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परिवार के करीबी ने चूमा, 2 साल के बच्चे ने खो दी आंख

जुवान की आंख का घाव इतना गहरा हो गया था कि इससे कई दूसरे इन्फेक्शन भी हो गए. आखिर में इन्फेक्शन को रोकने के लिए डॉक्टरों को उसकी आंखों को सिलना पड़ा ताकि बचा हुआ टिशू किसी और संक्रमण से सुरक्षित रह सके.

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रिश्तदारों द्वारा चूमे जाने पर बच्चे की आंख की रौशनी गई .( तस्वीर : डेली मेल)

बच्चे क्यूट होते हैं ये बताने की जरूरत नहीं. लेकिन यहां ये बात इसीलिए बताई क्योंकि इस क्यूटनेस की कीमत एक बच्चे को अपनी आंख गंवा कर चुकानी पड़ी. उसके माता-पिता दुनिया भर के पैरेंट्स से अपील कर रहे हैं कि वे रिश्तेदारों और अन्य करीबी लोगों को अपने छोटे बच्चों को चूमने ना दें.

मामला अफ्रीकी देश नामीबिया का है. यहां के एक दंपती का कहना है कि रिश्तदारों के चूमने से उनके बच्चे की एक आंख खराब हो गई. खबर के मुताबिक बच्चे का नाम जुवान है. उसकी उम्र दो साल है. जुवान की मां मिशेल साइमैन ने दुनिया के सभी माता-पिता से ये अपील की है कि वे अपने नवजात बच्चों को रिश्तेदारों और दोस्तों के चूमने की आदत से दूर रखें. उनके मुताबिक डॉक्टरों ने इसके पीछे का कारण हर्पीस सिंप्लेक्स वायरस (HSV-1) को बताया है.

डेली मेल में छपी खबर के मुताबिक, अगस्त 2024 में जुवान के माता-पिता को उसकी बाईं आंख में इन्फेक्शन के लक्षण दिखे थे. जुवान उस समय 16 महीने का ही था. माता-पिता को लगा कि यह साधारण सा आई इन्फेक्शन है. इसलिए उन्होंने डॉक्टर से सलाह ली. डॉक्टरों ने उसे एंटीबायोटिक्स दीं और घर भेज दिया. लेकिन दो दिन बाद मिशेल को एहसास हुआ ये सामान्य इन्फेक्शन नहीं है.

36 साल की मिशेल ने फेसबुक पर लिखा,

“हमने देखा कि उसकी आंख के अंदर कुछ अजीब सा उभर रहा था. उसकी आंख में कोई हलचल ही नहीं थी. वह अपनी आंख को खरोंच रहा था, लेकिन उसे कोई दर्द नहीं हो रहा था.”

जुवान की जांच हुई तो डॉक्टरों को पता चला कि उसे हर्पीस सिंप्लेक्स वायरस (HSV-1) के कारण कोल्ड सोर (Cold Sore) हुआ है.

इन्फेक्शन से जुवान की आंख में फफोला (ब्लिस्टर) बन गया, जो धीरे-धीरे बढ़ते हुए उसके कॉर्निया (cornea) में 4 मिलीमीटर का छेद कर गया. कॉर्निया आंख की सबसे बाहरी पारदर्शी परत होती है, जिसकी मदद से हम साफ देख पाते हैं.

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यही नहीं, घाव इतना गहरा हो गया था कि इससे कई दूसरे इन्फेक्शन भी हो गए. आखिर में इन्फेक्शन को रोकने के लिए डॉक्टरों को उसकी आंखों को सिलना पड़ा ताकि बचा हुआ टिशू किसी और संक्रमण से सुरक्षित रह सके. लेकिन इससे जुवान की बाईं आंख से देखने की क्षमता पूरी तरीके से चली गई.

कैसे पता चला?

डॉक्टरों ने बताया कि संक्रमण फैलाने वाले व्यक्ति के चेहरे या होंठ पर कोल्ड सोर था. जिसके बाद ये व्यक्ति युवान के संपर्क में आया होगा. डॉक्टरों ने बताया कि युवान के माता-पिता में ये संक्रमण नहीं था. वहीं मिशेल ने बताया कि मुमकिन है कि किसी ऐसे व्यक्ति ने उनके बच्चे को आंख के पास या हाथ पर चूमा होगा. बाद में, जब जुवान ने अपनी आंख को छुआ हो, तब ये वायरस उसकी आंख में चला गया होगा.

कैसे बचेगी आंख?

डॉक्टरों ने बताया कि एक कठिन सर्जरी के जरिए युवान के पैर से नसें ली जाएंगी और उसे आंख के सॉकेट में लगाया जाएगा. इससे आंख और दिमाग के बीच नर्वस सिस्टम को फिर से जोड़ने में मदद मिलेगी. अगर यह सर्जरी सफल रही, तो जुवान का विजन वापस आने की संभावना होगी.

कोल्ड सोर क्यों खतरनाक है?

रीवा स्थित ब्लॉसम चिल्ड्रेन अस्पताल में बच्चों के विशेषज्ञ मोहम्मद तारिक कमाल बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर तारिक ने बताया कि बच्चों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, इस कारण उन्हें इस वायरस से ज्यादा खतरा होता है. कुछ मामलों में ये वायरस ब्रेन के कई अन्य हिस्सों को डैमेज कर सकता है. इससे कई अंगों का अपंग होना, दिमाग पर प्रेशर बढ़ना जैसे लक्षण दिखने लगते हैं.

डॉक्टर तारिक ने बताया कि भारत में भी इसके कई मामले देखने को मिलते हैं. अभी तक हर्पीस सिंप्लेक्स वायरस (HSV-1)  का टीका उपलब्ध नही है, लेकिन समय पर सभी जरूरी टीके लगवाने से बच्चों के इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाया जा सकता है. इससे इसके खतरे को कम किया जा सकता है.

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