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बीमारी के बहाने जेल से अस्पताल आता, पुलिस से सेटिंग कर घर निकल जाता, रात में आराम कर सुबह वापसी

10 से अधिक मामलों में आरोपी रोहित इलाज के बहाने गुरुग्राम सेक्टर 10 में स्थित एक हॉस्पिटल में भर्ती हुआ था. आरोप है कि इस दौरान न तो उसका कोई इलाज हुआ और न ही उसे कोई दवा दी गई. बजाय इसके वो पुलिस की मदद से हर रोज रात में वजीरपुर स्थित अपने घर चला जाता. सुबह लौट आता.

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कैदी इलाज के बहाने बाहर आकर घर पर पत्नी के साथ समय बिताते पाया गया है. (सांकेतिक तस्वीर-इंडिया टुडे)

हरियाणा के गुरुग्राम में कथित तौर पर एक कैदी सिस्टम में अपनी सेटिंग की मदद से बार-बार जेल से बाहर आता रहा और इलाज के बहाने घर में वक्त बिताता रहा. जेल में बंद ये कैदी इलाज के बहाने बाहर आकर घर पर पत्नी और परिवार के साथ समय बिताते पाया गया है. आरोपी भोंडसी जेल में बंद है. वो इलाज के बहाने अस्पताल में एडमिट होता था. दिन में अस्पताल में रहता और रात में पुलिसकर्मियों की मिलीभगत से घर चला जाता. आरोप ये भी है कि कैदी के घर जाते ही पुलिसवाले अस्पताल में शराब की पार्टी करते थे. मामला सामने आने के बाद कैदी की निगरानी में तैनात तीन पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है.

इंडिया टुडे से जुड़े नीरज कुंदन की रिपोर्ट के मुताबिक 10 से अधिक मामलों में आरोपी रोहित इलाज के बहाने गुरुग्राम सेक्टर 10 में स्थित एक हॉस्पिटल में भर्ती हुआ था. आरोप है कि इस दौरान न तो उसका कोई इलाज हुआ और न ही उसे कोई दवा दी गई. बजाय इसके वो पुलिस की मदद से हर रोज रात में वजीरपुर स्थित अपने घर चला जाता. सुबह होते ही अस्पताल के कैदी बैरक में वापस लौट आता.

बाद में पुलिस और आरोपी की इस सेटिंग की भनक क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी को लगी. उसने 24 मार्च को वजीरपुर स्थित रोहित के घर पर छापा मारकर उसे दोबारा गिरफ्तार किया. इसके बाद इस लापरवाही का खुलासा हुआ. पुलिस ने बताया कि कैदी के घर जाते ही अस्पताल में शराब की पार्टी शुरू हो जाती थी.

पुलिस ने आगे बताया कि इस पार्टी की भनक अस्पताल के एक कर्मचारी को लगी थी. उसी ने क्राइम ब्रांच के एक पुलिसकर्मी को इसकी सूचना दी. इसके बाद कैदी को उसके घर से पकड़ा गया. मामले में गुरुग्राम पुलिस ने कैदी की निगरानी में तैनात हेड कॉन्स्टेबल पवन और दो कॉन्स्टेबल धर्मेंद्र व मोहित को सस्पेंड कर दिया है. इसके अलावा इन पुलिसकर्मियों के खिलाफ सेक्टर 10 थाने में केस दर्ज कर लिया गया है.

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इस मामले ने जेल में बंद अपराधियों और पुलिसकर्मियों के बीच के नेक्सस को पूरी तरह बेनकाब कर दिया है. इस मिलीभगत में अस्पताल के किसी कर्मचारी की भूमिका थी या नहीं, ये अभी साफ नहीं है. रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस के आला अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है. कोई भी इस घटना पर खुलकर बयान नहीं दे रहा है.

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