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महिला कर्मी के बाल देख गाया 'ये रेश्मी जुल्फें', यौन उत्पीड़न का केस दर्ज, HC ने खारिज किया

ट्रेनिंग के दौरान विनोद ने महिला के बालों को लेकर मजाक में कहा, "तुम्हें अपने बाल संभालने के लिए जेसीबी का इस्तेमाल करना पड़ता होगा." इसके बाद, उन्होंने महिला को सहज महसूस कराने के लिए मोहम्मद रफी के गाने 'ये रेशमी जुल्फें' की कुछ लाइने भी गा दीं.

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गाने सुनाए जाने पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने की टिप्पणी. (तस्वीर : unsplash+ इंडिया टुडे)

बॉम्बे हाई कोर्ट ने यौन उत्पीड़न के एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि किसी महिला के बालों की लंबाई और घनेपन पर टिप्पणी करना सेक्शुअल हरासमेंट नहीं माना जा सकता. बार एंड बेंच में छपी खबर के मुताबिक, मामला एक प्राइवेट सेक्टर बैंक के दो कर्मचारियों से जुड़ा है. महिला कर्मचारी ने अपने सीनियर पर सेक्शुअल हरामेंट का आरोप लगाया था.

11 जून, 2022 के दिन बैंक के रीजनल मैनेजर विनोद कचावे एक ट्रेनिंग सेशन ले रहे थे. इसी ट्रेनिंग में शिकायत दर्ज कराने वाली महिला कलीग भी मौजूद थी. रिपोर्ट के मुताबिक इस दौरान विनोद ने महिला कलीग के बालों को लेकर टिप्पणी कर दी. उसने देखा कि महिला अपने लंबे बालों को बार-बार संभाल रही है. उस दौरान कथित तौर पर वो असहज लग रही थी. विनोद का कहना है कि उसने माहौल को ‘हल्का’ करने के लिए मजाक में कहा,"तुम्हें अपने बाल संभालने के लिए जेसीबी की जरूरत पड़ती होगी." इसके बाद, उन्होंने महिला को सहज महसूस कराने के लिए मोहम्मद रफी के गाने ‘ये रेशमी जुल्फें’ की कुछ लाइनें भी गा दीं.

रिपोर्ट के मुताबिक महिला सहयोगी को विनोद का ये रवैया पसंद नहीं आया. उसने विनोद से उनकी टिप्पणी पर असहमति भी जताई. उस बात वहीं खत्म हो गई. लेकिन इस घटना के लगभग एक महीने बाद, जुलाई 2022 में, महिला ने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया और बैंक के HR डिपार्टमेंट में विनोद के खिलाफ सेक्शुअल हरासमेंट की औपचारिक शिकायत दर्ज करवा दी.

बैंक ने क्या कार्रवाई की?

शिकायत मिलने के बाद, बैंक की इंटर्नल कंप्लेंट कमेटी (ICC) ने इसकी जांच बैठाई. अक्टूबर 2022 में विनोद को एसोसिएट रीजनल मैनेजर के पद से डिमोट कर डिप्टी रीजनल मैनेजर बना दिया गया. कमेटी ने 30 अक्टूबर के दिन अपनी रिपोर्ट भी पेश की जिसमें विनोद को सेक्शुअल हरासमेंट का दोषी बताया गया. इस फैसले के खिलाफ विनोद ने पुणे की इंडस्ट्रियल कोर्ट में अपील की, लेकिन उनकी याचिका खारिज हो गई. इसके बाद उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.

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जस्टिस संदीप मारणे की सिंगल बेंच ने इस मामले की सुनवाई की. विनोद की वकील सना रईस खान ने दलील दी कि घटना के समय शिकायतकर्ता ने कोई आपत्ति नहीं जताई थी, और घटना के बाद भी दोनों के बीच पेशेवर संबंध सामान्य थे. सना ने तर्क दिए कि यदि आरोपों को सही भी मान भी लिया जाएं, तब भी वे कानून के तहत सेक्शुअल हरासमेंट की कैटेगरी में नहीं आते.

बॉम्बे हाई कोर्ट ने क्या कहा?

जस्टिस संदीप मारणे ने विनोद को राहत देते हुए बैंक की इंटर्नल कमेटी की रिपोर्ट को अस्पष्ट बताया. उन्होंने कहा,

“बालों पर की गई टिप्पणी को देखते हुए यह मानना मुश्किल है कि इसे यौन उत्पीड़न के इरादे से कहा गया था.”

कोर्ट ने कहा कि इंटर्नल कमेटी ने केवल कई गवाहों के आरोपों की पुष्टि की है. लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया कि किस बेस पर इसे सेक्शुअल हरासमेंट माना था. कोर्ट ने टाइमिंग पर भी सवाल उठाए और कहा कि शिकायतकर्ता ने कंपनी से इस्तीफे के तुरंत बाद ही क्यों शिकायत दर्ज कराई.

कोर्ट ने इंडस्ट्रियल कोर्ट के फैसले और इंटर्नल कमेटी की रिपोर्ट को रद्द कर दिया और कहा कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए शिकायतकर्ता पर सेक्शुअल हरासमेंट का कोई मामला नहीं बनता.

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