीय सेना में कुल सैनिकों की संख्या 11 लाख 5,110 थी. जबकि स्वीकृत पद 11 लाख 97,520 हैं. माने सेना को 92,410 जूनियर कमीशंड ऑफिसर्स (JCOs) और नॉन-कमीशंड ऑफिसर्स (NCOs) की कमी का सामना करना पड़ रहा है. ये संख्या कुल सैनिक पदों का 7.72 फीसद है.

इंडिया टुडे ने सरकारी आंकड़ों के हवाले से ये जानकारी दी है. इसके मुताबिक, 1 अक्टूबर 2024 तक भारतीय सेना में कुल सैनिकों की संख्या 11 लाख 5,110 थी. जबकि स्वीकृत पद 11 लाख 97,520 हैं. माने सेना को 92,410 जूनियर कमीशंड ऑफिसर्स (JCOs) और नॉन-कमीशंड ऑफिसर्स (NCOs) की कमी का सामना करना पड़ रहा है. ये संख्या कुल सैनिक पदों का 7.72 फीसद है.
इसके साथ ही, अधिकारी वर्ग की स्थिति भी इतनी ही चिंताजनक है. 1 जुलाई 2024 तक सेना में 42,095 अधिकारी कार्यरत हैं (इसमें मेडिकल कोर, डेंटल कोर और मिलिट्री नर्सिंग सेवा को शामिल नहीं किया गया है), जबकि स्वीकृत पद 50,538 हैं. यानी 16.71 सैन्य पद खाली हैं.
हाल में चीन के साथ हुए डिसएंगेजमेंट एग्रीमेंट के बाद भी, पूर्वी लद्दाख में सेना के 50 हजार से अधिक जवान तैनात हैं. पिछले पांच सालों से यहां तनाव की स्थित बनी हुई है. वहीं, जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं के मद्देनजर सेना ने 15 हजार अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती की है.
Covid 19 के कारण भर्ती प्रभावित
सेना में जवानों की कमी के पीछे कोविड-19 महामारी को भी एक प्रमुख कारण बताया गया है. उस दौरान सेना में दो वर्षों तक कोई भर्ती नहीं हो सकी, जबकि हर साल करीब 60 हजार के करीब सैनिक रिटायर हो जाते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक इन दो सालों में करीब 1.2 लाख जवानों ने सेना छोड़ी. हालांकि, साल 2022 में शुरू हुई अग्निपथ योजना से हर साल 40 हजार अग्निवीरों की भर्ती की जा रही है, लेकिन कोविड के समय की भरपाई अब भी बाकी है.
रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि सैनिकों की इस कमी को दूर करने के लिए अग्निपथ भर्ती योजना पर जोर दिया जा रहा है. मंत्रालय ने कहा, “जैसे-जैसे अग्निपथ योजना आगे बढ़ेगी, सैनिकों की कमी को पूरा किया जाएगा.”
रक्षा मंत्रालय ने अधिकारियों की कमी को दूर करने के लिए भी कई कदम उठाए हैं. इसके लिए सेवा चयन बोर्ड (SSB) की प्रक्रिया में कुछ बड़े सुधार किए गए हैं, जैसे कि
- उम्मीदवारों को उनके इंटरव्यू की तारीखें कई माध्यमों से याद दिलाई जा रही हैं. साथ ही जो उम्मीदवार इंटरव्यू मिस कर देते हैं, उन्हें दूसरा मौका दिया जा रहा है.
- SSB बैचों की संख्या को दोगुना किया गया है ताकि अधिक उम्मीदवारों को मौका मिल सके.
- डॉक्यूमेंटेशन प्रक्रिया को पहले से सरल बनाया गया है, जैसे कि अब फॉर्म भरते समय ही दस्तावेज अपलोड किए जा सकते हैं.
- मेडिकल जांच की प्रक्रिया को तेज कर दिया गया है. पहले इसमें 8 से 10 दिन लगते थे, अब यह केवल 2 से 3 दिनों में पूरी हो रही है.
ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (OTA), चेन्नई में यंग लीडर्स ट्रेनिंग विंग की स्थापना की गई है. यहां सेवा में कार्यरत जवानों को अधिकारी बनने के लिए ट्रेन किया जाएगा. इसके अलावा, टेक्निकल एंट्री स्कीम (10+2 ) को बदल कर अब 3+1 वर्ष का कर दिया गया है, जिससे ट्रेनिंग में लगने वाले समय को कम किया जा सके और अधिकारी समय से पहले सेवा में आ सकें. रक्षा मंत्रालय ने बताया कि चयन प्रक्रियाओं में किए गए सुधारों के कारण पूर्व-आयोग प्रशिक्षण के लिए चयनित सैनिकों का प्रतिशत बढ़ा है.
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