जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत ने एक बड़ा और कड़ा फैसला लिया है. सरकार ने पाकिस्तान के साथ हुए 'सिंधु जल समझौता' (Indus Water Treaty) पर फिलहाल रोक लगाने का फैसला किया है. बुधवार, 23 अप्रैल की शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक हुई थी, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी मौजूद थे. इसके कुछ ही देर बाद विदेश मंत्रालय ने एक ब्रीफिंग में जानकारी दी कि भारत सरकार ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौते पर रोक लगाने का फैसला किया है.
सिंधु जल समझौता क्या है? पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान का पानी रोक दिया
Indus Water Treaty: जम्मू कश्मीर के Pahalgam में हुए टेरर अटैक पर भारत ने कड़ा कदम उठाया है. भारत सरकार ने सिंधु जल समझौते पर रोक लगा दी है. आखिर यह जल संधि इतनी अहम क्यों है? आइए जानते हैं.

पाकिस्तान पर कड़ी कार्रवाई करते हुए भारत ने यह फैसला लिया है. विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि CCS को दी गई ब्रीफिंग में पहलगाम आतंकवादी हमले के सीमा पार संबंधों को उजागर किया गया. उन्होंने कहा कि यह हमला केंद्र शासित प्रदेश में चुनावों के सफल आयोजन और आर्थिक वृद्धि और विकास की दिशा में इसकी निरंतर प्रगति के मद्देनजर हुआ है.
विदेश सचिव ने आगे कहा,
सिंधु जल समझौता क्या है?इस आतंकवादी हमले की गंभीरता को समझते हुए CCS ने फैसला किया कि 1960 की सिंधु जल समझौते को तत्काल प्रभाव से स्थगित रखा जाएगा जब तक कि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद के लिए अपने समर्थन को पूरी तरह और भरोसेमंद तरीके से बंद नहीं करता.
सिंधु जल समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच 19 सितंबर 1960 को वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में साइन हुई थी. भारत की तरफ से तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान की तरफ से तत्कालीन राष्ट्रपति फील्ड मार्शल अय्यूब खान ने इस समझौते पर सिग्नेचर किए थे. इसके तहत भारत से पाकिस्तान की ओर बहने वाली 6 नदियों- सिंधु, झेलम, चेनाब, रावी, ब्यास और सतलुज, को दो हिस्सों में बांटा गया था.
पूर्वी नदियां (रावी, ब्यास, सतलुज): इन पर भारत को पूरा अधिकार दिया गया.
पश्चिमी नदियां (सिंधु, झेलम, चेनाब): इनका ज्यादातर पानी पाकिस्तान को मिलता है.
भारत केवल इन पश्चिमी नदियों का पानी बिजली बनाने जैसे गैर-खपत वाले कामों (Non-Consumptive Use) के लिए ही इस्तेमाल कर सकता है, जिसमें पानी वापिस नदी में चला जाता है. मतलब, यह पानी वापस नदी में छोड़ा जा सकता है.
पाकिस्तान पर क्या असर पड़ेगा?इस समझौते को रोकने का सीधा असर पाकिस्तान की वाटर सप्लाई पर पड़ सकता है. पाकिस्तान को इस समझौते के तहत कुल पानी का करीब 80 फीसदी हिस्सा मिलता है. पश्चिमी नदियों का पानी रुकने के बाद पाकिस्तान के खेती-बाड़ी और पीने के पानी की व्यवस्था पर संकट खड़ा हो सकता है. पाकिस्तान पहले से ही पानी की कमी से जूझ रहा है, ऐसे में यह फैसला उसके लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है.
वहीं, भारत ने यह साफ कर दिया है कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद पर सख्त और भरोसेमंद कार्रवाई नहीं करता, तब तक इस समझौते पर रोक रहेगी. इसके साथ ही अटारी बॉर्डर बंद करने समेत कई फैसले लिए गए हैं.
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