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'हमारे मामलों में टिप्पणी न करो, खुद को संभालो... ', वक्फ कानून पर पाकिस्तान को भारत ने दिया जवाब

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने वक्फ कानून पर पाकिस्तान की टिप्पणियों को निराधार बताया है.

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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने दिया जवाब. (फाइल फोटो- एजेंसी)

वक्फ कानून (Waqf Amendment Act) पर पाकिस्तान की ओर से की गई टिप्पणी को भारत ने आड़े हाथों लिया है. विदेश मंत्रालय ने मंगलवार, 15 अप्रैल को कहा कि पाकिस्तान (India Slams Pakistan on Waqf) को दूसरों को उपदेश देना बंद करना चाहिए. उपदेश देने के बजाए अपने देश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने पर ध्यान देना चाहिए. दरअसल बीते दिनों पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था कि इस बात की गंभीर आशंका है कि वक्फ कानून भारतीय मुसलमानों को “और ज़्यादा हाशिए पर धकेल” देगा. 

न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल वक्फ कानून पर पाकिस्तान की ओर से की गई टिप्पणियों के बारे में मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे थे. जायसवाल ने कहा, 

हम भारत की संसद की ओर से पारित वक्फ संशोधन कानून पर पाकिस्तान की ओर से की गई निराधार टिप्पणियों को दृढ़ता से खारिज करते हैं.

एजेंसी के मुताबिक, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने आगे कहा, 

पाकिस्तान को उनके देश में अल्पसंख्यकों के साथ किए जा रहे घटिया व्यवहार के रिकॉर्ड पर गौर करना चाहिए. पड़ोसी देश के पास भारत के आंतरिक मामले पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है.

भारत की प्रतिक्रिया पाकिस्तान के विदेश विभाग के एक प्रवक्ता की ओर से आरोप लगाए जाने के बाद आई है. जायसवाल ने आगे कहा, 

पाकिस्तान के पास भारत के आंतरिक मामले पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है. 

क्या कहा था पाकिस्तान ने

पाकिस्तान विदेश कार्यालय के प्रवक्ता शफाकत अली खान ने कथित तौर पर वक्फ संशोधन कानून को मस्जिदों और दरगाहों सहित मुसलमानों को उनकी संपत्तियों से “बेदखल” करने की कोशिश बताया था. पाकिस्तान का कहना था कि वक्फ कानून भारतीय मुसलमानों के धार्मिक और आर्थिक अधिकारों का “उल्लंघन” है.

बता दें कि संसद के दोनों सदनों में लंबी बहस के बाद, वक्फ बिल पारित हो गया. राज्यसभा में 128 सदस्यों ने इसके पक्ष में वोट किया तो वहीं 95 ने विरोध में. लोकसभा में इस अधिनियम के पक्ष में 288 वोट मिले और विरोध में 232. इसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिल गई. इस तरह ये बिल एक कानून बन गया.

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