दिल्ली हाईकोर्ट ने सलमान रुश्दी की किताब ‘द सैटेनिक वर्सेज’ (Salman Rushdie satanic verses) के आयात पर लगे बैन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई बंद कर दी है. 1988 में केंद्रीय अप्रत्य़क्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने इस किताब के आयात पर बैन लगाया था. लेकिन कोर्ट में CBIC के अधिकारी उस बैन के नोटिफिकेशन की कॉपी पेश नहीं कर सके.
अब भारत में मंगाई जा सकती है सलमान रुश्दी की किताब 'सैटेनिक वर्सेज', कोर्ट ने फैसला सुनाया है
Delhi Highcourt ने Salman rushdie की किताब द सैटनिक वर्सेज के आयात पर बैन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई बंद कर दी है. साल 1988 में राजीव गांधी की सरकार के समय इस किताब पर बैन लगाया गया था. लेकिन सरकारी ऑथोरिटीज कोर्ट में इस बैन का नोटिफिकेशन प्रस्तुत नहीं कर सकी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने इस याचिका को निरर्थक बताया. और अपने फैसले में कहा कि उसके पास ये मानने के सिवा कोई दूसरा विकल्प नहीं है कि ऐसी कोई नोटिफिकेशन मौजूद ही नहीं है. कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि याचिकाकर्ता इस किताब के संबंध में कानून में उपलब्ध सभी कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है.
संदीपन खान ने एडवोकेट उद्यम मुखर्जी के माध्यम से 2019 में दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. क्योंकि इस किताब पर लगे बैन के कारण वो इसे आयात नहीं कर पा रहे थे. उन्हें अलग-अलग बुक स्टोर्स पर बताया गया कि भारत में इस किताब को बेचने की अनुमति नहीं है. और यह पुस्तक भारत में प्रकाशित भी नहीं हुई है.
संदीपन खान ने अपनी याचिका में कोर्ट से सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 के तहत जारी नोटिफिकेशन को असंवैधानिक घोषित करने और उसे रद्द करने के निर्देश देने की मांग की थी. साथ ही उन्होंने कोर्ट से यह घोषित करने की मांग की थी कि वे किताब को उसके प्रकाशक/ अंतरराष्ट्रीय पुनर्विक्रेता या भारतीय और अंतरराष्ट्रीय ई-कॉमर्स साइट से आयात कर सकते हैं. और ये CBIC की नोटिफिकेशन का उल्लंघन नहीं मानी जाएगी.
संदीपन खान ने तर्क दिया कि बैन की नोटिफिकेशन न तो CBIC की वेबसाइट पर मौजूद थी. और ना ही अधिकारियों के पास उपलब्ध थी. इस याचिका में CBIC के अलावा राजस्व विभाग के सचिव और गृह मंत्रालय की ओर से गृह सचिव भी प्रतिवादी पक्ष में शामिल थे. इन अथॉरिटीज ने कोर्ट में स्वीकार किया कि इस नोटिफिकेशन का पता नहीं लगाया जा सका. इसलिए इसे अदालत में पेश नहीं किया जा सकता है.
हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए अपने जजमेंट में कहा कि कोई भी प्रतिवादी 5 अक्तूबर 1988 को जारी की गई नोटिफिकेशन प्रस्तुत नहीं कर सका. जिसके चलते याचिकाकर्ता संदीपन खान कथित रूप से परेशान हैं. और वास्तव में इस नोटिफिकेशन के कथित लेखक भी 2019 से दायर इस रिट याचिका के लंबित रहने के दौरान इसकी एक कॉपी नहीं पस्तुत कर पाएं. उन परिस्थितियों को देखते हुए हमारे पास यह मानने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है कि ऐसी कोई नोटिफिकेशन मौजूद नहीं है. इसलिए हम इसकी वैधता की जांच नहीं कर सकते हैं.
सलमान रुश्दी 19 जून 1947 को मुंबई में जन्में. उनका परिवार मूल रूप से कश्मीरी मुस्लिम था. जन्म के कुछ सालों बाद ही उनका परिवार ब्रिटेन चला गया. उनकी स्कूली पढ़ाई इंग्लैंड के रग्बी स्कूल से हुई. आगे की पढ़ाई कैम्ब्रिज विश्विविद्यालय से की. 1975 में उनकी पहली किताब ग्राइमस पब्लिश हुई. उनकी दूसरी नोवेल मिडनाइट्स चिल्ड्रेन को 1981 में बुकर प्राइज और 1983 में बेस्ट ऑफ द बुकर्स पुरस्कार से सम्मानित किया गया. सलमान रुश्दी ने 30 के करीब किताबें लिखी हैं. जिनमें फिक्शन, नॉन फिक्शन और बच्चों पर लिखी गई किताबें भी शामिल हैं.
उनकी किताब सैटेनिक वर्सेज विवादित रही है. आलोचना करने वाले इसे इस्लाम के खिलाफ बताते हैं. इसे लेकर उनके ऊपर जानलेवा हमला भी हो चुका है.
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