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अपने समय का हॉर्वर्ड, ऑक्सफोर्ड और नासा था नालंदा... भारतीय इतिहास पर ऐसी बातें सुनी नहीं होंगी

India Today Conclave: इतिहासकार William Dalrymple ने विश्वविद्यालयों की आकर्षक वास्तुकला के बारे में बात की और बताया कि किस तरह दुनिया भर के विश्वविद्यालयों की वास्तुकला का इतिहास नालंदा से जुड़ा हुआ है.

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इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में इतिहासकार विलियम डेलरिम्पल ने शिरकत की (फोटो: इंडिया टुडे)

‘बिहार में प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय, अपने समय का हार्वर्ड, ऑक्सब्रिज और नासा था.’ 

इतिहासकार विलियम डेलरिम्पल (William Dalrymple) ने ‘इंडिया टुडे कॉन्क्लेव’ में ये बातें कहीं. उन्होंने कहा कि फेमस चीनी बौद्ध भिक्षु और स्कॉलर ह्वेन त्सांग (Xuanzang) जानते थे कि नालंदा दुनिया में शिक्षा का सबसे बड़ा केंद्र है. इस दौरान उन्होंने भारतीय विचार, भाषा और बौद्ध धर्म के प्रभाव के बारे में गहराई से बात की. उन्होंने विश्वविद्यालयों की आकर्षक वास्तुकला के बारे में भी बात की और बताया कि किस तरह दुनिया भर के विश्वविद्यालयों की वास्तुकला का इतिहास नालंदा से जुड़ा हुआ है.

क्वाड योजना: भारतीय इनोवेशन

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के दूसरे दिन मशहूर लेखक और इतिहासकार विलियम डेलरिम्पल ने शिरकत की. उन्होंने कहा,

नालंदा में सबसे पहली चीज जो आप देखते हैं, वह है यूनिवर्सिटी क्वाड योजना. आज जब आप ऑक्सफोर्ड या कैम्ब्रिज जाते हैं और उन सुंदर घास के मैदानों को देखते हैं, तो आप एक ऐसे विचार को देख रहे होते हैं जिसका जन्म भारत में हुआ था. नालंदा में भी इसी तरह का लेआउट था. जिसमें बीच में एक स्क्वायर, एक पैदल रास्ता और दो एंग्लस पर स्कॉलर्स के कमरे होते थे. यह एक भारतीय इनोवेशन है. जिसके किनारे पर स्कॉलर्स के कमरे होते हैं.

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बौद्ध धर्म का प्रभाव

डेलरिम्पल ने दुनिया भर में बौद्ध धर्म के प्रभाव की भी चर्चा की. उन्होंने बताया कि बौद्ध धर्म की उत्पत्ति भारत में हुई और धीरे-धीरे यह पूरी दुनिया में फैला. बातचीत के दौरान उन्होंने कहा,

अगर आप बौद्ध धर्म के प्रभाव को देखें तो आपको इसकी उत्पत्ति लुम्बिनी, बोधगया और सारनाथ जैसी जगहों से मिलेगी. जहां बुद्ध ने अपने उपदेश दिए थे. दो से तीन सौ सालों के अंदर यह पाकिस्तान, गांधार, अफगानिस्तान और मध्य एशिया में फैल गया. फिर यह धर्म चीन, मंगोलिया, कोरिया और जापान तक पहुंच गया. यह वियतनाम, लाओस, थाईलैंड, कंबोडिया और फिलीपींस तक पहुंच गया. यह भारतीय सॉफ्ट पावर का स्वर्ण युग था.

डेलरिम्पल ने बताया कि भारत से केवल धार्मिक और दार्शनिक विचार ही नहीं फैले, बल्कि संस्कृत और प्राकृत जैसी भारतीय भाषाएं भी फैलीं. इस दौरान उन्होंने भारत के व्यापारिक महत्व को भी बताया और कहा कि प्राचीन काल में चीन नहीं, बल्कि भारत वैश्विक कारोबार का केंद्र था. जिसके रोमन साम्राज्य से लेकर वेस्ट तक मजबूत कारोबारी रिश्ते थे.

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