जहां घर-घर में चलता है पावरलूम. वहीं पर बुनते हैं देश के टॉप इंजीनियर बनने के ख्वाब. बिहार के गया जिले का पटवा टोली गांव एक बार फिर मिसाल बनकर सामने आया है. कभी बुनकरों की बस्ती के नाम से पहचाना जाने वाला यह गांव अब देश को ‘इंजीनियर देने वाली फैक्ट्री’ बन चुका है. जेईई मेन्स-2 परीक्षा के ताजा नतीजों (JEE Mains-2 Results) में इस गांव के 40 छात्रों ने सफलता पाई है. यह बताता है कि संसाधनों की कमी सपनों की उड़ान को नहीं रोक सकती. मेहनत, लगन और शिक्षा के सहारे कोई भी शख्स बुलंदी छू सकता है.
'इंजीनियर फैक्ट्री' है बिहार का ये गांव, एक साथ 40 छात्रों ने पास की JEE Mains परीक्षा
इस बार के टॉप स्कोरर्स में इस गांव की छात्रा शरण्या ने 99.64 पर्सेंट अंक हासिल किए हैं. अशोक नाम के छात्र को 97.7, यश राज को 97.38, शुभम कुमार को 96.55, प्रतीक को 96.55, केतन को 96.00, निवास को 95.7 और सागर कुमार को 94.8 पर्सेंट अंक मिले हैं.
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गांव का नाम पटवा टोली है, जो गया जिले के मानपुर प्रखंड के अंतर्गत आता है. इंडिया टुडे से जुड़े पंकज की रिपोर्ट के मुताबिक इस गांव में अधिकतर बुनकर समाज के लोग रहते हैं, जो अपने घरों में पावरलूम से कपड़े बुनने का काम करते हैं. 'बुनकरों का गांव' के नाम से चर्चित इस गांव से अब इंजीनियर ही इंजीनियर बनकर निकलते हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि इस गांव से हर साल 40 से 60 छात्र JEE Mains की परीक्षा पास करते हैं. और इंजीनियर बनकर अपने गांव का नाम रौशन करते हैं. यही कारण है कि बिहार ही नहीं, बल्कि दूसरे राज्यों के छात्र भी यहां रहकर इंजीनियरिंग की तैयारी करते हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक इस बार के टॉप स्कोरर्स में इस गांव की छात्रा शरण्या ने 99.64 पर्सेंट अंक हासिल किए हैं. अशोक नाम के छात्र को 97.7, यश राज को 97.38, शुभम कुमार को 96.55, प्रतीक को 96.55, केतन को 96.00, निवास को 95.7 और सागर कुमार को 94.8 पर्सेंट अंक मिले हैं.
इन छात्रों में से सागर कुमार की कहानी सामने आई है. उनका संघर्ष इस सफलता को और भी खास बना देता है. उन्होंने बताया कि बचपन में ही उनके पिता की मृत्यु हो गई थी. मां पटवा टोली गांव में रहकर बुनाई का काम करती थीं. तमाम दिक्कतों के बावजूद उन्होंने बेटे की पढ़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ी. आखिरकार मां की मेहनत और बेटे की लगन रंग लाई. सागर ने JEE MAINS-2 के रिजल्ट में सफलता प्राप्त की. छात्र का कहना है कि वह इंजीनियर बनकर देश की सेवा करना चाहते हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक इस गांव में 'वृक्ष संस्था' नाम का एक संगठन बुनकरों के बच्चों को शिक्षित करने में अहम भूमिका निभा रहा है. जिन छात्रों ने परीक्षा पास की है, सभी ने इस संस्था के योगदान को भी अपनी कामयाबी का श्रेय दिया है.
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