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अडानी समूह से कोई सीधा संबंध नहीं... घूस लेने के आरोपों के बाद YSRCP का जवाब आया है

Adani Case: YSRCP ने कहा है कि आंध्र प्रदेश की पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों और अडानी समूह से संबंधित किसी भी अन्य संस्था के बीच कोई सीधा समझौता नहीं है. इसलिए, राज्य सरकार पर लगाए गए आरोप गलत हैं.

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YSRCP ने आरोपों का खंडन किया है. (फाइल फोटो: इंडिया टुडे)

अमेरिकी अदालत में गौतम अडानी (Gautam Adani) और उनके भतीजे सागर अडानी पर एक भारतीय सरकारी अधिकारी को घूस देने के आरोप लगे हैं. आरोप के अनुसार, सोलर प्लांट्स से जुड़े कॉन्ट्रैक्ट्स को हासिल करने के लिए आंध्र प्रदेश सरकार के एक उच्च पदस्थ अधिकारी को घूस दी गई. राज्य में तब जगन मोहन रेड्डी की YSRCP की सरकार थी. YSRCP ने अब इन आरोपों को गलत बताया है.

ब्रुकलिन की अदालत में दायर मामले के अनुसार, गौतम अडानी ने स्टेट डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों को 1750 करोड़े रुपये का भुगतान किया था. इसके बदले कंपनियों ने मैन्यूफैक्चरिंग से जुड़े प्रोजेक्ट्स के लिए सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) से 7 गीगावाट सोलर पावर खरीदने की सहमति दी. 

इन आरोपों पर YSRCP ने अपना जवाब दिया है. पार्टी की तरफ से कहा गया,

"आंध्र प्रदेश की पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों और अडानी समूह से संबंधित किसी भी अन्य संस्था के बीच कोई सीधा समझौता नहीं है. इसलिए, राज्य सरकार पर लगाए गए आरोप गलत हैं."

इस समझौते की प्रक्रिया को समझाते हुए पार्टी ने कहा है,

“आंध्र प्रदेश की वितरण कंपनियां कृषि क्षेत्र को हर साल लगभग 12,500 MU मुफ्त बिजली की आपूर्ति करती हैं. इसलिए सरकार बिजली कंपनियों को लागत के हिसाब से मुआवजा देती है. पिछली सरकारों की नीतियों के कारण, अत्यधिक टैरिफ पर पावर परचेज एग्रीमेंट किए गए थे. इसके कारण राज्य सरकार पर सब्सिडी का बहुत भार पड़ रहा था. इस समस्या को कम करने के लिए राज्य में बनाए जा रहे सोलर पार्कों में 10,000 मेगावाट की सोलर कैपेसिटी को स्थापित करने का प्रस्ताव रखा गया."

उन्होंने आगे कहा,

“इसके लिए आंध्र प्रदेश ग्रीन एनर्जी कॉरपोरेशन लिमिटेड (APGECL) ने नवंबर 2020 में एक टेंडर निकाला. ये टेंडर 6400 मेगावाट बिजली की कुल सौर ऊर्जा क्षमता के विकास के लिए निकाला गया था. 2.49 रुपये से 2.58 रुपये kWh के बीच की दर से कुल 24 बोलियां (बीड) प्राप्त हुईं. हालांकि, इस टेंडर के रास्ते में कानूनी और नियामक स्तर पर कई बाधाएं आईं. और इसलिए ये सफल नहीं हो सका.”

बयान में कहा गया कि राज्य सरकार को बाद में SECI से 2.49 रुपये प्रति kWh की दर पर 7000 मेगावाट बिजली की आपूर्ति करने का प्रस्ताव मिला. पहले मिले प्रस्तावों के सभी दरों में ये सबसे कम था. उन्होंने आगे कहा,

“इसके बाद, आंध्र प्रदेश सरकार ने 25 साल की अवधि के लिए SECI के प्रस्ताव को मान लिया. इसके तहत 3000 मेगावाट की आपूर्ति वित्त वर्ष 2024-25 में, 3000 मेगावाट 2025-26 में और 1000 मेगावाट की आपूर्ति 2026-27 में शुरू होगी. इसमें अंतर-राज्यीय ट्रांसमिशन सिस्टम (ISTS) शुल्क माफ किया जाएगा.”

YSRCP के बयान के अनुसार, 7000 मेगावाट की बिजली खरीद को आंध्र प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (APERC) ने 11 नवंबर, 2021 को मंजूरी दी थी. APERC की मंजूरी मिलने के बाद, SECI और आंध्र प्रदेश की पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों के बीच 1 दिसंबर, 2021 को बिजली बिक्री समझौते (PSA) पर हस्ताक्षर किए गए. इसमें केंद्रीय विद्युत विनियामक आयोग (CERC) की भी मंजूरी थी. 

पार्टी ने अपने बयान में कहा है कि ये प्रोजेक्ट राज्य के हित में था. उन्होंने कहा है कि राज्य को इतनी सस्ते दर पर बिजली खरीदने से हर साल 3700 करोड़ रुपये की बचत होगी. उन्होंने बताया है कि ये समझौता 25 सालों के लिए है, इसलिए राज्य बहुत अधिक लाभ होगा.

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