दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है, “कमाने की क्षमता वाली योग्य महिलाओं को अपने पतियों से अंतरिम गुज़ारा-भत्ता नहीं मांगना चाहिए. कानून उनके कुछ न करने की स्थिति को बढ़ावा नहीं देता.” न्यायालय ने यह टिप्पणी गुज़ारा-भत्ता से जुड़े एक मामले में आदेश देते हुए की. हाईकोर्ट ने महिला की गुज़ारा-भत्ता की मांग पर कोई राहत देने से इनकार (Divorce Alimony) कर दिया. साथ ही याचिका भी खारिज कर दी.
'सक्षम महिलाओं को पति से गुजारा-भत्ता नहीं मांगना चाहिए'- बोला हाईकोर्ट
Divorce Alimony: अदालत ने उसे आत्मनिर्भर बनने के लिए सक्रिय रूप से नौकरी की तलाश करने के लिए प्रोत्साहित किया. कोर्ट ने कहा कि महिला के पास काफी एक्सपोजर है. अदालत ने पाया कि महिला के पास ऑस्ट्रेलिया से मास्टर डिग्री है. वह अपनी शादी से पहले दुबई में अच्छी कमाई कर रही थी.

न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, जस्टिस चंद्र धारी सिंह ने 19 मार्च को कहा, “CrPc की धारा 125 (पत्नी, बच्चों और पैरंट्स के भरण-पोषण के लिए आदेश) में पति-पत्नी के बीच समानता बनाए रखने और पत्नियों, बच्चों और माता-पिता को सुरक्षा देने का विधायी इरादा है, लेकिन यह कुछ न करने की स्थिति (idleness) को बढ़ावा नहीं देता है.”
जस्टिस सिंह ने कहा,
एक अच्छी-ख़ासी पढ़ी-लिखी पत्नी, जिसके पास अच्छी नौकरी का अनुभव है, उसे अपने पति से भरण-पोषण पाने के लिए आलस नहीं करना चाहिए. इसलिए, इस मामले में अंतरिम भरण-पोषण को अस्वीकार किया जा रहा है क्योंकि यह अदालत याचिकाकर्ता में कमाने और अपनी एजुकेशन का फायदा उठाने की क्षमता देख सकती है.
हालांकि, अदालत ने उसे आत्मनिर्भर बनने के लिए सक्रिय रूप से नौकरी की तलाश करने के लिए प्रोत्साहित किया. कोर्ट ने कहा कि महिला के पास काफी एक्सपोजर है. वह दूसरी अशिक्षित महिलाओं से इतर दुनियावी चीज़ों से वाकिफ है. अदालत ने पाया कि महिला के पास ऑस्ट्रेलिया से मास्टर डिग्री है. वह अपनी शादी से पहले दुबई में अच्छी कमाई कर रही थी.
अदालत ने कहा कि वे भरण-पोषण मांगने के लिए उसकी ओर से “पहली नज़र में गलत इरादे” को दर्शाते हैं.
क्या था मामला?कपल की शादी दिसंबर 2019 में हुई थी. शादी के बाद दोनों सिंगापुर चले गए थे. महिला ने आरोप लगाया कि पति और उसके परिवार वाले कथित तौर पर उससे ‘क्रूरता’ करते थे. इसी वजह से वह फरवरी 2021 में भारत लौट आई थी.
महिला ने दावा किया कि उसने भारत लौटने के लिए अपने गहने बेचे. आर्थिक तंगी के कारण वह अपने मामा के यहां रहने लगी. जून 2021 में उसने अपने पति से भरण-पोषण की मांग करते हुए एक अर्ज़ी दाखिल की. निचली अदालत ने याचिका खारिज कर दी, जिसके बाद उसने हाईकोर्ट का रुख किया.
महिला ने हाईकोर्ट में दावा किया कि निचली अदालत ने भरण-पोषण के लिए उसकी याचिका को खारिज करके गलती की क्योंकि वह बेरोजगार थी. उसके पास इनकम का कोई स्वतंत्र जरिया नहीं था, जबकि उसका पति अच्छा कमाता था.
महिला के पति ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह कानून का दुरुपयोग है क्योंकि महिला हाइली क्वालिफाइड है और कमाने में सक्षम है. महिला सिर्फ बेरोजगारी के आधार पर भरण-पोषण का दावा नहीं कर सकती.
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