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जुबैर ने नरसिंहानंद के खिलाफ एक्शन की मांग की थी, देश की एकता खतरे में डालने का केस हो गया

ALT NEWS के संस्थापक Mohammed Zubair के खिलाफ गाजियाबाद पुलिस ने दो नई धाराएं जोड़ी हैं. Allahabad Highcourt में जुबैर की याचिका पर सुनवाई के दौरान पुलिस ने ये जानकारी दी.

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मोहम्मद जुबैर के खिलाफ FIR में दो और धाराएं जुड़ी हैं. ( इंडिया टुडे, फाइल फोटो)

ऑल्ट न्यूज (ALT NEWS) के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर (Mohammed Zubair) के खिलाफ पिछले महीने दर्ज FIR में गाजियाबाद पुलिस ने दो धाराएं और जोड़ी हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट में मोहम्मद जुबैर की याचिका के जवाब में यह जानकारी दी गई. हाईकोर्ट को बताया गया कि जुबैर के खिलाफ 8 अक्टूबर को दर्ज की गई FIR में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 152, (एकता और अखंडता को खतरे में डालने) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के उल्लंघन का आरोप जोड़ दिया गया है.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, इलाहाबाद हाईकोर्ट जुबैर की FIR को रद्द करने की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. 8 अक्टूबर को यति नरसिंहानंद सरस्वती ट्रस्ट की महासचिव उदिता त्यागी की शिकायत के आधार पर जुबैर के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी. इसमें दावा किया गया कि जुबैर ने 3 अक्टूबर  को नरसिंहानंद के एक पुराने कार्यक्रम की एक वीडियो क्लिप पोस्ट की. जिसका उद्देश्य मुस्लिम समुदाय के लोगों को उनके खिलाफ हिंसा के लिए भड़काना था.

25 नवंबर को मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने IO को अगली सुनवाई तक हलफनामा दाखिल कर यह बताने का निर्देश दिया था कि जुबैर के खिलाफ कौन सी आपराधिक धाराएं लगाई गई हैं. इससे पहले जुबैर के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 196 (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 228 (झूठे साक्ष्य गढ़ना), 299 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य), 356 (3) (मानहानि) और 351 (2) (आपराधिक धमकी के लिए सजा) के तहत FIR दर्ज की गई थी.

मोहम्मद जुबैर ने FIR रद्द करने और बलपूर्वक कार्रवाई से सुरक्षा की मांग को लेकर हाईकोर्ट का रूख किया था. याचिका में उन्होंने बताया कि उनके एक्स पोस्ट में यति नरसिंहानंद के खिलाफ हिंसा का आह्वान नहीं किया गया. उन्होंने पोस्ट के माध्यम से केवल पुलिस अधिकारियों को नरसिंहानंद की हरकतों के बारे में सचेत किया. और कानून के मुताबिक कार्रवाई की मांग की. यह दो वर्गों के लोगों के बीच वैमनस्य या दुर्भावना को बढ़ावा देने के बराबर नहीं हो सकता.

उन्होंने BNS के तहत मानहानि के प्रावधान को भी इस आधार पर चुनौती दी है कि नरसिंहानंद के खिलाफ उनके खुद के वीडियो पहले से सार्वजनिक डोमेन में है. इन्हें साझा करके कार्रवाई की मांग करना मानहानि नहीं हो सकती है.

याचिका में यह भी बताया गया कि पैगंबर के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के दौरान नरसिंहानंद हेट स्पीच के एक दूसरे मामले में जमानत पर थे. और उनकी जमानत की शर्त यह थी कि वह ऐसा कोई बयान नहीं देंगे जिससे सांप्रदायिक विद्वेष को बढ़ावा मिलेगा.

वीडियो: मुज्जफरनगर का वायरल वीडियो शेयर करने पर मोहम्मद जुबैर पर किस धारा में केस दर्ज हुआ?