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"कुरान रखने दें, नमाज में ना करें हस्तक्षेप", BSP विधायक की हत्या के दोषी के मामले में कोर्ट का जेल प्रशासन को निर्देश

कैदी का नाम फरहान अहमद है. उसे हत्या के मामले में सजा सुनाई गई है. वो इटावा की सेंट्रल जेल के हाई सिक्योरिटी सेक्शन में बंद है. फरहान की पत्नी उज्मा आबिद ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी.

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फरहान अहमद हत्या के मामले में जेल में बंद है. (फोटो-इंडिया टुडे)

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक कैदी को कुरान रखने और रमजान के महीने में पांच बार नमाज अदा करने की इजाजत दी है. इस संबंध में कोर्ट ने जेल प्रशासन को निर्देश भी दिए हैं. उच्च न्यायालय ने जेल सुपरिटेंडेंट को निर्देश दिया है कि कैदी की नमाज अदा करने की धार्मिक प्रथा में ‘हस्तक्षेप न किया जाए’. कोर्ट ने कैदी की पत्नी की याचिका पर सुनवाई करने के बाद ये फैसला दिया है.

इंडिया एक्सप्रेस के मुताबिक, कैदी का नाम फरहान अहमद है. उसे हत्या के मामले में सजा सुनाई गई है. वो इटावा की सेंट्रल जेल के हाई सिक्योरिटी सेक्शन में बंद है. फरहान की पत्नी उज्मा आबिद ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. और आरोप लगाया था कि उसके पति अहमद को रमजान के महीने में धार्मिक रीति-रिवाजों से नमाज अदा करने की अनुमति नहीं दी जा रही है. उज्मा ने ये भी आरोप लगाया कि जेल में उनके पति से 'कुरान भी छीन ली' गई है. 

याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और जस्टिस नंद प्रभा शुक्ला की पीठ ने फैसला सुनाया,

"मामले के फैक्ट्स को देखते हुए, हम इटावा के सेंट्रल जेल के जेल सुपरिटेंडेंट को निर्देश देते हैं. वे सुनिश्चित करें कि याचिकाकर्ता के पति की रमजान के महीने में पांच बार नमाज अदा करने की धार्मिक प्रथाओं में कोई दखल ना दिया जाए. और उन्हें कुरान भी अपने पास रखने दी जाए."

हालांकि, कोर्ट ने ये भी साफ किया है कि जेल के अंदर कैदियों की सेफ्टी के लिए जो सुरक्षा नियम है, वे लागू रहेंगे.

इंडियन एक्सप्रेस ने आबिद के वकील दीपक कुमार के हवाले से बताया कि अहमद को हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था. उसे बहुजन समाज पार्टी (BSP) के पूर्व विधायक राजू पाल और दो अन्य की हत्या का दोषी माना गया था. इस मामले में पिछले साल लखनऊ की एक केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) कोर्ट ने फरहान अहमद समेत छह लोगों को दोषी ठहराया था.

25 जनवरी, 2005 को राजू पाल अपने घर जा रहे थे. तभी हथियारबंद हमलावरों ने उन पर हमला कर दिया. हमले में राजू पाल और उनके साथी देवीलाल पाल और संदीप यादव की मौत हो गई थी, जबकि रुख्साना, सैफ उर्फ ​​सैफुल्ला और ओम प्रकाश पाल घायल हो गए थे. हत्या के इस मामले में पूर्व सपा सांसद अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ का भी नाम जुड़ा था. लेकिन मामले में सुनवाई से पहले ही दोनों की गोली मारकर हत्या कर दी गई.

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