छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के रायगढ़ जि़ले में एक दलित व्यक्ति की कथित तौर पर चावल चोरी के नाम पर पीट-पीटकर हत्या कर दी गई (Dalit man beaten to death). मामले में 3 संदिग्धों को गिरफ़्तार किया गया है. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का दावा है कि ये मॉब लिंचिंग का मामला है. वहीं, पुलिस ने कहा है कि ये मामला भारतीय न्याय सहिंता (BNS) की 103(2) यानी मॉब लिंचिंग के तहत आने वाले क्राइम का नहीं है. पुलिस ने बाक़ी लोगों के संलिप्तता की जांच की भी बात की है.
चावल चोरी के नाम पर दलित को पेड़ से बांधा, पीट-पीटकर मार डाला, मॉब लिंचिंग का आरोप
Chhattisgarh Dalit man beaten to death: पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ़्तार किया है. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने BNS की धारा 103(2) यानी मॉब लिंचिंग के तहत मामला दर्ज करने की मांग की है. वहीं, पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मामला BNS की धारा 103(2) में बताए गए मानदंड़ों को पूरा नहीं करता.

घटना 22-23 दिसंबर की दरम्यानी रात रायगढ़ ज़िले के डुमरपुर गांव में हुई. राजधानी रायपुर से दूरी लगभग 250 किलोमीटर. 50 साल के वीरेंद्र सिदार(मुख्य संदिग्ध) ने पुलिस को बताया कि वो किसी शोर से जागा. तब उसने देखा कि पंचराम सारथी उर्फ़ बुटू उसके घर में घुसा है और चावल की बोरी को चुराने की कोशिश कर रहा है. ऐसे में उसने अपने पड़ोसियों अजय प्रधान(42) और अशोक प्रधान(44) को बुलाया. फिर तीनों ने मिलकर पंचराम को एक पेड़ से बांध दिया.
इंडियन एक्सप्रेस से जुड़े जयप्रकाश एस. नायडू की ख़बर के मुताबिक़, पुलिस सूत्रों का कहना है कि गांव के सरपंच ने 23 दिसंबर को पुलिस को घटना की ख़बर दी. जब पुलिस घटनास्थल पर पहुंची, तो पीड़ित पंचराम(चोरी के संदिग्ध) बेहोश होकर पेड़ पर बंधे हुए पड़े थे. पुलिस ने बताया कि उन्हें बांस के डंडों से पीटा गया और लात-घूंसों से मारा गया था. तीनों संदिग्धों पर BNS की धारा 103(1) के तहत (हत्या) मामला दर्ज किया गया है.
पुलिस अन्य लोगों के संलिप्तता की जांच कर रही है. लेकिन मामले पर विरोध भी हो रहा है. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने BNS की धारा 103(2) यानी मॉब लिंचिंग के तहत मामला दर्ज करने की मांग की है. रायगढ़ ज़िले के वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता डिग्री प्रसाद चौहान ने आरोप लगाया कि गांव वालों ने भीड़ के रूप में पीड़ित पंचराम पर चोरी का आरोप लगाकर पकड़ा, उसे रस्सी से खंभे में बांध दिया और पीट-पीटकर उसकी हत्या कर दी.
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उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में बताया,
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उस पर हमला करने के पीछे क्या कारण था. क्या वो कानून अपने हाथ में ले सकते हैं? ये मॉब लिंचिंग का मामला है.
बताते चलें, BNS की धारा 103(2) में कहा गया है- जब 5 या उससे ज़्यादा व्यक्तियों का ग्रुप मिलकर नस्ल, जाति या समुदाय, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, व्यक्तिगत विश्वास या किसी अन्य समान आधार पर हत्या करता है, तो ऐसे ग्रुप के हर मेंबर को मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी और जुर्माना भी देना होगा.
दूसरी तरफ़, सीनियर पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मामला BNS की धारा 103(2) में बताए गए मानदंड़ों को पूरा नहीं करता.
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