डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह फिर जेल से बाहर आ गया है (Gurmeet Ram Rahim released). इस बार 21 दिन की छुट्टी (फरलो) पर. वो अपनी दो शिष्याओं के साथ रेप के लिए 20 साल की जेल की सज़ा काट रहा है. हरियाणा सरकार (Haryana Government) के आदेश के बाद उसे रोहतक की सुनारिया जेल से रिहा कर दिया गया है.
गुरमीत राम रहीम के साथ फिर वही हुआ, जो अब तक होता आया है
Dera Sacha Sauda chief released again: रिहाई के दौरान राम रहीम सिरसा स्थित अपने डेरा मुख्यालय में रहेगा. बाहर आकर उसने अपने अनुयायियों को मैसेज देते हुए वीडियो जारी किया है. क्या बोला राम रहीम?

राम रहीम ने बाहर आकर अपने अनुयायियों को मैसेज देते हुए एक वीडियो जारी किया है. इस वीडियो में उसने डेरा सच्चा सौदा के अपने अनुयायियों को डेरे के स्थापना दिवस और स्थापना माह की बधाई दी. उसने अपील की कि इस दौरान लोग अपने घरों में रहें और डेरे के लोग जो बताएं, उसका पालन करें.
इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक़, रिहाई के दौरान राम रहीम सिरसा स्थित अपने डेरा मुख्यालय में रहेगा.
जनवरी 2025 में दिल्ली विधानसभा चुनाव से एक हफ़्ते पहले राम रहीम को 30 दिन की परोल पर रिहा किया गया था. इस दौरान भी वो सिरसा में डेरा के मुख्यालय में रहा. उससे पहले, जब वो जेल से बाहर आया था, तब वो उत्तर प्रदेश के बागपत में डेरा के आश्रम में रहा था.
राम रहीम को परोल और फरलो हरियाणा, पंजाब, दिल्ली या राजस्थान में चुनावों के समय मिले हैं. इन राज्यों, ख़ासकर हरियाणा के कई निर्वाचन क्षेत्रों में डेरा के अनुयायियों की अच्छी खासी संख्या बताई जाती है.
बताते चलें, पंचकूला की एक अदालत ने राम रहीम को रेप के दो मामलों में दोषी पाया था. अगस्त, 2017 में उसे 20 साल की जेल की सज़ा सुनाई गई थी. जज ने उसे प्रत्येक पीड़िता को 15 लाख रुपये का जुर्माना भरने का भी आदेश दिया था.
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फरलो और परोल में अंतरफरलो एक तरह की छुट्टी होती है. इसमें क़ैदी कुछ दिनों के लिए रिहा किया जाता है. सिर्फ़ सज़ा पा चुके क़ैदी को ही फरलो मिलता है. ख़ासकर उन्हें, जिन्हें लंबे वक़्त के लिए सज़ा मिली होती है. इसका मकसद होता है- ‘क़ैदी अपने परिवार और समाज के लोगों से मिल सके’. जेल राज्य का विषय है, इसलिए हर राज्य में इसे लेकर अलग-अलग तरह के नियम होते हैं. मसलन यूपी में फरलो देने का प्रावधान नहीं है.
वहीं परोल पर किसी भी क़ैदी को थोड़े दिन के लिए रिहा किया जा सकता है. फरलो देने के लिए किसी विशेष कारण की ज़रूरत नहीं होती, लेकिन इसमें होती है. परोल तभी मिलती है, जब क़ैदी के परिवार में किसी की मौत हो जाए या ब्लड रिलेशन वाले किसी सदस्य की शादी या कुछ और ज़रूरी कारण हों. परोल देने से इनकार भी किया जा सकता है. अधिकारी समाज के हित में ना होने का हवाला देते हुए, पराल देने से मना कर सकते हैं.
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