इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फ़ैक्ट चेकर मोहम्मद ज़ुबैर (Mohammed Zubair) को गिरफ़्तारी से अंतरिम सुरक्षा दी है. मामले की अगली सुनवाई यानी 6 जनवरी तक ज़ुबैर को गिरफ़्तार नहीं किया जा सकता. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा है कि FIR को पढ़ने से BNS की धारा 196 के तहत मामला बनता है. लेकिन BNS की धारा 152 के तहत अपराध बनता है या नहीं, ये देखना होगा. ये पूरा मामला विवादित महंत यति नरसिंहानंद (Yati Narsinghanand) के एक भाषण से जुड़ा है.
यति नरसिंहानंद वाले मामले में जुबैर की गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक, हाई कोर्ट ने दिया आदेश
Yati Narsinghanand 'X' Post Case पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई हो रही है. ज़ुबैर के ख़िलाफ़ FIR ‘यति नरसिंहानंद सरस्वती फाउंडेशन’ की महासचिव उदिया त्यागी ने दर्ज कराई थी. इस पर ज़ुबैर ने FIR रद्द करने और गिरफ़्तारी से सुरक्षा की मांग करते हुए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
मोहम्मद ज़ुबैर पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने FIR दर्ज की थी. इस पर ज़ुबैर ने FIR रद्द करने और गिरफ़्तारी से सुरक्षा की मांग करते हुए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस नलिन श्रीवास्तव की दो जजों की पीठ मामले की सुनवाई कर रही थी. इस दौरान पीठ ने राज्य सरकार को ज़ुबैर की याचिका पर विस्तृत जवाब दाखिल करने का भी निर्देश दिया.
मौखिक रूप से कॉमेंट करते हुए पीठ ने कहा कि ज़ुबैर कोई खूंखार अपराधी नहीं हैं. वहीं, अगली सुनवाई (6 जनवरी) तक ज़ुबैर के देश छोड़ने पर रोक लगाई गई और जांच में पुलिस के साथ सहयोग करने की शर्त रखी है. पीठ ने कहा कि 6 जनवरी, 2025 तक ज़ुबैर के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी. ज़ुबैर पर एक ट्वीट के लिए मामला दर्ज किया गया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि गाजियाबाद डासना देवी मंदिर के पुजारी यति नरसिंहानंद ने ‘अपमानजनक और घृणास्पद’ भाषण दिया है.
ज़ुबैर के ख़िलाफ़ FIR ‘यति नरसिंहानंद सरस्वती फाउंडेशन’ की महासचिव उदिया त्यागी ने दर्ज कराई थी. अपनी शिकायत में उन्होंने आरोप लगाया कि 3 अक्टूबर को ज़ुबैर ने ‘नरसिंहानंद के ख़िलाफ़ हिंसा भड़काने’ के इरादे से उनका पुराना वीडियो क्लिप शेयर किया. उदिया त्यागी ने डासना देवी मंडी में हिंसक विरोध प्रदर्शन के लिए ज़ुबैर, अरशद मदनी और असदुद्दीन ओवैसी को ज़िम्मेदार ठहराते हुए शिकायत दर्ज कराई थी.
इसके बाद ग़ाज़ियाबाद पुलिस ने ज़ुबैर के ख़िलाफ़ BNS की धारा 196 (धार्मिक आधार पर दुश्मनी को बढ़ावा देना), 228 (झूठे साक्ष्य गढ़ना), 299 (धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना), 356 (3) (मानहानि) और 351 (2) (आपराधिक धमकी) के तहत आरोप लगाए. धारा में 152 (भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को ख़तरे में डालने वाला काम) के तहत अपराध भी जोड़ा गया. इसी धारा पर कोर्ट ने आगे विचार करने की बात कही है.
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दरअसल, 29 सितंबर को नरसिंहानंद ने एक सार्वजनिक भाषण दिया, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर पैगंबर मोहम्मद के ख़िलाफ़ कॉमेंट किया था. तब उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और तेलंगाना में यति नरसिंहानंद के ख़िलाफ़ सांप्रदायिक नफरत भड़काने और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में कई FIR हुईं. वहीं, डासना देवी मंदिर के बाहर विरोध प्रदर्शन भी हुआ.
बाद में ज़ुबैर ने FIR रद्द करने और गिरफ़्तारी से सुरक्षा की मांग करते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की. याचिका में कहा गया कि उनके ख़िलाफ़ FIR, उन्हें नरसिंहानंद की आपराधिक गतिविधियों को उजागर करने से रोकने की कोशिश है.
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