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'ढंग से काम करो या निकल जाओ... ' Rapido पर इतना क्यों भड़क गया दिल्ली हाई कोर्ट?

दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने बाइक राइडिंग ऐप रैपिडो (Rapido) को कड़ी फटकार लगाई है. विकलांगों के लिए रैपिडो की एक्सेसिबिलिटी (Accessibility) को लेकर याचिका कोर्ट में दाखिल थी. सुनवाई करते हुए कोर्ट ने हिदायत दी है कि या तो कंपनी अपनी कमियों को सुधारे या फिर भारत के बाजार से निकल जाए.

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रैपिडो को हाई कोर्ट से फटकार

दिल्ली हाईकोर्ट ने Rapido को कड़ी फटकार लगाई है. कोर्ट ने उसे आदेश दिया है कि वह अपने ऐप को विकलांगों के उपयोग के लिए सुलभ बनाए या फिर भारत में अपनी सेवाएँ बंद कर दे. कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जब तक Rapido विकलांगों के लिए अपनी सेवाओं को पूरी तरह से आसान और सुलभ नहीं बनाता, तब तक उसे भारत के बाजार में संचालन की अनुमति नहीं दी जाएगी.

कंपनी के आंतरिक ऑडिट में Rapido ऐप में 170 एक्सेसिबिलिटी की कमियाँ पाई गई हैं. इन कमियों को सुधारने के लिए कोर्ट ने कंपनी को चार महीने का समय दिया है. Rapido ने अपने बचाव में तर्क दिया कि वह भारत में एक छोटा स्टार्टअप है और उसके पास पर्याप्त फंड नहीं हैं, लेकिन कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया.

क्या है विवाद?

दरअसल, दो दृष्टिबाधित व्यक्तियों ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. उनका आरोप था कि Rapido ऐप का नेविगेशन विकलांगों के लिए बेहद कठिन है और यह एक्सेसिबिलिटी (Accessibility) के मानकों को पूरा नहीं करता.

याचिकाकर्ताओं के वकील राहुल बजाज ने NDTV को बताया कि Rapido ने अदालत में एक Accessibility Audit Report पेश की थी, जिसमें चौंकाने वाले खुलासे हुए. रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी के आंतरिक ऑडिट में भी ऐप में 81 बड़ी एक्सेसिबिलिटी की कमियाँ सामने आई थीं, जो विकलांग उपयोगकर्ताओं के लिए ऐप का इस्तेमाल मुश्किल बनाती हैं.

कंपनी अपने ही ऑडिट में फेल

वकील राहुल बजाज ने बताया कि यह रिपोर्ट Rapido के अपने ऑडिट का नतीजा थी, जो यह दर्शाती है कि कंपनी विकलांगों की जरूरतों को पूरा करने में असफल रही है. इसके अलावा, दिव्यांग उपयोगकर्ताओं की शिकायतें भी इसी ओर इशारा करती हैं कि Rapido ऐप उनके लिए उपयुक्त नहीं है.

मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने न केवल Rapido को फटकार लगाई, बल्कि सड़क और परिवहन मंत्रालय को भी कटघरे में खड़ा कर दिया. कोर्ट ने सवाल उठाया कि मौजूदा कानूनों का पालन किए बिना इस ऐप को काम करने की अनुमति कैसे दी गई. हाईकोर्ट ने सड़क और परिवहन मंत्रालय के संयुक्त सचिव को इस मामले में स्पष्टीकरण देने के लिए कहा है और अगली सुनवाई पर उपस्थित होने का निर्देश दिया है.

अब आगे क्या?

दिल्ली हाईकोर्ट के इस सख्त रुख के बाद Rapido पर भारी दबाव बन गया है. यदि कंपनी जल्द ही अपनी ऐप को विकलांगों के अनुकूल नहीं बनाती, तो उसे अपनी सेवाएँ सस्पेंड (suspend) करनी पड़ सकती हैं.

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