गृह मंत्रालय के भारतीय साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) के अंदर आने वाला एक पोर्टल है, सहयोग पोर्टल. इसके तहत, सरकार ने अक्टूबर 2024 से 8 अप्रैल, 2025 के बीच अलग-अलग ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स को 130 कॉन्टेंट नोटिस जारी किए हैं. ये नोटिस कॉन्टेंट को ब्लॉक करने के ऑर्डर के रूप में भेजे गए हैं.
Google, अमेजॉन, माइक्रोसॉफ्ट सब नप गए, बस मस्क की 'एक्स' बच गई, ये 'सहयोग' की बात है!
Elon Musk के स्वामित्व वाला सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X अभी तक Sahyog Portal से नहीं जुड़ा है. X ने इसे ‘सेंसरशिप पोर्टल’ कहते हुए सरकार पर मुकदमा दायर किया है. क्या है पूरा मामला?
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जिन प्लेटफॉर्म्स को नोटिस भेजे गए, उनमें गूगल, यूट्यूब, अमेजॉन, ऐप्पल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी नामी कंपनियां शामिल हैं. लेकिन को ‘सहयोग पोर्टल’ के X को इसके तहत नोटिस नहीं भेजा गया. क्यों?
क्योंकि एलन मस्क के स्वामित्व वाला सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X अभी तक सहयोग पोर्टल से नहीं जुड़ा है. X ने इसे ‘सेंसरशिप पोर्टल’ कहते हुए सरकार पर मुकदमा दायर किया है. संभवतः यही कारण हो कि X को इसके तहत नोटिस नहीं भेजे गए हैं.
नोटिस सूचना प्रौद्योगिकी (IT) एक्ट, 2000 की धारा 79(3)(B) के तहत भेजे गए हैं. ये नोटिस IT एक्ट की धारा 69(A) के दायरे से बाहर हैं. जिसका इस्तेमाल आमतौर पर ‘ऑनलाइन सेंसरशिप आदेश’ जारी करने के लिए किया जाता है.
नोटिस में क्या है?अंग्रेजी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस ने सहयोग पोर्टल को लेकर एक RTI आवेदन किया था. इसके जवाब में गृह मंत्रालय ने बताया कि अब तक 65 ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म्स को सहयोग पोर्टल पर शामिल किया गया है. वहीं, 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के नोडल अधिकारी भी इसमें शामिल हैं.
इसके अलावा, सात केंद्रीय एजेंसियों के प्रतिनिधियों को भी इसमें शामिल किया गया है. इन एजेंसियों में I4C, रक्षा मंत्रालय, डायरेक्टर जनरल ऑफ़ GST इंटेलिजेंस (DGGI), भारी उद्योग मंत्रालय, वित्तीय खुफिया इकाई (FIU-IND), ग्रामीण विकास मंत्रालय और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय शामिल हैं.
गृह मंत्रालय के जवाब के मुताबिक़, सहयोग पोर्टल के ज़रिए जारी किए गए ब्लॉकिंग ऑर्डर्स की संख्या 130 है. इस ऑर्डर में कई लिंक भी शामिल हैं, जिन पर प्लेटफॉर्म्स से कार्रवाई की उम्मीद की गई है.
IT एक्ट, 2000 की धारा 79(3)(B) कैसे अलग है?IT एक्ट, 2000 की धारा 79(3)(B) के तहत किसी भी सूचना, डेटा या कम्यूनिकेशन लिंक तक पहुंच को हटाने या रोकने का नोटिस भेजा जाता है. जिसका इस्तेमाल ‘गैरकानूनी काम करने’ के लिए किया जा रहा हो.
जब कोई 'उचित' सरकारी एजेंसी ऐसे किसी कॉन्टेंट को ब्लॉक करने का ऑर्डर दे और प्लेटफ़ॉर्म उस पर कार्रवाई ना करे, तो उन्हें क़ानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है.
धारा 79(3)(B) के तहत भेजे गए नोटिस धारा 69(A) के दायरे से बाहर हैं. इस धारा के तहत अलग-अलग कारणों से ऑर्डर भेजे जा सकते हैं. जबकि धारा 69(A) के आदेश सिर्फ़ राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था से जुड़े क्राइम के लिए भेजे जा सकते हैं.
एक और अंतर है. 79(3)(B) के तहत केंद्र सरकार, राज्य और केंद्र शासित प्रदेश नोटिस भेज सकते हैं. जबकि धारा 69 (A) के ज़रिए कॉन्टेंट हटाने का नोटिस सिर्फ़ केंद्र सरकार करती है.
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X का क्या है आरोप?हमने पहले बताया- ‘सहयोग पोर्टल’ के X को इसके तहत नोटिस नहीं भेजा गया. क्योंकि X ने इसे लेकर मुकदमा दायर किया हुआ है. दरअसल, X कंपनी का कहना है कि ये नियम एक गैरकानूनी और अनियमित सेंसरशिप सिस्टम बनाता है. इसके तहत कॉन्टेंट को ब्लॉक कर प्लेटफॉर्म के संचालन को प्रभावित किया जा रहा है.
X Corp ने कहा है कि कॉन्टेंट हटाने के लिए लिखित में कारण बताना होता है. फ़ैसला लेने से पहले सुनवाई की व्यवस्था करनी होती है. इसमें कानूनी रूप से चुनौती देने का अधिकार भी शामिल है. लेकिन धारा 79(3)(B) में इन सभी बातों की अनदेखी की जा रही है.
X ने अपने प्रतिनिधियों और कर्मचारियों के लिए सुरक्षा की भी मांग की है. ताकि गृह मंत्रालय के पोर्टल सहयोग में शामिल न होने पर उनके ख़िलाफ़ ‘सख्त एक्शन’ ना हो. इस मामले में अगली सुनवाई 24 अप्रैल को होगी.
X के ख़िलाफ़ चल रहे मामले में सरकार ने कुछ अन्य जानकारियां भी शेयर की हैं. इसके मुताबिक़, 20 मार्च 2024 और 20 मार्च 2025 के बीच, I4C ने व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, एक्स, गूगल, यूट्यूब, फेसबुक और स्काइप समेत ऑनलाइन कंपनियों को धारा 79(3)(B) के तहत कुल 426 नोटिस भेजे. हालांकि, ये सब के सब सहयोग पोर्टल के माध्यम से ही नहीं भेजे गए थे. दूसरे ज़रिए से भी ये नोटिस भेजा गया है.
इसमें डीपफेक, अश्लीलता से लेकर चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने वाली 1 लाख से ज़्यादा कॉन्टेंट के लिए रोक के निर्देश शामिल थे.
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