2026 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले तमिलनाडु की सियासत में एक बड़ा ट्विस्ट आने वाला है. मामला बीजेपी के तेज-तर्रार नेता और प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई से जुड़ा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, अन्नामलाई जल्द ही तमिलनाडु बीजेपी के अध्यक्ष पद से हट सकते हैं. वजह? बीजेपी और AIADMK के बीच बढ़ती तनातनी और इसका ऑफिशियल कारण बताया जा रहा है जाति का समीकरण.
तमिलनाडु प्रदेश अध्यक्ष पद छोड़ सकते हैं अन्नामलाई? इस रिपोर्ट में वजहें भी बताई गईं
IPS अफसर से नेता बने अन्नामलाई की आक्रामक राजनीति और बेबाक बयानों ने तमिलनाडु में बीजेपी को एक नई पहचान दी. लेकिन के अन्नामलाई को अभी तक वो सफलता नहीं मिली जो पार्टी उनसे चाहती थी.

IPS अफसर से नेता बने अन्नामलाई की आक्रामक राजनीति और बेबाक बयानों ने तमिलनाडु में बीजेपी को एक नई पहचान दी. लेकिन के अन्नामलाई को अभी तक वो सफलता नहीं मिली जो पार्टी उनसे चाहती थी. 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को तमिलनाडु में एक भी सीट नहीं मिली, और इसके लिए कई लोग अन्नामलाई की रणनीति को जिम्मेदार ठहराते हैं. खासकर AIADMK के साथ उनकी तकरार ने बीजेपी को मुश्किल में डाल दिया. दोनों पार्टियों का गठबंधन 2023 में टूट गया था, और इसके पीछे अन्नामलाई का नाम सबसे ऊपर लिया जाता है.
इंडियन एक्सप्रेस की एक एक्सक्लूसिव रिपोर्ट के अनुसार अन्नामलाई जल्द ही तमिलनाडु बीजेपी के अध्यक्ष पद से हट सकते हैं. पार्टी ने कथित तौर पर उन्हें बताया है कि ‘दिल्ली उनके लिए उज्ज्वल भविष्य’ देखती है. बदले में, पार्टी के नेतृत्व ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अन्नामलाई पार्टी की रणनीति पर भरोसा करेंगे और उसका पालन करेंगे. माना जा रहा है कि अन्नामलाई ने पार्टी के प्रति पूरी निष्ठा जताई है.
रिपोर्ट के मुताबिक एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा,
"उन्होंने (अन्नामलाई) कहा कि पार्टी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को लेकर उनके मन में कोई संदेह नहीं है और वो एक साधारण कार्यकर्ता के तौर पर भी काम करने को तैयार हैं."
एक अन्य नेता ने बताया,
नैनार नागेंद्रन बन सकते हैं अध्यक्ष"अन्नामलाई राज्य अध्यक्ष पद से हटें या नहीं, लेकिन तमिलनाडु के लिए पार्टी की रणनीति में वो एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बने रहेंगे. वो राष्ट्रीय भूमिका निभाते हैं या राज्य में कोई अलग कार्यभार संभालते हैं, ये देखना अभी बाकी है."
सूत्रों के अनुसार, तमिलनाडु भाजपा प्रमुख के रूप में अन्नामलाई की जगह लेने की रेस में सबसे आगे भाजपा विधायक नैनार नागेंद्रन हैं. वे तिरुनेलवेली के एक लोकप्रिय नेता हैं. प्रभावशाली थेवर समुदाय से आने वाले नागेंद्रन पहले AIADMK में थे.
रिपोर्ट के मुताबिक एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने बताया कि अन्नामलाई का पद से हटना एक तरह से ‘रीकैलीब्रेशन है, ना कि डिमोशन’. इस नेता ने कहा,
"भाजपा पश्चिमी तमिलनाडु के अलावा अन्य जगहों पर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है. नागेंद्रन जैसे थेवर नेता को लाने से दक्षिणी जिलों और उससे आगे के क्षेत्रों में अपना प्रभाव बढ़ाने में मदद मिल सकती है, जहां AIADMK-भाजपा गठबंधन को DMK के गढ़ का मुकाबला करने की आवश्यकता होगी.”
30 मार्च को कोयंबटूर में मीडिया से बात करते हुए अन्नामलाई ने AIADMK-बीजेपी गठबंधन पर कोई भी सवाल लेने से इनकार कर दिया था. उन्होंने कहा,
"केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में एक समारोह में इस बारे में बात की थी. आप इसे (पार्टी का) अंतिम दृष्टिकोण मान सकते हैं."
यही नहीं, अन्नामलाई ने भाजपा आलाकमान को “तमिलनाडु का विस्तृत राजनीतिक अध्ययन” देने में अपनी भूमिका के बारे में बात की. उन्होंने कहा,
“एक कैडर और नेता के रूप में, मैंने एक सूक्ष्म विश्लेषण किया है और राज्य इकाई की वर्तमान स्थिति और इसे कैसे आगे बढ़ाया जाना चाहिए, इस पर सबूतों के साथ पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं के सामने प्रस्तुत किया है.”
तमिलनाडु के चुनाव को पांच क्षेत्रों के माध्यम से समझाते हुए अन्नामलाई ने कहा कि भाजपा ने पश्चिमी क्षेत्र (54 सीटें) और दक्षिणी जिलों (60 सीटें) में उल्लेखनीय वृद्धि देखी है. 150 सीटें जीतने के लिए, किसी पार्टी को तीन क्षेत्रों में जीत हासिल करनी होगी. 180-190 सीटें हासिल करने के लिए, उसे चार क्षेत्रों में अपना दबदबा बनाना होगा.
तो क्या होगा आगे? रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर अन्नामलाई हटते हैं, तो बीजेपी और AIADMK का गठबंधन फिर से पटरी पर आ सकता है. शाह और पलानीस्वामी की मुलाकात को इसी नजर से देखा जा रहा है. लेकिन अगर अन्नामलाई की जिद जारी रही, तो बीजेपी को तमिलनाडु में नया रास्ता तलाशना पड़ सकता है.
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