पुर्तगाली राज के जमीन के जाली दस्तावेज (Goa Scam) . जिसमें मरे हुए पुरुष और महिलाओं को विक्रेता बताया गया. और एक गांव जिसके निवासियों को एक सुबह जगने पर पता चला कि गांव के आधे घरों का मालिकाना हक बदल गया. ये कोई फिल्मी कहानी का प्लॉट नहीं बल्कि हकीकत है. इस तरह से गोवा में जमीन हड़पने का धंधा शुरू हुआ. और यह सब सरकारी अधिकारियों की नाक के नीचे और शायद उनकी मिलीभगत से हुआ.
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Goa में जाली दस्तावेज के नाम पर जमीन हड़पने के एक फर्जीवाड़ा का पता चला है. Bombay High Court के रिटायर्ड जस्टिस की अध्यक्षता वाली जांच आयोग ने इस मामले में 622 पेज की रिपोर्ट सरकार को सौंपी है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक ये निष्कर्ष उस जांच आयोग के हैं. जिसका गठन गोवा सरकार ने दो साल पहले दर्जनों ऐसे मामलों की जांच के लिए किया था. आयोग ने बताया कि इस तरह का ऑपरेशन अभिलेखागार (Archives) विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं था. साथ ही कहा कि मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (SIT) को अभी इस पहलू की जांच करनी है.
गोवा सरकार ने 15 जून 2022 क एक SIT का गठन किया. इसका काम जाली दस्तावेजों का उपयोग करके अवैध जमीन ट्रांसफर और जमीन हड़पने के मामलों की जांच करना था. SIT ने लगभग 1.5 लाख वर्ग मीटर जमीन से जुड़ी 44 FIR की जांच की. जिनमें 100 से ज्यादा संपत्तियां शामिल थी. SIT ने इस मामले में अभिलेखागार विभाग के एक रिकॉर्ड अटेंडेंट सहित 56 गिरफ्तारियां की. और अब तक इसमें पांच चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है.
राज्य सरकार ने 9 सितंबर, 2022 को बॉम्बे हाई कोर्ट के एक रिटायर्ड जस्टिस वीके जाधव की अध्यक्षता में एक जांच आयोग नियुक्त किया. आयोग ने 1 नवंबर, 2023 को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी. कैबिनेट ने इस साल जनवरी में इसे स्वीकार कर लिया. 622 पन्नों की रिपोर्ट में घोटाले के खुलासे के बारे में बेहद ही गंभीर कमेंट किये गए हैं.
उदाहरण के तौर पर 4 दिसंबर 1951 की तारीख वाले एक दस्तावेज से पता चलता है कि कैसे ऑगस्टस मोंटेइरो के परिवार को निशाना बनाया गया. दस्तावजों में उनकी पत्नी, सास और साली को उन संपत्तियों के संयुक्त मालिक के तौर पर दिखाया गया है जिन्हें उन्होंने एंटोनियो फ्रांसिस्का पेरेरा को बेचा था. जबकि 1951 में मोंटेइरो की सास एस्परेन्का ओलिवेरा 12 साल की थीं. और उनकी पत्नी और साली का जन्म भी नहीं हुआ था.
दरअसल गोवा के असगाओं में एक गांव है बाडेम. इसके निवासियों को बार-बार निशाना बनाया गया. फरवरी 2022 के आसपास गांव के निवासियों ने नोटिस करना शुरू किया कि गोवा सरकार की वेबसाइट पर कई संपत्तियों के राजस्व रिकॉर्ड में अलग-अलग मालिकों के नाम दिखाई दे रहे थे.
रिपोर्ट में बताया गया कि मुख्य आरोपियों में से एक ने SIT को बताया कि उसने और उसके साथियों ने 93 फर्जी दस्तावेज तैयार किए. और 15 को पहले ही अलग-अलग खरीददारों को बेच दिया है. आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, आरोपी सबसे पहले खाली, लावारिस, बदहाल पैतृक संपत्तियों या फर्नांडिस, रोड्रिग्स और डिसूजा जैसे गोवा के सामान्य नाम वाले मालिकों की संपत्तियों की पहचान करते थे.
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आरोपी सरकारी कार्यालयों और दूसरे स्रोतों से संपत्तियों के मालिकाना संबंधी जानकारी हासिल करते थे. इसके बाद पुर्तगाली युग की सुलेख शैली में लिखे गए नकली और जाली विक्रय विलेख (Deed) तैयार करते थे. जिसे जमीन के असली मालिकों के ब्लड रिलेटिव्स या पूर्वजों द्वारा आरोपियों के नाम पर ट्रांसफर किया हुआ दिखाया जाता था. इसके बाद आरोपी कथित तौर पर अभिलेखागार और पुरातत्व निदेशालय के कर्मचारियों की मदद से जाली बिक्री विलेखों (Deeds) को रिकॉर्ड में शामिल करवा देते थे.
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