भारत के पूर्व चीफ जस्टिस (CJI) DY चंद्रचूड़ ने बताया है कि वे अपनी दो विकलांग बेटियों के लिए दिल्ली में घर ढूंढने में मुश्किल महसूस कर रहे हैं. दरअसल, उन्हें ऐसा घर चाहिए जो उनकी बेटियों की खास जरूरतों के अनुरूप हो. पूर्व CJI 30 अप्रैल तक अपना सरकारी घर छोड़ देंगे. लेकिन इससे पहले उन्हें अपनी बेटियों के लिए कोई उपयुक्त जगह नहीं मिली है.
पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ को घर में ढूंढने में हो रही दिक्कत, खुद बताई वजह
पूर्व CJI DY Chandrachud दिल्ली में एक नया घर ढूंढ रहे हैं. हालांकि, अपनी फैमिली के लिए घर ढूंढने में उन्हें काफी मुश्किल हो रही है.

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस चंद्रचूड़ ने ‘मिशन एक्सेसिबिलिटी’ के एक प्रोग्राम 'डिसेबिलिटी राइट्स एंड बियॉन्ड' के पैनल डिस्कशन के दौरान ये बात बताई. उन्होंने कहा,
"हमारी दो खूबसूरत बेटियां हैं, जिनकी जरूरतें हैं, लेकिन उनकी जरूरतों को पूरा करने के लिए घर ढूंढना मुश्किल रहा है. हर पब्लिक स्पेस एक जैसा है. बहुत लंबे समय से हमारे समाज ने दिव्यांगों को अज्ञानता और दमन के पर्दे के नीचे रखा है."
जस्टिस चंद्रचूड़ और उनकी वाइफ कल्पना दास ने दो बेटियों- प्रियंका और माही को गोद लिया है. इन दोनों को 'नेमालाइन मायोपैथी' नाम की बीमारी है. पूर्व CJI ने बताया कि जब उन्होंने इन दोनों बेटियों को गोद लिया था, तो वे बहुत कमजोर थीं. उन्होंने कहा, “हम उन्हें इलाज के लिए अस्पतालों में ले गए. मेरी बड़ी बेटी अपनी छोटी बहन के लिए बहुत फिक्रमंद थी.” जस्टिस चंद्रचूड़ कहते हैं कि इसके बावजूद उनकी बेटियों ने उनकी जिंदगी को नई दिशा दी और परिवार को शाकाहारी खाना और जानवरों के प्रति संवेदनशीलता सिखाई.
सुप्रीम कोर्ट का नेतृत्व कर चुके जस्टिस चंद्रचूड़ ने बताया कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान शीर्ष अदालत में एक 'मिट्टी कैफे' शुरू किया था. ये दिव्यांगों के लिए एक स्पेशल कैफे है, जहां वे काम करते हैं. इस पहल को देखकर राष्ट्रपति भवन में भी 'मिट्टी कैफे' शुरू किया गया.
पूर्व CJI ने यह भी कहा कि कोर्ट में दिव्यांगों से जुड़े मामलों को जल्दी निपटाया जाना चाहिए और इन मामलों के लिए सहानुभूति रखने वाली अदालतों की जरूरत है.
वीडियो: तहव्वुर राणा की सुनवाई के दौरान कोर्ट में क्या हुआ?