The Lallantop

ट्रंप के टैरिफ से दुनिया परेशान, मगर खुश क्यों हैं सूरत के कपड़़ा व्यापारी?

अमेरिका (USA) ने भारत समेत दुनिया के कई देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ (Reciprocal Tariff) लगाया है. इससे दुनिया के बाजारों में आने वाले दिनों में बड़े बदलाव दिखाई देंगे. भारत से निर्यात होने वाले झींगा प्रोडक्ट्स को बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है. वहीं, सूरत की कपड़ा इंडस्ट्री के पास बेहतर मौके आ सकते हैं.

post-main-image
डॉनल्ड ट्रंप के टैरिफ एक्शन से भारत में कहीं खुशी कहीं गम का माहौल है (Photo: India Today)

डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) के टैरिफ (USA Tariff News) एलान के बाद भारत में ‘कहीं खुशी कहीं गम’ वाला माहौल है. आंध्र प्रदेश के मछली पालन उत्पादों के लिए जहां यह टेंशन की बात है, वहीं सूरत की कपड़ा इंडस्ट्री इससे थोड़ी खुश नजर आ रही है. ऐसा नहीं है कि डॉनल्ड ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ से इस सेक्टर में निर्यात की लागत नहीं बढ़ेगी, लेकिन कुछ ऐसे समीकरण हैं जिनसे भारत की कपड़ा इंडस्ट्री को अमेरिका के बाजारों में फायदा मिल सकता है. भारत पर अमेरिका के 26 फीसदी टैरिफ से कई सेक्टर्स में निर्यात के नए अवसर खुल सकते हैं.

झींगा निर्यात में नुकसान

बीते दिनों आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने केंद्र को पत्र लिखा था. इस पत्र में उन्होंने राज्य के मछली पालन उत्पादों के लिए मोदी सरकार से मदद मांगी थी. अमेरिका के टैरिफ एलान के बाद नायडू ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि वह झींगा जैसे उत्पादों को अतिरिक्त शुल्क से बचाने में प्रदेश के मछुआरों की मदद करें. 

उन्हें ऐसा क्यों करना पड़ा?
दरअसल, आंध्र प्रदेश बड़ी मात्रा में अमेरिका को झींगा उत्पादों का निर्यात करता है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन ने भारत के एक्वा निर्यात (Aqua Export) पर 27 प्रतिशत का टैरिफ लगाया है. इसके अलावा अमेरिकी वाणिज्य विभाग की ओर से 5.77% प्रतिपूरक शुल्क और 1.38% एंटी-डंपिंग शुल्क लगाया गया है. इससे आंध्र से झींगा के निर्यात की लागत में भारी बढ़ोतरी हो जाएगी. झींगा निर्यात के मामले में भारत का मुख्य प्रतिस्पर्धी देश इक्वाडोर है. अमेरिका ने उस पर केवल 10 प्रतिशत का टैरिफ लगाया है. 

नए टैरिफ की भरपाई के लिए जलीय उत्पाद निर्यातकों (Aqua Products Exporters) को अपने प्रोडक्ट की कीमतें बढ़ानी ही होंगी. इससे अमेरिका के बाजारों में इक्वाडोर, वियतनाम और ताइवान जैसे देशों की तुलना में भारत की झींगा मछली अधिक महंगी हो जाएगी. आंध्र प्रदेश भारत में झींगा उत्पादन में सबसे आगे है और अमेरिका में झींगा निर्यात के हब के तौर पर भी जाना जाता है. अमेरिका भारतीय एक्वा उत्पादों का सबसे बड़ा बाजार है, जहां 2023-24 में 2 लाख 97 हजार 571 मीट्रिक टन एक्वा प्रोडक्ट का निर्यात किया गया था. ऐसे में प्रदेश सरकार इसे लेकर टेंशन में है कि अगर अमेरिकी बाजार में भारतीय झींगा की कीमतें बढ़ीं तो इससे कारोबार को बड़ा घाटा उठाना पड़ेगा.

क्यों खुश है कपड़ा इंडस्ट्री? 

यह तो रही नुकसान की बात. अब चर्चा करते हैं सूरत के कपड़ा इंडस्ट्री की. आजतक ने ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव की रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि टैरिफ एलान के बाद टेक्सटाइल सेक्टर में भारत में सबसे ज्यादा संभावनाएं और मौके हैं. चूंकि अमेरिका ने चीन और बांग्लादेश पर तगड़ा टैरिफ लगाया है. ऐसे में भारतीय कपड़ा बनाने वाली कंपनियों के लिए अमेरिकी बाजार में हिस्सेदारी और निर्यात के मौके बढ़ सकते हैं. कपड़ा प्रोडक्शन में भारत का आधार काफी मजबूत है. कपड़ा उद्योग में भारत के मुख्य प्रतिद्वंद्वियों में चीन है, जिस पर 54 फीसदी टैरिफ लगाया गया है. वहीं वियतनाम पर 46 फीसदी और बांग्लादेश पर 37 फीसदी टैरिफ लगा है. इनके मुकाबले भारत पर अमेरिका ने 26 फीसदी टैरिफ लगाया है. ऐसे में प्रतिद्वंद्वियों के मुकाबले कम टैरिफ और कपड़े की वैश्विक मांग को देखते हुए भारत इस सेक्टर में खूब मौके और लाभ कमा सकता है.

इन सेक्टर्स में भी फायदा

वियतनाम और थाईलैंड में भारी टैरिफ का फायदा भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स, टेलीकॉम और स्मार्टफोन के सेक्टर में भी हो सकता है. भारत इस सेक्टर में भी अपने प्रतिद्वंद्वियों को पीछे छोड़ सकता है. खिलौनों और मशीनरी जैसे सेक्टर्स में चीन और थाईलैंड निर्यात में सबसे आगे हैं. चूंकि इन देशों पर अमेरिका ने भारत के मुकाबले ज्यादा टैरिफ लगाया है. ऐसे में इस सेक्टर्स में भी भारत से निर्यात की हिस्सेदारी बढ़ने की संभावना है.

वीडियो: दुनियादारी: डॉनल्ड ट्रंप ने अली खामेनेई को बातचीत के लिए कैसे तैयार किया?