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असम में जेल से छूटे पत्रकार का फूटा गुस्सा, बैंक की खबर दिखाने गए थे, पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया

एक मामले में बेल मिली, दूसरे केस में गिरफ्तार कर लिया गया. चार दिन जेल में रहने के बाद Assam के पत्रकार Dilwar Hussain Majumdar को दो मामलों में जमानत पर रिहा कर दिया गया है.

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दिलवर हुसैन मजूमदार डिजिटल मीडिया पोर्टल ‘द क्रॉसकरंट’ के रिपोर्टर हैं (फोटो: फेसबुक)

असम के पत्रकार दिलवर हुसैन मजूमदार को जमानत पर रिहा कर दिया गया है. रिहाई के बाद उन्होंने कहा कि एक पत्रकार के तौर पर वे हमेशा सवाल पूछते रहेंगें. मजूमदार, डिजिटल मीडिया पोर्टल ‘द क्रॉसकरंट’ के रिपोर्टर हैं. जो अपनी इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग के लिए जाने जाते हैं. पहले मामले में उन्हें 25 मार्च को गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद चार दिन जेल में रहने के बाद 28 मार्च को उन्हें रिहा कर दिया गया.

किस मामले में हुई थी गिरफ्तारी?

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मजूमदार 25 मार्च को ‘असम को-ऑपरेटिव एपेक्स बैंक’ (ACAB) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को कवर करने के लिए गए थे. इसी दौरान उन्हें पुलिस हिरासत में ले लिया गया. उसी रात एक शिकायत के आधार पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. उन पर बैंक के एक सुरक्षा गार्ड के खिलाफ 'आपत्तिजनक टिप्पणी' करने और धमकाने के आरोप लगे थे. अगले ही दिन यानी 26 मार्च की शाम को मजूमदार को पहले मामले में जमानत दे दी गई थी. लेकिन देर शाम जमानत मिलने की वजह से उन्हें रात भर हिरासत में रहना पड़ा. 

जैसे ही वे अगले दिन रिहा होने वाले थे, उन्हें एक दूसरे मामले में गिरफ्तार किया गया. इस बार मजूमदार पर ACAB के MD डोमबारू सैकिया ने आरोप लगाया कि उन्होंने बैंक की पहली मंजिल पर अवैध रूप से प्रवेश किया और दस्तावेज छीनने की कोशिश की. इस दूसरे मामले में मजूमदार को शुक्रवार, 28 मार्च रात जमानत दे दी गई. बता दें कि असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ACAB के निदेशक हैं, और भाजपा विधायक विश्वजीत फुकन इसके अध्यक्ष हैं. रिहाई के बाद पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, 

‘सबसे पहले मैं राज्य और देश के विभिन्न हिस्सों में मेरे साथ खड़े होने वाले हर पत्रकार और मेरे समर्थन में बोलने वाले हर नागरिक को धन्यवाद देना चाहता हूं. जिन्होंने मुझे ताकत और एकजुटता दी और मैं उन वकीलों और उनकी टीम के हर सदस्य को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने अदालत में मेरे लिए लड़ाई लड़ी. किसी भी वकील ने एक पैसा भी नहीं लिया और मुझे यह न्याय दिलाने में मदद की.’

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उन्होंने आगे कहा,

‘एक पत्रकार के तौर पर मेरा काम सवाल पूछना है. मैं सवाल पूछता रहूंगा, चाहे मेरे सामने कितनी भी मुसीबतें क्यों न आएं. आप सभी मुझ पर यह भरोसा बनाए रखें कि गैरकानूनी और अवैध, ये दो ऐसी चीजें हैं जो मैंने कभी नहीं की हैं और भविष्य में कभी नहीं करूंगा.’

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, गुवाहाटी प्रेस क्लब और असम महिला पत्रकार फोरम जैसे कई पत्रकार निकायों ने उनकी गिरफ्तारी की निंदा की थी और इसे प्रेस की स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया था.

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