दिल्ली हाईकोर्ट ने द्वारका स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल (DPS) को फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा है कि इस स्कूल का इस्तेमाल पैसे छापने की मशीन के तौर पर किया जा रहा है. पिछले दिनों खबर आई थी कि फीस ना जमा करने (DPS Dwarka Fees Hike) का हवाला देकर, इस स्कूल में छात्रों का अपमान और उत्पीड़न किया जा रहा है. स्कूल पर आरोप है कि उसने कुछ छात्रों को लाइब्रेरी में बंद कर उनकी गतिविधियों को सीमित कर दिया.
बच्चों को लाइब्रेरी में बंद किया था, दिल्ली हाईकोर्ट ने DPS द्वारका को कड़ी फटकार लगा दी
DPS Dwarka Fee Hike: स्कूल पर आरोप लगे कि उसने छात्रों को लाइब्रेरी में बंद किया. उन्हें रेगुलर क्लास में भाग लेने, कैंटीन में जाने या दोस्तों के साथ बातचीत करने की अनुमति नहीं थी. Delhi High Court ने सवाल उठाया कि क्यों न इस स्कूल को बंद कर दिया जाए और प्रिंसिपल पर मुकदमा चलाया जाए.

DPS द्वारका पर ये आरोप भी लगे कि उसने पिछले कुछ सालों में मनमाने ढंग से फीस बढ़ाई है. जिला मजिस्ट्रेट (दक्षिण-पश्चिम) लक्ष्य सिंघल के नेतृत्व में आठ सदस्यीय निरीक्षण समिति ने इस मामले की जांच की. दिल्ली हाईकोर्ट ने इसी समिति की रिपोर्ट पर सुनवाई की. उन्होंने कहा कि स्कूल ने छात्रों के खिलाफ जो कार्रवाई की है, वो चिंताजनक है. उन्होंने ये भी सवाल उठाया कि क्यों न इस स्कूल को बंद कर दिया जाए और प्रिंसिपल पर मुकदमा चलाया जाए.
दोस्तों से बात करने पर रोक लगा दीरिपोर्ट में खुलासा हुआ कि 2020 से 2025 के बीच स्कूल ने अपनी फीस में क्रमशः 20%, 13%, 9%, 8% और 7% की वृद्धि की है. कई अभिभावकों ने दावा किया कि उन्होंने जब बढ़ाई गई फीस देने से इनकार कर दिया तो उनके बच्चों के खिलाफ कार्रवाई की गई. बच्चों को रेगुलर क्लास में भाग लेने, कैंटीन में जाने या दोस्तों के साथ बातचीत करने की अनुमति नहीं थी. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि इस तरह के व्यवहार को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.
कोर्ट ने स्कूल को स्पष्ट निर्देश दिया कि वो बच्चों के साभ भेदभाव नहीं करेगा. उन्हें अपने दोस्तों और बैचमेट्स से मिलने से नहीं रोकेगा और उन्हें लाइब्रेरी तक सीमित नहीं रखेगा. साथ ही उन्हें कैंटीन में जाने या परिसर में किसी अन्य सुविधा का उपयोग करने से भी नहीं रोकेगा. इसके अलावा, स्कूल को उन छात्रों को तुरंत एक सेक्शन आवंटित करना होगा, जिन्हें अभी तक सेक्शन आवंटित नहीं किया गया है.
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इसके अलावा, हाईकोर्ट ने शिक्षा निदेशालय और जिला मजिस्ट्रेट को स्कूल का नियमित निरीक्षण करने और किसी भी उल्लंघन के मामले में कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने ये भी कहा कि फीस का मामला कानून के ढांचे में रहकर ही सुलझाया जाना चाहिए. 5 मई को इस मामले की अगली सुनवाई होनी है.
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