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अजमेर के खादिम होटल का नाम बदलकर 'अजयमेरु' किया गया, BJP पर इतिहास मिटाने के आरोप लगे

अजमेर शहर, सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के लिए प्रसिद्ध है. ‘खादिम’ नाम भी इसी से जुड़ा है. दरगाह के मौलवियों को 'Khadim' कहा जाता है.

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अजमेर का 'अजयमेरु' होटल. (फाइल फोटो: RTDC)

राजस्थान सरकार ने अजमेर में राज्य पर्यटन निगम के होटल ‘खादिम’ (Khadim) का नाम बदलकर 'अजयमेरु' (Ajaymeru) कर दिया है. राजस्थान पर्यटन विकास निगम (RTDC) की प्रबंध निदेशक सुषमा अरोड़ा ने इस संबंध में आदेश जारी किया है. न्यूज एजेंसी PTI ने एक अधिकारी के हवाले से बताया है कि वासुदेव देवनानी ने RTDC से होटल का नाम बदलने को कहा था. देवनानी राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष और अजमेर उत्तर से विधायक हैं.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शहर की सांस्कृतिक विरासत को बचाने के लिए ये कदम उठाया गया है. उन्होंने कहा कि ये अजमेर के लोगों की मांग थी. उन्होंने आगे कहा कि अजमेर को ऐतिहासिक रूप से 'अजयमेरु' के नाम से जाना जाता था. इसलिए RTDC के निदेशक मंडल ने ये निर्णय लिया. 

Khadim नाम का क्या मतलब है?

अजमेर शहर, सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के लिए प्रसिद्ध है. ‘खादिम’ नाम भी इसी से जुड़ा है. दरगाह के मौलवियों को 'खादिम' कहा जाता है. अधिकारियों ने बताया कि देवनानी ने पहले RTDC को जिला कलेक्ट्रेट के सामने स्थित होटल का नाम बदलने का निर्देश दिया था. स्पीकर ने कहा था कि होटल का नाम अजमेर के समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास, विरासत और पहचान को दर्शाना चाहिए. अधिकारियों के अनुसार, देवनानी ने अजमेर में किंग एडवर्ड मेमोरियल का नाम बदलकर हिंदू दार्शनिक स्वामी दयानंद सरस्वती के नाम पर रखने का भी सुझाव दिया है.

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PTI की एक रिपोर्ट के अनुसार, 'अजयमेरु' नाम की जड़ें 7वीं शताब्दी से जुड़ी हैं. जब महाराजा अजयराज चौहान ने शहर की स्थापना की थी. इतिहासकारों के मुताबिक, इस नाम का इस्तेमाल प्राचीन ऐतिहासिक अभिलेखों और भौगोलिक संदर्भों में भी किया गया है.

"शहर के इतिहास को मिटाने की कोशिश"

अजमेर दरगाह के खादिमों ने इस फैसले की आलोचना की है. दरगाह शरीफ के ‘गद्दी नशीन’ (प्रमुख) अजमेर सरवर चिश्ती ने कहा कि BJP शहर के इतिहास को मिटाने की कोशिश कर रही है. दरगाह शरीफ की देखभाल करने वाले चिश्ती ने आरोप लगाया है कि ये भाजपा का सांप्रदायिक एंगल है. उन्होंने कहा कि ये पैटर्न पूरे देश में देखा जा सकता है, भाजपा नाम बदलने में व्यस्त है. अगर वो इन नामों को गुलामी का प्रतीक मानते हैं तो उन्हें ताजमहल या लाल किले को नष्ट कर देना चाहिए. चिश्ती ने कहा कि ये सस्ती राजनीति करने का एक तरीका है.

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