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सुप्रीम कोर्ट में 'टीचर' बन गए CJI संजीव खन्ना, नए वकीलों को दिया बड़ा सबक

चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने वकीलों से कहा, "सुप्रीम कोर्ट को आपसे बहुत उम्मीद है. एक केस अपने पेट के लिए लड़ें तो एक केस समाज के लिए."

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(फोटो- X @barandbench)

सिर्फ वकील का एग्ज़ाम पास कर लेने भर से सुप्रीम कोर्ट में केस नहीं लड़ा जा सकता. इसके लिए एग्ज़ाम होता है. ये एग्ज़ाम पास करने के बाद वकीलों को कहा जाता है ‘एडवोकेट ऑन द रिकार्ड (AOR)'. तभी जाकर वकील देश की सबसे बड़ी अदालत में केस लड़ सकते हैं. 21 फरवरी के रोज़ AOR का नया नवेला बैच सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना से मुख़ातिब हुआ. 

नए नवेलों से बातचीत में CJI संजीव खन्ना ने कहा, 

“सुप्रीम कोर्ट को आपसे बहुत उम्मीद है. एक केस अपने पेट के लिए लड़ें तो एक केस समाज के लिए. वो अच्छा भी होगा और प्रोबोनो केस (ज़रूरतमंद लोगों के लिए मुफ्त में केस लड़ना) का आप रिकॉर्ड भी रख पाएंगे.”

वहीं जस्टिस पीवी संजय कुमार ने कहा, “अपनी जिरह को साफ और संक्षेप में रखें.” 

इस दौरान CJI ने अपने वकालत के दिनों का एक किस्सा सुनाया. CJI खन्ना ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस लॉ सेंटर से कानून की पढ़ाई की है. जजशिप में आने के पहले वे दिल्ली की जिला अदालतों और बाद में दिल्ली हाई कोर्ट में वकालत भी कर चुके हैं. तो CJI खन्ना ने कहा, 

“एक बार मुझसे विदेश में चल रहे केस के लिए याचिका का ड्राफ्ट तैयार करने को कहा गया. मैंने तीन पेज का अर्ग्युमेंट तैयार करके दे दिया. वकील ने मुझे वो वापस लौटा दिया और कहा कि हमने इसे तीन पैराग्राफ में समेट दिया. तो आप सभी ध्यान रखिए. आपके जिरह की लंबाई नहीं, कभी-कभी आपके पेपरवर्क की लंबाई की भी अहमियत होती है.”

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