इंडियन क्रिकेटर युजवेंद्र चहल और धनश्री वर्मा के अलग होने का दावा हाल ही में सुर्खियों में रहा. अब बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मामले में अहम फैसला दिया है. कोर्ट ने बांद्रा मजिस्ट्रेट कोर्ट के उस निर्णय को पलट दिया, जिसमें चहल और धनश्री के तलाक के लिए छह महीने के अनिवार्य कूलिंग-ऑफ पीरियड को छोड़ने से इनकार किया गया था. हाई कोर्ट ने फैमिली कोर्ट को निर्देश दिया है कि वो 20 मार्च, 2025 यानी कल तक तलाक की याचिका पर अंतिम फैसला सुनाए. ऐसी मांग इसलिए की गई है ताकि चहल की इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) 2025 में भागीदारी प्रभावित न हो. IPL 22 मार्च से शुरू हो रहा है. चहल इस बार पंजाब किंग्स (PBKS) के लिए खेलेंगे.
युजवेंद्र चहल और धनश्री का कल ही हो सकता है तलाक, वजह IPL से जुड़ी है
कोर्ट ने सहमति की शर्तों का हवाला भी दिया, जिसके तहत चहल को धनश्री को 4.75 करोड़ रुपये का भुगतान करना था. अदालत ने बताया कि उन्होंने 2.37 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया था. इतना ही नहीं, फैमिली कोर्ट ने मैरिज काउंसलर की एक रिपोर्ट का हवाला भी दिया.

चहल और धनश्री ने 5 फरवरी, 2025 को बांद्रा फैमिली कोर्ट में आपसी सहमति से तलाक की अर्जी दायर की थी. इंडिया टुडे से जुड़ीं विद्या की रिपोर्ट के मुताबिक हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 13बी के तहत, तलाक के लिए छह महीने की कूलिंग-ऑफ अवधि अनिवार्य होती है, ताकि दंपती को सुलह का मौका मिल सके. हालांकि, अगर समझौते की कोई संभावना न हो तो इस अवधि को इग्नोर किया जा सकता है. चहल और धनश्री ने हाई कोर्ट में संयुक्त याचिका दायर कर इस अवधि को ‘माफ’ करने की अपील की थी. जस्टिस माधव जामदार की बेंच ने इस मांग को स्वीकार कर लिया है.
कोर्ट ने सहमति की शर्तों का हवाला भी दिया, जिसके तहत चहल को धनश्री को 4.75 करोड़ रुपये का भुगतान करना था. अदालत ने बताया कि उन्होंने 2.37 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया था. इतना ही नहीं, फैमिली कोर्ट ने मैरिज काउंसलर की एक रिपोर्ट का हवाला भी दिया, जिसमें संकेत दिया गया था कि मध्यस्थता प्रयासों का केवल आंशिक रूप से अनुपालन किया गया था.
इसके बाद चहल और धनश्री ने मुंबई में फैमिली कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में संयुक्त याचिका दायर की थी. सुनवाई के दौरान जस्टिस जामदार ने कहा, "ये एक दुर्लभ मामला है, जिसमें कोई प्रतिवादी नहीं है, क्योंकि चहल और वर्मा दोनों ने संयुक्त रूप से याचिका दायर की थी." बेंच ने आगे कहा कि सहमति की शर्तों का पालन किया गया था, क्योंकि उनमें ये निर्धारित किया गया था कि स्थायी गुजारा भत्ते की दूसरी किस्त का भुगतान केवल तलाक पर निर्णय होने के बाद ही किया जाएगा.
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