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श्रीमद्भगवद्गीता UNESCO की विश्व स्मृति रजिस्टर में शामिल, PM मोदी ने बताई अहमियत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उपलब्धि को हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण बताते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “गीता और नाट्यशास्त्र का UNESCO के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल होना हमारे कालातीत ज्ञान और समृद्ध संस्कृति की वैश्विक मान्यता है. इन ग्रंथों ने सदियों से सभ्यता और चेतना को पोषित किया है.”

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केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी इसे भारत की विरासत के लिए ऐतिहासिक पल करार दिया. (फोटो- X)

UNESCO ने 17 अप्रैल को अपनी ‘मेमोरी ऑफ दी वर्ल्ड रजिस्टर’ (Memory of World Register) में 74 नए दस्तावेजी धरोहरों को शामिल किया है. भारत से श्रीमद्भगवद्गीता और भरतमुनि की नाट्यशास्त्र को इस हेरिटेज कलेक्शन में जगह मिली है. रजिस्टर में इन धरोहरों के शामिल होने के साथ इसके कुल संग्रहों की संख्या अब 570 हो गई है. भारत के कुल 14 अभिलेख इसमें शामिल हैं. इस सम्मान को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और दार्शनिक विरासत की वैश्विक पहचान के रूप में देखा जा रहा है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उपलब्धि को हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण बताते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा,

“गीता और नाट्यशास्त्र का UNESCO के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल होना हमारे कालातीत ज्ञान और समृद्ध संस्कृति की वैश्विक मान्यता है. इन ग्रंथों ने सदियों से सभ्यता और चेतना को पोषित किया है, और ये आज भी विश्व को प्रेरित करती है.”

केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी इसे भारत की विरासत के लिए ऐतिहासिक पल करार दिया. उन्होंने कहा,

“ये कृतियां केवल साहित्यिक खजाना नहीं हैं, बल्कि दार्शनिक और सौंदर्य बोध की नींव हैं, जिन्होंने भारत के विश्व दृष्टिकोण को आकार दिया.”

बता दें कि भगवद्गीता को धार्मिक ग्रंथ के साथ-साथ एक ‘दार्शनिक और आध्यात्मिक मार्गदर्शक’ भी माना जाता है. इसका लगभग 80 भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है. हिंदू धर्म के साधु-संत और जानकार बताते हैं कि ये ग्रंथ निःस्वार्थ कर्म, धर्म के प्रति निष्ठा और आध्यात्मिक ज्ञान का उपदेश देता है. ये वैदिक, बौद्ध, जैन और चार्वाक परंपराओं को समन्वित करता है, जिसके कारण इसे वैश्विक स्तर पर पढ़ा और अनुवादित किया गया है. वहीं नाट्यशास्त्र नाट्य, प्रदर्शन, सौंदर्यशास्त्र और शास्त्रीय कलाओं से जुड़ा पर एक ग्रंथ है. इसमें रस, भाव, अभिनय और संगीत के सिद्धांतों को विस्तार से बताया गया है.

UNESCO की मेमोरी ऑफ दी वर्ल्ड रजिस्टर साल 1992 में शुरू हुई थी. ये विश्व के महत्वपूर्ण दस्तावेजों को संरक्षित और प्रचारित करने का कार्य करता है. इस बार के नए अभिलेखों में वैज्ञानिक धरोहर, महिलाओं के ऐतिहासिक योगदान और बहुपक्षीय उपलब्धियां भी शामिल हैं. ये 72 देशों और चार अंतरराष्ट्रीय संगठनों से हैं.

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