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सबसे बड़े नक्सल विरोधी ऑपरेशन से डरे माओवादी, बोले- 'शांति वार्ता के लिए हमेशा तैयार'

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने एक प्रेस रिलीज जारी कर इस ऑपरेशन को रोकने की अपील की है और शांति वार्ता का प्रस्ताव दिया है.

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छत्तीसगढ़-तेलंगाना बॉर्डर पर नक्सलियों के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन चल रहा है. (तस्वीर-इंडिया टुडे)

छत्तीसगढ़-तेलंगाना बॉर्डर पर नक्सलियों के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन चल रहा है. इस ऑपरेशन में करीब 10 हजार जवान शामिल हैं. यह अभियान पिछले 5 दिनों से चलाया जा रहा है. इसमें अब तक 5 नक्सलियों को ढेर कर दिया गया है. इन सबके बीच भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने एक प्रेस रिलीज जारी कर इस ऑपरेशन को रोकने की अपील की है और शांति वार्ता का प्रस्ताव दिया है. 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रतिबंधित नक्सली संगठन CPI (माओवादी) के शीर्ष नेताओं सहित लगभग 500 लड़ाके इसी इलाके में छिपे हुए हैं. शुक्रवार, 25 अप्रैल को CPI (M) ने प्रेस रिलीज जारी कर कहा,

"सभी लोग चाहते हैं समस्या का समाधान शांति वार्ता के जरिए हो. शांति वार्ता के लिए हमारी पार्टी हमेशा तैयार है. हमारी पार्टी की केंद्रीय कमेटी ने भी शांति वार्ता को लेकर पत्र जारी किए थे. विश्वास की कमी को दूर करने के लिए हमारी तरफ से लगातार प्रयास जारी हैं. लेकिन सरकार की मंशा अलग दिख रही है. शांति वार्ता के जरिए समस्या हल होने की संभावना रहने के बावजूद, सरकार दमन व हिंसा के प्रयोग से समस्या का समाधान करने का प्रयास कर रही है. इसी का नतीजा है बीजापुर-तेलंगाना सीमा पर एक बड़े सैन्य अभियान को लॉन्च किया गया. इस अभियान को तुरंत रोका जाना चाहिए. सुरक्षा बलों को वापस लिया जाना चाहिए."

सीपीआई
CPI

प्रेस रिलीज में माओवादी संगठन ने आगे लिखा,

“हम सरकार से अनुरोध कर रहे हैं कि वार्ता के जरिए समस्या का समाधान का रास्ता अपनाए. अनुकूल माहौल बने. इस रास्ते से सकारात्मक नतीजे निकलेंगे. बंदूक के बल पर समस्या का समाधान करने के लिए सरकार द्वारा चलाए जा रहे करार सैन्य अभियान को एक महीने के लिए स्थगित करें. हमारी इस अपील पर सरकार की सकारात्मक प्रतिक्रिया की उम्मीद के साथ हम प्रतीक्षा करेंगे.”

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़-तेलंगाना बॉर्डर पर चलाए जा रहे इस ऑपरेशन में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) और इसके विशिष्ट कमांडो बटालियन फॉर रेसोल्यूट एक्शन (CoBRA) के अलावा रिजर्व गार्ड, बस्तर फाइटर्स और छत्तीसगढ़ पुलिस के विशेष कार्य बल के जवान शामिल हैं. साथ ही तेलंगाना पुलिस के जवान भी बड़ी संख्या में शामिल हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक एक अधिकारी ने बताया कि इस जगह को PLGA (पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी) बटालियन नंबर 1 का बेस माना जाता है, जो माओवादियों का सबसे मजबूत सैन्य गठन है. उन्होंने आगे बताया कि खुफिया जानकारी से पता चलता है कि PLGA बटालियन नंबर 1, तेलंगाना राज्य समिति और माओवादियों की दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी से जुड़े 500 से ज्यादा नक्सली हिडमा और दामोदर जैसे वरिष्ठ माओवादियों के नेतृत्व में इस इलाके में छिपे हुए हैं.

अधिकारी ने कहा, "यह एक अहम ऑपरेशन है क्योंकि यह PLGA बटालियन नंबर 1, दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (DKSZC) और तेलंगाना राज्य समिति में माओवादियों के थिंक टैंक को निशाना बनाकर प्रतिबंधित CPI (माओवादी) की सैन्य ताकत को खत्म करने की लड़ाई होगी."

इसी अभियान के तहत गुरुवार, 24 अप्रैल को तीन नक्सली मारे गए थे. इसकी जानकारी देते हुए अधिकारी ने कहा कि यह ऑपरेशन लंबा चलेगा. उन्होंने आगे कहा कि अभी तक हमारे सभी जवान सुरक्षित हैं. कठिन इलाके और भीषण गर्मी को छोड़कर कोई समस्या नहीं है. अधिकारी ने कहा कि ऑपरेशन में हेलीकॉप्टर और ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है.

बता दें कि इस साल अब तक राज्य में अलग-अलग मुठभेड़ों में 144 नक्सली मारे जा चुके हैं. इनमें से 128 नक्सली बस्तर संभाग में मारे गए हैं. इसमें बीजापुर समेत सात जिले शामिल हैं.

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