दिल्ली विधानसभा का बजट सत्र इन दिनों चल रहा है. रोजगार निदेशालय से पूछे गए दो सवालों ने दिल्ली की पिछली यानी केजरीवाल सरकार की रोजगार नीतियों पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. प्रश्न काल में पूछे गए सवाल के जवाब में सरकार ने बताया है कि साल 2019 से लेकर 2024 के बीच दो सरकारी ऑनलाइन एम्प्लॉयमेंट पोर्टल के जरिए सिर्फ दो लोगों को नौकरी मिली है. ये दो नौकरियां भी पिछले साल, यानी 2024 में मिली हैं.
दिल्ली सरकार ने रोजगार पोर्टल चलाने में लाखों खर्च किए, 6 साल में इससे नौकरी सिर्फ 2 लोगों को मिली
Delhi Vidhansabha में पूछे गए सवालों के जवाब में पता चला कि 2019 से 2024 तक दिल्ली की पिछली सरकार के दो रोजगार पोर्टल्स से सिर्फ दो लोगों को नौकरी मिली. क्या है ये मामला?

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली विधानसभा में दो सवाल पूछे गए जिनका जवाब डायरेक्टरेट ऑफ एम्प्लॉयमेंट ने दिया. डायरेक्टरेट ने बताया कि 2019 से 2024 तक के आंकड़ों के आधार पर दोनों पोर्टल्स के जरिए सिर्फ दो लोगों को नौकरी मिली. ये दोनों नौकरियां 2024 में लगीं.
2020 तक दिल्ली सरकार के पास केवल एक अपॉइंटमेंट पोर्टल था. हालांकि, जुलाई 2020 में सरकार ने एक दूसरा प्लेटफॉर्म 'Rozgar Bazaar' लॉन्च किया. ये प्लेटफॉर्म तीन साल से भी कम समय तक चला. 2023 में यह प्लेटफॉर्म बंद हो गया. लेकिन बंद पड़े 'रोजगार बाजार' पोर्टल के लिए सरकार ने दो कर्मचारियों को काम पर रखा है.
जब Covid-19 महामारी पीक पर थी, तब लोगों को रोजगार देने में दिल्ली सरकार के जॉब पोर्टल नौकरी दिलाने में फेल साबित हुए. दिल्ली का पुराना रोजगार पोर्टल (onlineemploymentportal.delhi.gov.in) 2009 से चल रहा है. पांच कर्मचारी इसका मेंटेनेंस करते हैं, जबकि छह लोगों का टेक्निकल स्टाफ कॉन्ट्रैक्ट पर रखा गया है. विधानसभा में दिए जवाब के मुताबिक, इस पोर्टल के रखरखाव पर करीब 34 लाख रुपये खर्च किए गए, जबकि किसी को भी इससे नौकरी नहीं मिली.
2015 से 2024 के बीच दिल्ली सरकार के एंप्लॉयमेंट ऑफिस में करीब 4.4 लाख बेरोजगारों ने रजिस्ट्रेशन कराया. रोजगार दिलाने के लिए सरकार ने पिछले 10 सालों में 10 जॉब फेयर आयोजित किए. जिनमें केवल 36,000 उम्मीदवारों को ही शॉर्टलिस्ट किया गया. सरकार की तरफ से जवाब में यह भी बताया गया है कि पिछले 10 सालों में कोई भी नया एंप्लॉयमेंट एक्सचेंज नहीं खोला गया है.
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