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चीनी हैकर्स ने डॉनल्ड ट्रंप के कैंपन एडवाइजर का फोन कॉल हैक किया

US Presidential Election: अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव से पहले राजनेता और उनके कैंपेन से जुड़े लोगों के कॉल की ऑडियो रिकॉर्डिंग को इंटरसेप्ट करने की कोशिश हुई है. इस हैकिंग के पीछे चीन की सरकार से जुड़े हैकर्स का हाथ बताया जा रहा है.

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डॉनल्ड ट्रंप के कैंपेन एडवाइजर का फोन हैक हुआ. ( फाइल फोटो, इंडिया टुडे)

अमेरिकी चुनाव (US Election 2024) में 10 दिन से भी कम का समय बचा है. इस बीच ऐसी खबरें आई हैं कि अमेरिकी राजनेताओं के कॉल की ऑडियो रिकॉर्डिंग को इंटरसेप्ट करने की कोशिश हुई है. जिनमें पूर्व राष्ट्रपति और रिपब्लिकन कैंडिडेट डॉनल्ड ट्रंप के एक कैंपेन एडवाइजर का भी नाम शामिल है. इस हैकिंग के पीछे चीनी सरकार से जुड़े हैकर्स का हाथ बताया जा रहा है.

वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, FBI, अमेरिकी साइबर सुरक्षा और इंफ्रास्ट्रक्चर सुरक्षा एजेंसी इस घटना की जांच कर रही है. जिसमें चीन से जुड़े लोगों ने अमेरिकी वाणिज्यिक दूरसंचार बुनियादी ढांचे तक  अनधिकृत पहुंच बनाने की कोशिश की थी. हालांकि ट्रंप के कैंपेन और FBI ने इस घटना से संबंधित कोई बयान जारी नहीं किया है. रिपोर्ट में आगे बताया गया कि हैकर्स ने अनएन्क्रिप्टेड संचार यानी टेक्स्ट मैसेज को भी इंटरसेप्ट करने की कोशिश की है.

इससे पहले समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने बताया था कि चीन से जुड़े हैकर्स ने डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति कैंडिडेट कमला हैरिस के कैंपेन से जुड़े लोगों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले फोन को निशाना बनाया था. पिछले सप्ताह आई अलग-अलग मीडिया संस्थानों की रिपोर्ट्स के अनुसार पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और उनके साथी उप राष्ट्रपति उम्मीदवार जेडी वेंस के फोन कॉल्स को भी निशाना बनाया गया था.

इस साल की शुरुआत में डॉनल्ड ट्रंप के कैंपेन को ईरानी हैकर्स ने हैक कर लिया था. अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट ने ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के तीन सदस्यों पर हैकिंग का आरोप लगाया था. उन पर 5 नवंबर को होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को बाधित करने की कोशिश करने का आरोप लगाया था.

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न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, डॉनल्ड ट्रंप के कैंपेन को पिछले सप्ताह पता चला कि ट्रंप और जेडी वेंस दोनों उन लोगों में शामिल हैं जिनके फोन नंबर को वेरिजोन सिस्टम में घुसपैठ के माध्यम से टारगेट किया गया था. वेरिजोन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी मोबाइल नेटवर्क कंपनी है.

वाशिंगटन स्थित चीनी दूतावास ने पिछले हफ्ते इस मामले पर जवाब दिया था. उन्होंने बताया कि उन्हें किसी भी  तरह के हैकिंग के प्रयासों की जानकारी नहीं है. उन्होंने आगे बताया कि बीजिंग सभी तरह के साइबर अटैक का विरोध करता है. और उनका मुकाबला करता है. 

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