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AAP ने राज्यसभा सांसद को विधानसभा उपचुनाव में उतारा, क्या केजरीवाल की होगी राज्यसभा में एंट्री?

Ludhiana west assembly bypoll: आम आदमी पार्टी (AAP) राज्यसभा की एक सीट खाली कराने की तैयारी में है. पार्टी ने राज्यसभा सांसद Sanjeev Arora को लुधियाना वेस्ट विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए चुनावी मैदान में उतारा है.

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AAP ने अरविंद केजरीवाल के राज्यसभा जाने की खबर को खारिज कर दिया है. (फाइल फोटो: इंडिया टुडे)

आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) का अगला राजनीतिक कदम क्या होगा? पिछले कई दिनों से इस विषय पर कयास लगाए जा रहे थे. अब इन अटकलों को और हवा मिली है. चर्चा है कि केजरीवाल अब राज्यसभा जाएंगे और इसकी तैयारी भी शुरू हो गई है. दरअसल, आम आदमी पार्टी (AAP) राज्यसभा की एक सीट खाली कराने की तैयारी में है. पार्टी ने राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा (Sanjeev Arora) को लुधियाना वेस्ट विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए चुनावी मैदान में उतारा है.

हालांकि, पार्टी ने इन कयासों को खारिज कर दिया है. AAP प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ का कहना है,

अरविंद केजरीवाल राज्यसभा नहीं जा रहे हैं... जहां तक ​​अरविंद केजरीवाल का सवाल है, पहले मीडिया सूत्र कह रहे थे कि वो पंजाब के मुख्यमंत्री बनेंगे. अब मीडिया सूत्र कह रहे हैं कि वो राज्यसभा से चुनाव लड़ेंगे. ये दोनों सूत्र बिल्कुल गलत हैं. अरविंद केजरीवाल AAP के राष्ट्रीय संयोजक हैं. मैं मानती हूं कि उनकी मांग बहुत ज्यादा है, लेकिन वो किसी एक सीट तक सीमित नहीं हैं...

लुधियाना वेस्ट सीट पर 11 जुलाई से पहले उपचुनाव होना है. नियमों के मुताबिक, कोई भी संसदीय या विधानसभा सीट छह महीने से ज्यादा खाली नहीं रह सकती. 11 जनवरी को मौजूदा AAP विधायक गुरप्रीत सिंह गोगी के निधन के बाद ये सीट खाली हुई है.

इंडियन एक्स्प्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि लुधियाना के उद्योगपति अरोड़ा राज्यसभा से तत्काल इस्तीफा नहीं देंगे.

वर्तमान में पंजाब में AAP के सात राज्यसभा सांसद हैं. इनमें राघव चड्ढा, संदीप पाठक, क्रिकेटर हरभजन सिंह, एजुकेशनिस्ट अशोक मित्तल, उद्यमी विक्रमजीत सिंह साहनी और संजीव अरोड़ा शामिल हैं.

अटकलों को हवा मिली क्यों?

इन कयासों को इसलिए भी जोर मिला था, क्योंकि दिल्ली चुनाव में अपनी सीट हारने के बाद उनके लिए बहुत ज्यादा राजनीतिक विकल्प नहीं दिख रहे थे. दिल्ली में अगला राज्यसभा चुनाव 2030 में होना है जबकि पंजाब में 2028 में. ऐसे में राज्यसभा खाली कराना ही एकमात्र विकल्प बताया जा रहा है. 

8 फरवरी को जब दिल्ली चुनाव के परिणाम आए थे, तब लल्लनटॉप के पॉलिटिकल किस्सों से जुड़े शो ‘नेतानगरी’ में भी इस पर विस्तार से चर्चा हुई थी. इंडिया टुडे टीवी की एग्जिक्यूटिव एडिटर प्रीति चौधरी ने इस शो में कहा था,

उनके (केजरीवाल के) शुभचिंतक उनको राय देंगे कि वो संवैधानिक सुरक्षा के विकल्प खोजें. क्योंकि अब वो पूर्व विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री हो चुके हैं. इसमें राज्यसभा एक तरीका हो सकता है. चुनाव दूर है. ऐसे में किसी सीटिंग सांसद को ही इस्तीफा देना होगा. हालांकि, (इन सब बातों के बावजूद) मुझे नहीं लगता कि ये उनका पहला ऑप्शन होगा. मुझे लगता है कि वो ऐसे नेता नहीं हैं जो राज्यसभा का रूट लेंगे.

संविधान में संवैधानिक सुरक्षा के साथ-साथ उनके जेल जाने की संभावना पर भी बात की गई. दिल्ली शराब नीति में केजरीवाल को तिहाड़ जेल में रहना पड़ा था. ऐसे में चर्चा ये हुई कि एक पूर्व विधायक के जेल में रहने पर और एक वर्तमान राज्यसभा सांसद के जेल में रहने पर फर्क तो होगा. इस पर प्रीति चौधरी कहती हैं,

हां, ये 'Live to Fight Another Day' (लड़ने का जज्बा रखने) के जैसा है. सबसे जरूरी ये है कि केजरीवाल जेल ना जाएं. AAP में कहते थे कि अगर एक दिन के लिए केजरीवाल पार्टी में ना हों तो किसी को पता नहीं होता था कि आगे क्या करना है. जब वो इतने दिनों तक जेल में रहे तो पार्टी में बहुत ज्यादा दिक्कतें आईं. केजरीवाल के लिए अपने जीते हुए विधायकों को पार्टी में रखना भी एक चुनौती है.

कयास पर कयास लगे

पिछले दिनों पंजाब में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कहा था कि केजरीवाल अब पंजाब जाएंगे और लुधियाना से विधानसभा उपचुनाव लड़ेंगे. लेकिन AAP ने इस कयास पर रोक लगा दी है. दिल्ली चुनाव परिणाम के बाद तो ये भी अटकलें लगी थीं कि केजरीवाल पंजाब में CM भगवंत मान की जगह लेंगे. पार्टी ने इसे भी खारिज कर दिया.

तमाम अटकलों और कयासों के बावजूद अब भी जानकारों का मानना है कि भाजपा के सामने अपनी बात मजबूती से रखने के लिए केजरीवाल के पास राज्यसभा के अलावा और कोई विकल्प नहीं है. 

नई दिल्ली सीट पर हुई थी हार

नई दिल्ली विधानसभा सीट पर केजरीवाल का मुकाबला भाजपा के परवेश वर्मा से हुआ था. परवेश दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं. चुनाव में उन्होंने केजरीवाल को लगभग चार हजार वोटों से हराया. इसी सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित भी चुनावी मुकाबले में थे. उनको मात्र 4568 वोट मिले.

परवेश वर्मा को केजरीवाल को हराने का इनाम मिला. भाजपा ने उनको दिल्ली का उपमुख्यमंत्री बनाया है.

वीडियो: दी लल्लनटॉप शो: दिल्ली विधानसभा चुनाव में क्यों हारे अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया?