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जस्टिस यशवंत वर्मा के ट्रांसफर का विरोध शुरू, इलाहाबाद बार एसोसिएशन ने कहा- 'हम कूड़ेदान नहीं...'

इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने जस्टिस यशवंत वर्मा के ट्रांसफर पर कड़ी आपत्ति जताई है. जस्टिस यशवंत वर्मा के बंगले से भारी मात्रा में नकदी बरामद हुई थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने उनके ट्रांसफर का आदेश जारी किया था.

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जस्टिस यशवंत वर्मा के ट्रांसफर की खबर आते ही इलाहाबाद हाई कोर्ट में उनका विरोध होने लगा है | फोटो: इंडिया टुडे

दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर किए जाने के फैसले का विरोध होने लगा है. इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने इस ट्रांसफर पर कड़ी आपत्ति जताई है. जस्टिस यशवंत वर्मा के बंगले से भारी मात्रा में नकदी बरामद हुई थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने उनके ट्रांसफर का आदेश जारी किया था.

इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने क्या कहा?

इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने बार एंड बेंच से बातचीत में कहा,

‘इलाहाबाद हाई कोर्ट कूड़े का डिब्बा नहीं है, जो उन्हें (जस्टिस यशवंत वर्मा को) यहां भेज दिया गया है… हम भ्रष्ट लोगों को स्वीकार नहीं करेंगे. अगर जरूरत पड़ी तो हम कोर्ट का काम बंद कर देंगे. सोमवार (24 मार्च) को आम सभा की बैठक होनी है और उसके बाद हम इस मामले को लेकर कार्रवाई करेंगे. अगर जरूरत पड़ी तो हम अनिश्चित काल के लिए (छुट्टी पर) चले जाएंगे.’

इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने इस मामले पर एक एक प्रेस विज्ञप्ति भी जारी की है. इसमें कॉलेजियम के फैसले पर आश्चर्य जताया गया है. 

आगे कहा, 

'सुप्रीम के कॉलेजियम के फैसले से एक गंभीर सवाल उठता है कि क्या इलाहाबाद हाई कोर्ट एक डस्टबिन बन गया है? यह मामला तब महत्वपूर्ण हो जाता है, जब इलाहाबाद उच्च न्यायालय में माननीय न्यायाधीशों की कमी है और लगातार समस्याओं के बावजूद पिछले कई वर्षों से नए न्यायाधीशों की नियुक्ति नहीं हुई है. गंभीर चिंता का विषय ये भी है कि बार के सदस्यों को पदोन्नत करके उन्हें जज बनाते समय, बार एसोसिएशन से कभी भी राय मशविरा नहीं लिया गया. ऐसा लगता है कि जजों को चुनने के लिए ठीक से विचार नहीं किया गया. कहीं न कहीं कुछ कमी है, जिसके कारण भ्रष्टाचार फैला है और इसका नतीजा ये है कि "न्यायपालिका में जनता के विश्वास" को बहुत नुकसान पहुंचा है.’

बार एसोसिएशन ने आगे कहा,

सुप्रीम कोर्ट इस स्थिति से अच्छी तरह वाकिफ है. उसने बार-बार इलाहाबाद हाई कोर्ट की स्थिति पर टिप्पणी भी की है, उसने यह भी कहा है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कुछ गड़बड़ है.'

बार एसोसिएशन ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में साफ़-साफ लिखा है कि किसी भी हाल में इलाहाबाद हाई कोर्ट में भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. साथ ही ये भी कहा है कि जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से 15 करोड़ रुपये मिले हैं.

जस्टिस यशवंत वर्मा के घर कैसे मिला कैश?

इस मामले पर बहस तब शुरू हुई जब जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में आग लगी. तब वो शहर में मौजूद नहीं थे. आग बुझाने के लिए जैसे ही बचावकर्मी घर के अंदर घुसे तो उनको भारी मात्रा में कैश दिखा. आला अधिकारियों को इसकी जानकारी दी गई. खबर फैली तो सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने उन्हें दूसरे हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिया.

इस मामले पर लेटेस्ट अपडेट ये है कि सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ जांच भी शुरू कर दी है. शीर्ष अदालत ने इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से रिपोर्ट मांगी है. लीगल एक्सपर्ट्स के मुताबिक, जब भी किसी हाई कोर्ट के किसी न्यायाधीश के खिलाफ कदाचार के आरोप लगते हैं, तो उस न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को एक रिपोर्ट देनी होती है. यदि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के खिलाफ आरोप लगते हैं, तो सीधे भारत के मुख्य न्यायाधीश की पहल पर एक इन-हाउस समिति का गठन किया जाता है.

इस बीच ये भी खबर आई है कि जस्टिस वर्मा छुट्टी पर हैं. बार एंड बेंच ने 21 मार्च को रिपोर्ट किया है कि जस्टिस वर्मा आज अपने कोर्ट में नहीं बैठे. उनके सहयोगियों ने कोर्ट को बताया कि वो छुट्टी पर हैं. 

वीडियो: जस्टिस शेखर यादव अब सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की मीटिंग में पहुंचे, क्या फटकार लगाई गई?