दिल्ली की एक अदालत ने एक आरोपी को रेप के आरोप से बरी कर दिया है. और आदेश दिया है कि महिला शिकायतकर्ता के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाए. मामले की सुनवाई के दौरान जज ने कई अहम कॉमेंट किये हैं.
कोर्ट ने रेप के आरोपी को किया बरी, जांच में पता चला सब झूठा था, अब महिला के लिए कही ये बात
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा- 'प्रतिष्ठा बनाने में पूरा जीवन लग जाता है. लेकिन इसे मिटाने के लिए कुछ झूठ ही काफ़ी होते हैं. सिर्फ़ बरी कर देने से अभियुक्त की पीड़ा की भरपाई नहीं हो सकती.'

तीस हजारी कोर्ट के एडिशनल सेशन जज अनुज अग्रवाल ने मामले की सुनवाई की. अपने फ़ैसले में उन्होंने कहा कि शिकायतकर्ता महिला ने कोर्ट के सामने झूठा बयान दिया है. इसलिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता [BNS] की धारा 379 (CRPC की धारा 340 के बराबर) के तहत झूठी गवाही के लिए उसके ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज हो. साथ ही चीफ़ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की अदालत में ये शिकायत भेजी जाए.
जज के अहम कॉमेंट्ससुनवाई के दौरान जज ने कहा,
अदालतें सिर्फ़ ये तय नहीं करतीं कि कौन दोषी है और कौन निर्दोष. बल्कि वो पीड़ितों के घावों पर न्याय का रामबाण मरहम लगाने का काम करती हैं. पीड़ित शब्द सिर्फ़ शिकायत करने वाले तक ही सीमित नहीं हो सकता. बल्कि ऐसे मामले भी हो सकते हैं, जहां आरोपी भी वास्तविक पीड़ित बन जाता है. जो अदालत के सामने हाथ जोड़कर खड़ा हो जाता है और अपने लिए न्याय की गुहार लगाता है.
इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक़, जज अनुज अग्रवाल ने आगे कहा,
प्रतिष्ठा बनाने में पूरा जीवन लग जाता है. लेकिन इसे मिटाने के लिए कुछ झूठ ही काफ़ी होते हैं. सिर्फ़ बरी कर देने से अभियुक्त (आरोपी पुरुष) की पीड़ा की भरपाई नहीं हो सकती. जिसने मुकदमे के आघात को झेला है.
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मामला क्या है?हिंदुस्तान टाइम्स की ख़बर के मुताबिक़, उज्जैन की महिला ने नवंबर, 2019 में इस मामले में शिकायत दर्ज कराई थी. उसने आरोप लगाया था कि आरोपी ने उसे घूमने के लिए दिल्ली बुलाया और नबी करीम इलाक़े के एक होटल में उसका रेप और यौन शोषण किया. इसी मामले में अब 4 अप्रैल को सुनवाई हुई है.
सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कोर्ट के सामने कई सबूत पेश किये. मसलन, महिला को ‘यौन शोषण की झूठी शिकायतें देने की आदत’ थी. दिल्ली पुलिस के मुताबिक़, वो पुरुषों से बात करने के लिए अलग-अलग नामों से कई फेसबुक ID का इस्तेमाल करती थी. महिला ने कई व्यक्तियों के ख़िलाफ़ रेप और यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. इन आरोपों को लेकर उसने कई राज्यों में छह मामले दर्ज कराए थे.
बताया गया कि महिला ने एक अन्य व्यक्ति के ख़िलाफ़ शिकायत की थी, जिसे बाद में बरी कर दिया गया था. इसके अलावा, महिला को ‘जबरन वसूली’ के मामलों में अमृतसर और राजस्थान में भी गिरफ़्तार किया गया था.
सबूतों को देखकर कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता के बयानों में ‘विरोधाभास’ है. उसने कभी ये नहीं कहा कि उसके साथ ‘जबरन यौन संबंध’ बनाए गए. बल्कि उसके बयान से ये पता चलता है कि संबंध के लिए उसकी तरफ़ से सहमति थी. ऐसे में कोर्ट ने आरोपी को बरी कर दिया और महिला पर कार्रवाई करने की बात कही.
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