दिल्ली विधानसभा में मोहल्ला क्लीनिक और शराब नीति के बाद नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानी CAG की एक और रिपोर्ट पेश की गई. सोमवार, 24 मार्च के दिन CM रेखा गुप्ता ने दिल्ली परिवहन निगम (DTC) को लेकर ये रिपोर्ट पेश की. इस ऑडिट रिपोर्ट में DTC के साल 2015-16 से लेकर 2021-22 तक के कामकाज की समीक्षा की गई है. इसमें नई बसों को खरीदने, रूट प्लानिंग, किराया और कर्मचारियों की नियुक्त और वित्तीय घाटों से संबंधित कई दावे किये गए हैं.
दिल्ली में बसों की संख्या घटाई, हुआ करोड़ों का घाटा... DTC से जुड़ी CAG रिपोर्ट में हुए बड़े खुलासे
Delhi Assembly में Delhi Transport Corporation पर CAG रिपोर्ट सामने आई है. इसमें पिछली AAP सरकार पर कई आरोप लगाए गए हैं.

CAG रिपोर्ट के मुताबिक, रोजाना 15.62 लाख यात्री DTC का उपयोग करते हैं, लेकिन इसके बाद भी ये घाटे में चल रही है. साल 2015-16 में DTC के पास 4344 बसें थीं, जो 2022-23 में घटकर 3937 रह गईं. रिपोर्ट में ये दावा है कि सरकार के पास पर्याप्त धनराशि होने के बाद भी उन्होंने केवल 300 नई इलेक्ट्रिक बसें ही खरीदीं. वहीं बसों की डिलीवरी में देरी को लेकर कंपनियों पर कोई जुर्माना नहीं लगाया गया. इस जुर्माने की राशि 29.86 करोड़ के आसपास बताई गई.
पुरानी बसों का हाल और रूट प्लानिंगसाल 2015 से 2022 के बीच, DTC में लो फ्लोर "ओवरएज" बसों की संख्या पांच से बढ़कर 656 हो गई. 31 मार्च 2023 तक ये संख्या 1,770 तक पहुंच गई. इस कारण DTC की कार्यक्षमता पूरे भारत के औसत से भी पीछे रह गई.
वहीं रूट प्लानिंग पर रिपोर्ट में खुलासे हुए कि 31 मार्च 2022 तक DTC ने 814 तय रूटों में से केवल 468 रूटों पर ही बसें चलाईं. इससे साल 2015 से 2022 के बीच DTC को 14,198.86 करोड़ का घाटा हुआ.
बस का किराया और CCTVरिपोर्ट ने इस बात को रेखांकित किया कि DTC को किराया बढ़ाने का अधिकार नहीं है, जिससे यह अपना ऑपरेशनल कॉस्ट भी वसूल नहीं कर पाती है. इस कारण सब्सिडी की जरूरत पड़ी.
इसके अलावा दिसंबर 2017 में ऑटोमैटिक फेयर कलेक्शन सिस्टम लाया गया, लेकिन मई 2020 से ये बंद पड़ा है. 52.45 करोड़ रुपये खर्च कर 3,697 बसों में CCTV लगाए गए, लेकिन अब तक ये सही से काम नहीं कर रहे. वहीं इन्हीं परिस्थितियों में DIMTS की क्लस्टर बसों का प्रदर्शन, DTC से बेहतर रहा.
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि DTC में कर्मचारियों के ज्यादातर पद खाली पड़े हैं, लेकिन कंडक्टर जरूरत से ज्यादा हैं. इन्हें अब दूसरे कामों में लगाया जा रहा है. DTC ने कर्मचारियों को लेकर कोई भी संख्या तय नहीं की है. जिससे साल 2013 में नई भर्ती नीति बनी थी, लेकिन तब से इसमें कोई बदलाव नहीं किये गए.
इसके अलावा DTC ने कुछ प्रॉपर्टी किराए पर दी थीं, लेकिन उनका किराया और टैक्स भी वसूल नहीं किया गया. रिपोर्ट के अनुसार, DTC की कुल बकाया राशि 225.31 करोड़ रुपये थी, लेकिन इसे अब तक वसूला नहीं गया.
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