The Lallantop

ग्राहम स्टेन्स हत्याकांड का दोषी जेल से रिहा, माला पहनाकर हुआ स्वागत, 'जय श्रीराम' के नारे भी लगे

अमेरिकी मिशनरी ग्राहम स्टेन्स को जिंदा जलाकर मार डालने के अपराध में शामिल महेंद्र हेम्ब्रम को अच्छे व्यवहार के आधार पर जेल से रिहा कर दिया गया. कोर्ट ने उसे हत्या के मामले में दोषी पाया था और आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

post-main-image
महेंद्र हेम्ब्रम को कोर्ट ने अच्छे व्यवहार के आधार पर रिहा कर दिया (Photo: Social Media)

ऑस्ट्रेलिया के एक पादरी थे ग्राहम स्टेन्स. ओडिशा के आदिवासी इलाकों में कुष्ठ रोगियों की सेवा करते थे. 30 सालों से वहां एक्टिव थे. 22-23 जनवरी 1999 के रात की बात है. अपने दो बेटों 10 साल के फिलिप और 6 साल के टिमोथी के साथ ग्राहम अपनी जीप में सो रहे थे. तभी कुछ लोगों ने उनकी जीप में आग लगा दी. उन्हें शक था कि ग्राहम सेवा की आड़ में धर्मांतरण कराते हैं. अपने 2 बेटों के साथ ग्राहम स्टेन्स जीप में जिंदा जलकर मर गए. इस घटना ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया. इस केस में एक साल में 51 लोगों की गिरफ्तारी हुई. 14 दोषी पाए गए. सजा 3 को हुई. सजा पाए इन्हीं लोगों में से एक था महेंद्र हेम्ब्रम. कोर्ट ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. लेकिन 25 साल की कैद के बाद अब उसे रिहा कर दिया गया है.  

रिहाई के बाद स्वागत

'द हिंदू' की रिपोर्ट के मुताबिक, महेंद्र हेम्ब्रम की रिहाई के लिए ओडिशा राज्य सजा समीक्षा बोर्ड (Odisha State Sentence Review Board) ने सिफारिश की थी. इसके बाद कोर्ट ने जेल में 'अच्छे व्यवहार’ के आधार पर हेम्ब्रम को रिहा करने का आदेश दिया. 25 साल की उम्र में सजा मिली. 50 साल का हेंब्रम बुधवार को जेल से बाहर आया. स्वागत में उसके समर्थकों ने उसे माला पहनाई और ‘जय श्रीराम’ के नारे लगाए. 

दारा सिंह जेल में

ग्राहम स्टेन्स को बेटों समेत जिंदा जलाने वाले लोगों में हेम्ब्रम के अलावा दारा सिंह भी मुख्य दोषी है. उसे कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी. हालांकि, बाद में इसे आजीवन कारावास में बदल दिया था. दारा सिंह अब इस मामले का अकेला दोषी है, जो अभी भी जेल में है. उसकी भी रिहाई के लिए भी लगातार अभियान चलाया जा रहा है. कैंपेन को प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन माझी ने भी तब समर्थन दिया था, जब वो क्योंझर से विधायक होते थे.   

ये भी पढ़ेंः जब ग्राहम स्टेंस और उनके 2 बच्चों को दारा सिंह ने धर्मांतरण के शक में ज़िंदा जला डाला 

14 दोषी, 3 को सजा 

ग्राहम स्टेन्स पर धर्मांतरण का आरोप लगाया गया था. इस आशंका में ही उनकी हत्या की गई थी. मामले में साल 1999 से लेकर 2000 के बीच कुल 51 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. इनमें से 37 लोगों को शुरुआती सुनवाई के दौरान बरी कर दिया गया था. दारा सिंह और हेम्ब्रम समेत 14 लोगों को अदालत ने दोषी ठहराया था. बाद में, ओडिशा हाई कोर्ट ने 11 और लोगों को बरी कर दिया. तीन लोगों को सजा हुई, जिसमें हेम्ब्रम और चेंचू हंसदा को आजीवन कारावास और दारा सिंह को मौत की सजा सुनाई गई थी. घटना के वक्त नाबालिग रहे चेंचू हंसदा को अपील के बाद 2008 में रिहा कर दिया गया.

वीडियो: तारीख: कहानी मुर्शिदाबाद की जो एक समय बंगाल की राजधानी था, और अब वहां 'वक़्फ़' को लेकर बवाल हो रहा है