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भगवंत मान पर भड़के पंजाब के 'अन्नदाता', किसानों के साथ बैठक बीच में छोड़ उठ गए थे मुख्यमंत्री

Farmers Protest: किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने इसे लेकर बात की. उन्होंने आरोप लगाया कि बैठक के दौरान भगवंत मान बहुत उत्तेजित हो गए थे. राजेवाल के मुताबिक़, भगवंत मान ने किसानों से कहा, ‘5 तारीख को जो करना है करो. अगर करना है तो विरोध करो.’

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किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने उनकी मांगों को ठीक से नहीं सुना. (फ़ोटो - PTI)

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के बीच 3 मार्च को हुई बैठक बेनतीजा रही (Bhagwant Mann Farmers Meet). इसके बाद किसानों ने घोषणा की है कि वो 5 मार्च से चंडीगढ़ में विरोध प्रदर्शन करेंगे. किसानों का आरोप है कि उनकी मांगों को लेकर तीखी नोकझोंक के बाद भगवंत मान बीच में ही उठ खड़े हुए. इसके बाद बैठक से वॉकआउट कर गए.

ये बैठक पंजाब सरकार ने बुलाई गई थी. मकसद था SKM से जुड़े किसान यूनियनों को विरोध प्रदर्शन वापस लेने के लिए राजी करना. लेकिन बैठक खत्म होने के बाद किसानों ने आरोप लगाया कि सीएम ने उनकी बात सुनी ही नहीं. किसान नेताओं ने मुख्यमंत्री के रवैये को दुर्भाग्यपूर्ण और अपमानजनक बताया.

किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने उनकी चिंताओं को खारिज कर दिया और बैठक से बाहर चले गए. इससे पहले, किसानों ने 5 मार्च से हफ़्ते भर का विरोध प्रदर्शन करने की बात कही थी. वहीं, बैठक के बाद किसानों ने फिर इस प्रदर्शन को जारी रखने की बात कही है.

इंडिया टुडे से जुड़े अमन कुमार भारद्वाज और कमलजीत कौर संधु की ख़बर के मुताबिक़, किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने इसे लेकर बात की. उन्होंने आरोप लगाया कि बैठक के दौरान भगवंत मान बहुत उत्तेजित हो गए थे. उनके मुताबिक़, मुख्यमंत्री ने किसानों से कहा, ‘5 तारीख को जो करना है करो. अगर करना है तो विरोध करो.’

राजेवाल ने कहा कि चर्चा सौहार्दपूर्ण रही और कई मुद्दों पर चर्चा हो रही थी. लेकिन अचानक मान उत्तेजित हो गए और बैठक बीच में ही छोड़कर चले गए. भारतीय किसान यूनियन (BKU) एकता उगराहां के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहां की भी मामले पर प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी किसी मुख्यमंत्री को इस तरह का व्यवहार करते नहीं देखा.

बैठक के तुरंत बाद भगवंत मान की भी प्रतिक्रिया आई. उन्होंने X पर एक पोस्ट के ज़रिए कहा,

आज पंजाब भवन में किसानों के साथ बैठक हुई. मैंने उनसे कहा कि चक्का जाम करना, सड़कों और रेलों को रोकना या पंजाब बंद करना, किसी समस्या का हल नहीं है. इन सबसे आम लोगों को परेशान होना पड़ता है. समाज के बाकी वर्गों के कामकाज और कारोबार पर भी इसका बहुत बुरा असर पड़ता है. इसका भी हम ख्याल करें.

पंजाब के मुख्यमंत्री के इस पोस्ट पर प्रदेश के ही कांग्रेस नेता परगट सिंह की भी प्रतिक्रिया आई. उन्होंने लिखा,

पंजाब के किसी भी मुख्यमंत्री ने कभी भी किसानों के साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया, जैसा भगवंत मान कर रहे हैं. ये भाजपा की ध्रुवीकरण की राजनीति करने और किसानों को बदनाम करने की साजिश मात्र है. अगर मुख्यमंत्री असल में पंजाब बंद के बारे में चिंता में होते, तो वो BJP के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार के ख़िलाफ़ कार्रवाई करते. जो बीते एक साल से पंजाब की सीमाएं बंद कर रही है.

किसानों की मांगें क्या हैं?

इस बैठक के बाद किसान नेताओं ने निराशा जताई है. उनका दावा है कि सरकार ने पहले उन्हें 17 में से 13 प्रमुख मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया था. इनमें कृषि से जुड़ी चिंताओं के समाधान के लिए एक सब-कमेटी का गठन शामिल है. साथ ही, NABARD लोन्स के लिए एकमुश्त सेटलमेंट स्कीम भी. इसके अलावा, 1 जनवरी 2023 से सरहिंद फीडर नहर पर स्थापित मोटरों के लिए बिजली बिलों की माफी भी शामिल है. वहीं, 2024-25 तक भूमि पट्टे के मुद्दों को रिजॉल्व किया जाना भी इनमें शामिल है.

किसानों की कुछ अन्य मांगें भी हैं, मसलन-

- आवारा पशुओं से फसल को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए किसानों को राइफल लाइसेंस जारी करना

- किसानों के लिए प्रीपेड बिजली मीटर लागू करना

- किसानों को नैनो-पैकेजिंग और अन्य उत्पादों की जबरन आपूर्ति पर प्रतिबंध लगाना

- बाढ़ से हुई गन्ना फसल की क्षति के लिए मुआवजा देना

- सहकारी समितियों में नये खाते खोलने पर प्रतिबंध हटाना

-  किसानों की दूसरी चिंताओं के समाधान के लिए एडिशनल सब-कमेटी का गठन

- नेशनल लैंड रिसर्च एक्ट के तहत किसानों की मांगों पर ध्यान देना

वीडियो: केजरीवाल के साथ AAP पंजाब विधायकों की बैठक, भगवंत मान ने मीटिंग में क्या कहा?