दिल्ली की एक अदालत में सुनवाई के दौरान महिला जज को वकील और उसके मुवक्किल ने खुलेआम गालियां दीं और धमकाया. महिला जज ने चेक बाउंस के एक मामले में 63 साल के व्यक्ति को दोषी ठहराया था. आरोप है कि इस फ़ैसले से नाराज़ दोषी ने महिला जज से कहा, “तू है क्या चीज़... तू बाहर मिल. देखते हैं कैसे ज़िंदा घर जाती है?”
"तू बाहर मिल, देखते हैं कैसे जिंदा जाती है", दिल्ली की महिला जज को कोर्ट में किसने दी धमकी?
आरोप है कि दोषी ठहराए जाने के बाद रिटायर्ड टीचर ने कोर्ट रूम में हंगामा मचा दिया. उसने जज शिवांगी मंगला के ख़िलाफ़ ‘धमकी भरे नारे’ लगाए. साथ ही, जज पर कोई वस्तु ‘फेंकने की कोशिश’ की.
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दोषी शख्स 63 साल का रिटायर्ड सरकारी स्कूल शिक्षक है. बीती 2 अप्रैल को दिल्ली के द्वारका कोर्ट की ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट शिवांगी मंगला मामले की सुनवाई कर रही थीं. सुनवाई के बाद उन्होंने आरोपी को निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 138 के तहत चेक बाउंस मामले का दोषी ठहराया.
आरोप है कि दोषी ठहराए जाने के बाद रिटायर्ड टीचर ने कोर्ट रूम में हंगामा मचा दिया. उसने जज शिवांगी मंगला के ख़िलाफ़ ‘धमकी भरे नारे’ लगाए. साथ ही, जज पर कोई वस्तु ‘फेंकने की कोशिश’ की.
इस फ़ैसले का आदेश अब जाकर रिलीज़ किया गया है. बार एंड बेंच की ख़बर बताती है कि इस आदेश के मुताबिक़, दोषी ने अपने वकील को निर्देश दिया कि वो अपने पक्ष में फ़ैसला सुनाने के लिए हर संभव कोशिश करे. रिपोर्ट के मुताबिक आरोप ये भी है कि मामले को प्रभावित करने की कोशिश में आरोपी और वकील ने महिला जज को 'मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान' भी किया. यहां तक कि उन पर अपने पद से इस्तीफ़ा देने का ‘दबाव' भी बनाया.
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महिला जज ने कहा कि धमकी और उत्पीड़न के लिए आरोपी के ख़िलाफ़ राष्ट्रीय महिला आयोग के सामने मुद्दा उठाया जाएगा. इसके बाद, उचित कार्रवाई की जाएगी.
जज शिवांगी मंगला ने दोषी के वकील अतुल कुमार को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया है. इस नोटिस में स्पष्टीकरण मांगा गया है कि महिला जज के साथ दुर्व्यवहार करने के लिए उनके ख़िलाफ़ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए. वकील को अगली सुनवाई पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक आरोपी को दोषी ठहराने के बाद बीती 5 अप्रैल को जज ने उसे सज़ा भी सुनाई. इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक़, चेक बाउंस मामले में उसे 22 महीने के साधारण कारावास में भेजा गया है. साथ ही, उसे 6.65 लाख रुपये का जुर्माना भरने का निर्देश दिया है.
इसी आदेश में जज ने मामले को द्वारका में दक्षिण-पश्चिम ज़िले के प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज को भी भेज दिया, ताकि 2 अप्रैल के आदेश के संबंध में उचित कार्यवाही करने के लिए इसे दिल्ली हाई कोर्ट को भेजा जा सके.
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