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भारत-चीन के बीच 'गश्त' का मसला सुलझा, पर उन मुद्दों का हल क्यों नहीं निकलता जो विवाद की जड़ हैं?

दुनिया की सबसे लंबी विवादित सीमा भारत और चीन साझा करते हैं. दोनों के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा है, जो तीन सेक्टर्स- ईस्टर्न, मिडिल और वेस्टर्न में बंटी हुई है. लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक कई हिस्सों में चीन के अपने अलग-अलग दावे हैं. और ये दावे ही असल मसला सुलझने नहीं देते.

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भारत-चीन के बीच गश्त का मुद्दा सुलझ गया.

भारत और चीन के बीच जारी सीमा विवाद अब सुलझता हुआ दिखाई दे रहा है. 21 अक्टूबर को भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों देशों के बीच सीमा से सेना हटाने को लेकर सहमति बन गई है. सैन्य वापसी को लेकर कदम उठाए जा रहे हैं. भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर का कहना है कि इस समझौते से दोनों देशों के बीच सीमा पर साल 2020 से पहले की स्थिति बहाल होगी. यानी साल 2020 में भारतीय सैनिक जिस जगह गश्त कर रहे थे, अब फिर से वहीं पर गश्त कर सकेंगे. साल 2020 में पूर्वी लद्दाख के गलवान में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में भारत के 20 सैनिकों के साथ ही कई चीनी सैनिकों की भी मौत हुई थी. तब से ही दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर था. ऐसे में अब जो सहमति बनी है वो दोनों को राहत देने वाली है. लेकिन ये भी साफ़ है कि इसे लंबे समय के लिए राहत नहीं माना जा सकता. क्योंकि सालों पुराने वो मुद्दे अभी तक सुलझे नहीं हैं, जो दोनों की बीच मनमुटाव और झगड़े की मुख्य जड़ माने जाते हैं. आज इन्हीं मुद्दों पर बात करेंगे. 

दुनिया की सबसे लंबी विवादित सीमा भारत और चीन साझा करते हैं. दोनों के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा है, जो तीन सेक्टर्स- ईस्टर्न, मिडिल और वेस्टर्न में बंटी हुई है. ईस्टर्न सेक्टर में अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम की सीमा चीन से लगती है. मिडिल सेक्टर में हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड हैं. वहीं, वेस्टर्न सेक्टर में लद्दाख चीन से सीमा साझा करता है. भारत और चीन के बीच कई इलाकों को लेकर सीमा विवाद है. लद्दाख का करीब 38 हजार वर्ग किमी जमीन पर चीन का कब्जा है, जिसे अक्साई चिन कहा जाता है. चीन अरुणाचल प्रदेश की 90 हजार वर्ग किमी जमीन पर दावा करता है. कुल मिलाकर ये दो विवाद ऐसे हैं जो सालों से सुलझे नहीं हैं. एक-एक कर इनकी उपज के बारे में जानते हैं.   

अक्साई चिन का मसला सबसे बड़ा!

1897 में ब्रिटिश शासन काल में भारत और चीन के बीच एक सीमा रेखा खींची गई. इसमें अक्साई चिन को भारत का हिस्सा दिखाया गया. इसे जॉनसन-आर्डाघ लाइन कहा जाता है. 1947 में भारत जब आजाद हुआ तो उसने जॉनसन-आर्डाघ लाइन को सीमा माना. 1962 में चीन ने पूर्वी और पश्चिमी, दोनों सीमाओं पर लड़ाई शुरू कर दी. बाद में युद्धविराम के तहत, चीन अरुणाचल से तो पीछे हट गया, लेकिन अक्साई चिन पर कब्जा कर लिया. अब तक अक्साई चिन पर चीन का अवैध कब्जा है.

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 अक्साई चिन पर चीन का अवैध कब्जा है. फोटो: इंडिया टुडे
अरुणाचल प्रदेश की जमीन पर दावा क्यों?

चीन अरुणाचल प्रदेश की 90 हजार वर्ग किमी जमीन पर दावा करता है. अरुणाचल को लेकर भी सीमा विवाद चीन की तरफ से ही है. इस विवाद को समझने के लिए इतिहास में चलते हैं. 1914 में शिमला में एक समझौता हुआ. उस समय ब्रिटिश इंडिया के विदेश सचिव हेनरी मैकमोहन थे. उन्होंने ब्रिटिश इंडिया और तिब्बत के बीच 890 किलोमीटर लंबी सीमा खींची. इसे ही मैकमोहन लाइन कहा जाता गया. इसमें अरुणाचल प्रदेश को भारत का हिस्सा बताया गया था.

आजादी के बाद भारत ने मैकमोहन लाइन को ही सीमा माना. लेकिन 1950 में चीन ने तिब्बत पर कब्जा कर लिया. चीन ने दावा किया कि अरुणाचल प्रदेश दक्षिणी तिब्बत का ही हिस्सा है. और तिब्बत पर अब उसका कब्जा है, इसलिए अरुणाचल भी उसका हुआ.

चीन मैकमोहन लाइन को नहीं मानता है. वो दावा करता है कि 1914 में जब ब्रिटिश इंडिया और तिब्बत के बीच समझौता हुआ था, तब वो वहां मौजूद नहीं था. उसका कहना है कि तिब्बत उसका हिस्सा रहा है, इसलिए वो खुद से कोई फैसला नहीं ले सकता.

दो-दो लाइनें तो फिर LAC क्या है, इसे लेकर विवाद क्या है?

अब तक ये तो आप समझ ही गए होंगे कि भारत और चीन के बीच कभी भी कोई आधिकारिक सीमा नहीं रही. भारत और चीन के बीच जो नियंत्रण रेखा है उसे कहते हैं LAC यानी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल. भारत के लद्दाख, उत्तराखंड, हिमाचल, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होती हुई गुजरती है LAC. लेकिन LAC दोनों देशों का बॉर्डर नहीं है. दरअसल, भारत और चीन के बीच सीमा विवाद है, मतलब भारत के हिसाब से सीमा कहीं और है और चीन के हिसाब से कहीं और.

जैसा कि हमने आपको पहले बताया कि 1962 की जंग में चीन की सेना लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के तवांग तक में अंदर घुस आई थी. बाद में जब युद्धविराम हुआ तो तय हुआ कि दोनों देशों की सेनाएं जहां तैनात हैं, उसे ही LAC माना जाएगा. ये एक तरह से सीजफायर रेखा है. यानी जॉनसन-आर्डाघ लाइन और मैकमोहन लाइन पीछे छूट गईं और एक नया शब्द आ गया LAC.

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अरुणाचल के बूमला में LAC पर गश्त लगाते भारतीय सैनिक | फाइल फोटो: इंडिया टुडे

भारत के मुताबिक LAC की कुल लंबाई 3,488 किमी है.  जबकि चीन इसे नहीं मानता, उसका कहना है कि इसकी लंबाई 2000 किमी ही है. अब दोनों देशों के बीच इस बात का झगड़ा है. दोनों के आंकड़ों में इतना फर्क कैसे? अब ये भी आपको बताते हैं. लद्दाख की ही बात करते हैं यहां अक्साई चिन के इलाके को चीन अपने हिस्से में बताता है, जबकि भारत इसे अपने हिस्से में मानता है. इसी तरह लद्दाख से लेकर अरुणाचल तक कई हिस्सों में चीन के अपने अलग-अलग दावे हैं.  और इसलिए वो LAC को 2000 किमी लंबा ही बताता है.

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कुल मिलाकर कहें तो LAC एक अस्थायी व्यवस्था है, जिसे लेकर दोनों देशों के बीच कई विवाद हैं, जिनका सुलझना बेहद जरूरी है. अगर ये विवाद सुलझ गए तो फिर रोज-रोज की चिक-चिक ही खत्म.

वीडियो: तारीख: अक्साई चिन का असली इतिहास क्या है?