नदी में धंसे बिना, पुल पार करने से, पुल पार नहीं होता… नरेश सक्सेना की लिखी इस कविता के अर्थ बड़े गहरे हैं. लेकिन बिहार और पुल (Bihar Bridge) का जो आपसी रिश्ता बना दिया गया है, उससे इन पंक्तियों के लिटरल यानी हल्के अर्थ का ज्यादा ध्यान आता है. पुल पार करने से नदी पार नहीं होती? क्यों जी, ऐसा क्यों? पुल अगर बिहार का है, तो हो सकता है कि पुल नदी पर बना ही ना हो, या पुल तक पहुंचने का रास्ता ही ना हो!
बिहार में बीच खेत खड़ा कर दिया पुल, आने जाने का रास्ता नहीं, लोग पूछ रहे- इसका करना क्या है?
Bihar के शिवहर में खेत के बीच पुल तो बन गया, लेकिन सड़क नहीं बनी. बिना सड़क के पुल आखिर किस काम का? जानिए पूरा मामला और प्रशासन का जवाब.

बिहार और पुल को लेकर बने स्टीरियोटाइप में सबने अपना-अपना योगदान दिया है. वो चाहे नेता हों, सरकारी मुलाजिम हों या ठेकेदार हों. पुल गिरने के मामले बंद होते हैं, तो पुल में लगे लोहा-लक्कड़ की चोरी की खबर आ जाती है. अब ऐसी ही एक खबर आई है शिवहर जिले से. बेलवा-नरकटिया गांव से देवापुर तक बनने वाली स्टेट हाईवे का काम पूरा नहीं हो पाया है.
बिना सड़क के पुल का क्या मतलब?इंडिया टुडे से जुड़े केशव आनंद की रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट के तहत कई पुल बनाए गए हैं. लेकिन उनका कोई इस्तेमाल ही नहीं है. क्योंकि पुल तक पहुंचने वाली सड़क ही नहीं बनी है. एक पुल तो बीच खेत में बना दिया गया है. स्थानीय लोगों ने इसको लेकर अपना विरोध जताया है. उन्होंने सवाल उठाया है कि आखिर बिना सड़क के पुल बनाने का क्या मतलब है? सवाल ये भी उठ रहे हैं कि पुल सही जगह पर बनाया भी गया है या नहीं? कुछ ग्रामीणों ने बताया कि बिना जमीन अधिग्रहण के ही पुल बना दिया गया है. पुल के बने कई साल हो चुके हैं.
बागमती कार्यपालक अभियंता विनय कुमार से इस बारे में सवाल पूछा गया. लेकिन उन्होंने पल्ला झाड़ते हुए कहा कि ये सड़क उनके विभाग के अधीन नहीं है. विनय ने बताया कि पुल वहीं बना है, जहां सड़क जानी थी. लेकिन उनका विभाग इस बात की पुष्टि नहीं कर सकता.
पहले पुल बना दिया, अब सड़क के लिए जमीन…इस मामले को लेकर शिवहर जिले के DM विवेक रंजन मैत्रेय से भी संपर्क किया गया. उन्होंने कहा,
ये प्रोजेक्ट कई सालों से पेंडिंग है. मुख्यालय के दिशा-निर्देश पर त्वरित कारवाई की जा रही है. जिस जगह पर पुल बना है, वो सरकारी जमीन है. इसलिए वहां पहले ही पुल बना दिया गया. अब शेष (सड़क के लिए जरूरी) भूमि का भूअर्जन किया जा रहा है.
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उन्होंने ये भी बताया कि वो एक क्रॉस ड्रेनेज स्ट्रक्चर है. उसका इस्तेमाल बरसाती पानी की निकासी के लिए होता है. DM ने कहा कि भूअर्जन को लेकर हाल ही में ग्रामीणों के साथ बातचीत की गई है.
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