दिवाली पर पटाखे क्यों फोड़ते हैं? और बकरीद पर बकरे की बलि क्यों देते हैं? हर साल की भांति इस साल भी ये वाली बहस सोशल मीडिया के एल्गोरिथ्म में आ गई है. इस बार इसमें योगदान दिया है बागेश्वर धाम वाले धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Shastri) और बरेली के मौलाना तौकीर रजा (Maulana Tauqeer Raza) ने.
दिवाली पर पटाखे और बकरीद पर बकरे की कुर्बानी पर फिर से बहसबाजी, धीरेंद्र शास्त्री और मौलाना तौकीर रजा ने बढ़ाया विवाद
Maulana Tauqeer Raza ने Dhirendra Shastri का जवाब देते हुए कहा है कि दिवाली धमाकों और पटाखों का नहीं बल्कि रोशनी का त्योहार है.
सोशल मीडिया पर धीरेंद्र शास्त्री का एक वीडियो वायरल है. जिसमें उनसे सवाल पूछा जा रहा है कि दिवाली के समय ऐसे सवाल क्यों आते हैं कि पटाखे फोड़ने से प्रदूषण होते हैं. इस पर शास्त्री जवाब देते हैं,
“ये दुर्भाग्य है कि जब भी कोई हिंदू धर्म का त्योहार आता है तो कोई कानून का डंडा दिखाता है, रोक लगाता है, रोक लगाने की मांग करता है. कल ही मैंने एक न्यूज देखा जिसमें कोई कहा रहा है कि जितने दिये में तेल और घी डाले जाते हैं, उतने में गरीबों का भला हो जाता. हम कहना चाहते हैं कि इस देश में बकरीद भी तो होती है. बकरीद बंद करवा दो, जितने रुपये का बकरा काटा जाता है, वो बचेगा. उसे गरीबों को बांट दो. जीव हिंसा भी नहीं होगी. एक व्यक्ति ने कहा कि पटाखों से प्रदूषण होता है. लेकिन 1 जनवरी को इनका ज्ञान गायब हो जाता है. हैप्पी न्यू ईयर पर दुनिया भर में पटाखे फोड़े जाते हैं.”
शास्त्री यहीं नहीं रूके. उन्होंने आगे कहा,
"ऐसी मांग करने वालों के ही ऊपर सुतली बम रखवाना है."
इन बयानों पर बरेली के मौलाना तौकीर रजा ने प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि दिवाली रोशनी का त्योहार है ना कि धमाकों और पटाखों का. उन्होंने आगे कहा कि अपनी खुशी का इजहार करने में अगर पर्यावरण में प्रदूषण फैल रहा है तो वो खुशी नहीं कहलाएगी. हालांकि रजा ने पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग नहीं की. उन्होंने कहा,
“पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगे लेकिन सीमा तय कर दी जाए. अगर किसी की खुशी से जान-माल की हानि हो रही है तो उसपर सख्ती करना बेहद जरूरी है.”
उन्होंने आगे बताया कि शब-ए-बारात में मुस्लिम समाज के लोग आतिशबाजी करते थे, लेकिन उलेमा ने इस पर पाबंदी लगाई.
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