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"ब्रेस्ट पकड़ना, पाजामे का नाड़ा तोड़ना... रेप का प्रयास नहीं" इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ऐसी टिप्पणी की है

आरोपियों ने निचली अदालत के समन को Allahabad High Court में चुनौती दी थी. इसमें कहा गया कि आरोपियों ने IPC की धारा 376 के तहत कोई अपराध नहीं किया है. उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ शिकायत को गंभीरता से लिया जाए. लेकिन गंभीर धाराओं को हटा लिया जाए.

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जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा. (फाइल फोटो: इलाहाबाद हाईकोर्ट)

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने कहा है, “स्तनों को पकड़ना, उसके पाजामे का नाड़ा तोड़ना और उसे पुलिया के नीचे खींचने का प्रयास करना… बलात्कार या बलात्कार के प्रयास का आरोप लगाने के लिए पर्याप्त नहीं है.” कोर्ट ने ‘अपराध की तैयारी’ और ‘सच में अपराध करने का प्रयास’ करने में अंतर भी बताया है.

हाईकोर्ट ने दो आरोपियों पर निचली अदालत की ओर से लगाए गए आरोपों में बदलाव के आदेश दिए. लाइव लॉ के मुताबिक, आरोपियों के नाम पवन और आकाश हैं. कासगंज की एक अदालत ने उनको भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376 (बलात्कार) और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम की धारा 18 के तहत दर्ज एक मुकदमे में समन किया था. 

दोनों पर एक नाबालिग लड़की के रेप के प्रयास के आरोप लगे थे. पीड़िता को कुछ राहगीरों ने बचाया था, जिससे आरोपी मौके से भागने पर मजबूर हो गए थे. घटना 2021 की है. आरोपियों ने नाबालिग बच्ची से लिफ्ट देने की बात कही. इसके बाद रेप करने का प्रयास किया. पीड़िता के परिजनों ने शिकायत दर्ज कराई. 

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हाईकोर्ट ने क्या कहा?

आरोपियों ने निचली अदालत के समन को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. इसमें कहा गया कि उन्होंने IPC की धारा 376 के तहत कोई अपराध नहीं किया है. उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ शिकायत को गंभीरता से लिया जाए. लेकिन ये अपराध IPC की धारा 354 और 354 (B) (निर्वस्त्र करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) और पोक्सो अधिनियम प्रासंगिक प्रावधानों की सीमा से आगे का नहीं है.

हाईकोर्ट ने भी इस पर सहमति दिखाई. 17 मार्च, 2025 को दिए आदेश में जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा ने कहा,

रेप के प्रयास का आरोप लगाने के लिए ये साबित करना होगा कि ये तैयारी के चरण से आगे की बात थी. अपराध करने की तैयारी और वास्तविक प्रयास के बीच अंतर होता है.  

अदालत ने कहा कि आरोपी आकाश के खिलाफ आरोप है कि उसने पीड़िता को पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश की और उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ दिया. अदालत ने कहा, 

गवाहों ने ये भी नहीं कहा है कि आरोपी के इस कृत्य के कारण पीड़िता नग्न हो गई या उसके कपड़े उतर गए. ऐसा कोई आरोप नहीं है कि आरोपी ने पीड़िता के यौन उत्पीड़न की कोशिश की.

इसके बाद कोर्ट ने निर्देश दिया कि आरोपी पर IPC की धारा 354 (B) और पोक्सो अधिनियम की धारा 9 और 10 (गंभीर यौन हमला) के तहत मुकदमा चलाया जाए.

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