उत्तर प्रदेश सरकार ने एक सीनियर IAS ऑफिसर अभिषेक प्रकाश को सस्पेंड कर दिया है. खबरों के मुताबिक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार के एक मामले में यह कदम उठाया है. इसके अलावा कमीशन मांगने वाले एक आरोपी की गिरफ्तारी भी हुई है. अभिषेक प्रकाश यूपी के औद्योगिक विकास विभाग के सचिव और 'इन्वेस्ट यूपी' के सीईओ थे. इससे पहले वो लखनऊ समेत कई जिलों के डीएम भी रह चुके हैं.
योगी सरकार ने यूपी के सीनियर IAS अधिकारी को सस्पेंड कर दिया, कमीशनखोरी का आरोप
IAS अभिषेक प्रकाश राजधानी लखनऊ के डीएम रह चुके हैं. भ्रष्टाचार के आरोप में उनके बेहद करीबी निकांत जैन को गिरफ्तार किया गया है. जानिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने किस मामले में IAS प्रकाश के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है?

इंडिया टुडे से जुड़े कुमार अभिषेक और संतोष शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक, रिश्वतखोरी का मामले इन्वेस्ट यूपी में सामने आया था. एक बिजनेसमैन ने इसके खिलाफ शिकायत की थी. इसके बाद लखनऊ के गोमती नगर थाने में IAS अभिषेक प्रकाश और उनके करीबी निकांत जैन के खिलाफ केस दर्ज किया गया.
बिजनेसमैन का आरोप है कि सोलर इंडस्ट्री प्रोजेक्ट को मंजूरी देने के लिए IAS अभिषेक प्रकाश ने ‘5 फीसदी कमीशन’ मांगा था. जब बिजनेसमैन ने कमीशन नहीं दिया तो उसकी फाइल रोक दी गई. आरोप है कि कमीशन लेने के लिए अभिषेक ने निकांत जैन को बीच में लिया था. जैन के जरिए ही बिजनेसमैन से कमीशन की मांग की गई.
परेशान बिजनेसमैन ने इसके खिलाफ शिकायत की थी. रिपोर्ट के मुताबिक पहली नजर में आरोप सही पाए गए और पुलिस ने मामले में FIR दर्ज कर ली. उसने बिचौलिए निकांत जैन को गिरफ्तार कर लिया है.

पुलिस के मुताबिक पूछताछ में निकांत जैन ने कुबूल किया है कि IAS अभिषेक प्रकाश के कहने पर ही उसने 5 फीसदी कमीशन मांगा था. इसके बाद 20 मार्च को खबर आई कि इस मामले में अभिषेक प्रकाश को सस्पेंड कर दिया गया है. उनके खिलाफ विभागीय जांच के भी आदेश दिए गए हैं.
अभिषेक प्रकाश 2006 बैच के IAS ऑफिसर हैं. उनका ताल्लुक बिहार से है. सबसे पहले उनकी नियुक्ति यूपी सरकार के वित्त विभाग में हुई. इसके बाद उन्हें लखीमपुर खीरी का डीएम बनाया गया. बाद में उन्होंने बरेली, अलीगढ़, हमीरपुर और लखनऊ के डीएम पद की जिम्मेदारी संभाली.
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, लखनऊ का डीएम रहने के दौरान अभिषेक के ऊपर डिफेंस कॉरिडोर मामले में 20 करोड़ रुपये के घोटाले का भी आरोप लगा था. 2020-22 के दौरान सरोजनी नगर तहसील के भटगांव गांव के पास डिफेंस कॉरिडोर के लिए जमीन अधिग्रहण किया गया था. आरोप है कि इसमें फर्जी दस्तावेजों के सहारे फर्जी आवंटियों के नाम जोड़े गए और 20 करोड़ रुपये का मुआवजा उठाया गया.
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