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बच्चे को मरा समझकर कर दिया था अंतिम संस्कार, 70 दिन बाद वो घर लौटा आया

28 फरवरी को एक युवक ज़ख़्मी अवस्था में पुलिस को रेल की पटरी पर मिला. बाद में उसकी मौत हो गई. लड़के के परिवार से शव शिनाख़्त कराई गई और उन्हें शव सौंप दिया गया. बाद में शव का दाह संस्कार भी कर दिया गया. लेकिन क़रीब 70 दिन बाद युवक दरभंगा के व्यवहार न्यायालय पहुंचा.

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लड़के के केस से जुड़ दस्तावेज़ दिखाते वकील. (फोटो- आजतक)

ऐसा एक लड़का, जिसे सब मरा हुआ मान चुके थे—जिसका अंतिम संस्कार तक कर दिया गया था—अचानक 70 दिन बाद जब वह घर लौटा, तो सभी हैरान रह गए. मामला बिहार के दरभंगा जिले का है, जहां का एक लड़का 8 फरवरी से लापता था. उसका अपहरण कर लिया गया था, लेकिन वह किसी तरह बचकर अपने घर लौट आया है. अब उसे अदालत में पेश किया गया है.

'आजतक' के प्रह्लाद कुमार की रिपोर्ट के मुताबिक, दरभंगा के सिमरा गांव के एक नाबालिग लड़के का दो महीने पहले अपहरण कर लिया गया था. कुछ दिनों बाद उसके परिजनों को एक अनजान नंबर से कॉल आया, जिसमें 45 हज़ार रुपये की फिरौती मांगी गई. परिवार ने पांच हज़ार रुपये भी भेज दिए, लेकिन लड़के का कुछ पता नहीं चला. इसके बाद पुलिस को इस मामले की जानकारी दी गई.

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28 फरवरी को एक युवक घायल अवस्था में रेल पटरी पर मिला, जिसकी बाद में मौत हो गई. पुलिस ने शव की शिनाख्त के लिए परिजनों को बुलाया. रात के अंधेरे में पहचान कराई गई और शव का चेहरा काफी सूजा हुआ था. इसके बावजूद शव परिजनों को सौंप दिया गया और अंत्येष्टि कर दी गई.

लेकिन करीब 70 दिन बाद वही 'मरा हुआ' समझा गया लड़का दरभंगा व्यवहार न्यायालय पहुंचा और अपने अपहरण की पूरी जानकारी दी.

लड़के ने बताया कि अपहरण के समय वह दरभंगा के राज खेल मैदान में था, तभी कुछ लोगों ने उसका मुंह दबाकर अगवा कर लिया. उसे नेपाल ले जाया गया और वहां एक घर में रखा गया. लेकिन एक दिन दरवाज़ा खुला देखकर वह भाग निकला और स्थानीय लोगों की मदद से फोन कर परिवार से संपर्क किया.

शुरुआत में परिजनों को उस पर विश्वास नहीं हुआ, लेकिन जब उसने वीडियो कॉल पर खुद को दिखाया, तब यकीन हुआ. इसके बाद परिवार नेपाल पहुंचा और उसे वापस लेकर आया. लौटने के बाद परिवार ने वकील और स्थानीय थाना पुलिस को पूरे मामले की जानकारी दी.

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लड़के के वकील मुकेश कुमार ने मामले की पुष्टि की है. उन्होंने बताया कि परिवार ने शव की पहचान तो की थी, लेकिन संदेह भी था, क्योंकि पहचान रात में कराई गई थी और शव का चेहरा सूजा हुआ था. परिवार ने डीएनए टेस्ट की मांग की थी, लेकिन आरोप है कि पुलिस ने जबरन शव सौंप दिया.

लड़के को अब उसके माता-पिता को सौंप दिया गया है. जिस वक्त वह लापता हुआ था, इलाके में काफी हंगामा हुआ था. परिजनों ने शव को सड़क पर रखकर प्रदर्शन किया था और पुलिस पर हमला भी हुआ था.

मामले में दरभंगा के एसएसपी जगन्नाथ रेड्डी ने जांच के आदेश दिए थे और संबंधित SHO को लापरवाही के आरोप में सस्पेंड कर दिया गया था. इसके अलावा सरकार की ओर से परिवार को चार लाख रुपये की सहायता दी गई थी, जिसे अब परिवार ने लौटाने की पेशकश की है.

फिलहाल पुलिस युवक से पूरे मामले की पूछताछ कर रही है, लेकिन अब तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है.

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