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बांग्लादेश असिस्टेंट हाई कमीशन में तोड़फोड़ पर एक्शन, 3 अफसर सस्पेंड, 7 लोग हिरासत में

Breach at Bangladesh Assistant High Commission: बांग्लादेश का कहना है कि ये एक सुनियोजित हमला था. त्रिपुरा पुलिस ने कुछ नहीं किया. भारत ने एक्शन लेते हुए 3 अफसरों को सस्पेंड कर दिया है.

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बांग्लादेश असिस्टेंट हाई कमीशन के बाहर तैनात सुरक्षा (PHOTO-PTI)

त्रिपुरा के Agartala में Bangladesh के Assistant High Commission के बाहर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. वजह है बांग्लादेश में हिंदू संत Chinmoy Krishna Das की गिरफ़्तारी. सोमवार 2 दिसंबर को स्थिति तब बेकाबू  हो गई जब प्रदर्शन कर रहे लोग पुलिस बैरिकेड तोड़कर अंदर घुस गए. अंदर तोड़फोड़ करने के साथ-साथ उन्होंने बांग्लादेश के झंडे को भी पोल से नीचे उतार दिया.

इस मामले पर एक तरफ जहां भारत के विदेश मंत्रालय ने खेद जताया और इसे 'Deeply Regrettable' कहा, वहीं बांग्लादेश ने इस घटना को लेकर त्रिपुरा की पुलिस पर आरोप लगाए हैं. बांग्लादेश ने कहा कि “इस घटना को रोका जा सकता था. हालात काबू में लाए जा सकते थे पर वहां मौजूद त्रिपुरा पुलिस ने कोई ज़रूरी कदम नहीं उठाए.”

भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया 

"आज जो घटना अगरतला में बांग्लादेश के असिस्टेंट हाई कमीशन में हुई वो बहुत ही निंदनीय और खेद का विषय है. राजनयिक और कॉन्सुल की संपत्तियों को किसी भी परिस्थिति में निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए. सरकार दिल्ली स्थित बांग्लादेश हाई कमीशन और देश में मौजूद अन्य डिप्टी/असिस्टेंट हाई कमीशन की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही है."

ये पूरा प्रोटेस्ट 'हिंदू संघर्ष समिति' के बैनर तले आयोजित किया गया. मामला तब बिगड़ गया प्रदर्शनकारियों का एक प्रतिनिधि मंडल बांग्लादेश के असिस्टेंट हाई कमीशन को ज्ञापन सौंपने जा रहा था.

इस पूरे वाकये पर बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने भी बयान जारी कर कहा

"बांग्लादेश की सरकार हिंदू संघर्ष समिति द्वारा किए गए हमारे असिस्टेंट हाई कमीशन पर हमले की निंदा करती है."

पर बांग्लादेश के बयान में एक नाराज़गी भी है. उनका मानना है कि त्रिपुरा पुलिस ने वहां कोई एक्शन नहीं लिया. बांग्लादेश के मुताबिक प्रदर्शनकारियों को अंदर आने की छूट दी गई जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि ये सब 'पहले से तय' था. बांग्लादेश ने कहा कि ये मेजबान देश की जिम्मेदारी है कि उसके देश में मौजूद सभी राजनयिक संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करे. ये Vienna Convention Of Diplomatic Relations, 1961 का भी उल्लंघन है.

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक शुरुआत में ये प्रोटेस्ट शुरुआत में शांतिपूर्ण था. इसके बाद प्रदर्शनकारी बांग्लादेश विरोधी नारे लगाने लगे. उन्होंने 'जय श्री राम' के नारे भी लगाए. प्रदर्शनकारी बांग्लादेश में हिंदुओं और दूसरे अल्पसंख्यक समुदायों पर हो रहे हमलों की बात कर रहे थे. पर उनके विरोध का केंद्र चिन्मॉय दास की गिरफ़्तारी थी जिन्हें पिछले हफ्ते बांग्लादेश में देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

त्रिपुरा के भाजपा अध्यक्ष सुबल भौमिक भी इस प्रदर्शन का हिस्सा थे. उन्होंने कहा कि मोहम्मद यूनुस से नोबेल शांति पुरस्कार वापस ले लेना चाहिए. सुबल भौमिक आगे कहते हैं

"हिंदुओं पर इस तरह के हमले बर्दाश्त के बाहर हैं. पूरे विश्व के हिंदू एक हो रहे हैं. बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले लगातार बढ़ रहे हैं. मोहम्मद यूनुस इन हमलों को बढ़ावा दे रहे हैं."

प्रदर्शनकारियों का एक 6 सदस्यों वाला दल असिस्टेंट हाई कमिश्नर से भी मिला और उन्हें अपना संदेश दिया. पर जब बाकी राजनयिक अंदर थे, उसी समय कुछ प्रदर्शनकारी बैरिकेड तोड़कर अंदर घुस गए.

भारत की कार्रवाई

बांग्लादेश की ओर से इस घटना पर आई आपत्ति के बाद भारत ने कार्रवाई की है. इस मामले में लापरवाही के लिए अगरतला के तीन पुलिस अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया है. साथ ही एक वरिष्ठ अधिकारी को उनके पद से हटा दिया गया है. इसके अलावा 7 और लोगों को हिरासत में भी लिया गया है. इन 7 लोगों पर असिस्टेंट हाई कमीशन में तोड़फोड़ का आरोप है.

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